कुछ दिनों पहले शराब बंदी कानून को लेकर पटना हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करने के दौरान बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए जबरदस्त तंज कसा था. कोर्ट का कहना था कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है. बावजूद इसके धड़ल्ले से पटना सहित बिहार के विभिन्न जिले और ग्रामीण देहात क्षेत्र में अवैध शराब का कारोबार किया जा रहा है. हाई कोर्ट ने सरकार से इस और विशेष ध्यान देने को कहा था।
इसी बीच शराब बंदी मामले को लेकर एक बड़ी खबर राजधानी पटना से आ रही है जोन की सिर्फ हैरान करने वाली है बल्कि चौंकाने वाली है. दैनिक भास्कर अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार पटना के एसएसपी राजीव मिश्रा ने शराब के धंधे बड़ों से मिली भगत में दीघा थाने की एक मुंशी समेत साथ जवान को सस्पेंड कर दिया है. इन लोगों पर आरोप है कि 90 लाख की शराब जब तो होने पर सूची बनाने के दौरान इन लोगों ने शराब कारोबारी की मदद करते हुए खेल किया था. आसान भाषा में कहा जाए तो शराब कारोबारी के साथ मिलकर बिहार पुलिस के जवान अवैध शराब का कारोबार कर रहे थे।
दीघा में ट्रक और गोदाम से 90 लाख की शराब बरामद की गई थी। इस मामले में पुलिस की मिलीभगत सामने आईं थी। सिटी एसपी और डीएसपी ने जांच की। सूत्रों के अनुसार, इस थाने में तैनात एक मुंशी समेत सात पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें होमगार्ड के भी दो जवान हैं। दोनों होमगार्ड जवान को उनके विभाग को वापस और कर दिया गया है। इस बड़ी कार्रवाई के बाद दीघा थाना में शुक्रवार को हड़कंप मच गया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अब इनपर विभागीय कार्यवाही चलेगी।
जांच में कई ताक्ष्य मिले : 25 नवंबर की रात दीघा पुलिस ने ट्रक से विदेशी शराब की बड़ी
खेप पकड़ी थी। 26 नवंबर को थाने से सटे गोदाम में वहां तैनात तत्कालीन दारोगा ने छापेमारी कर विदेशी शराब बरामद की। ट्रक और गोदाम में बरामद् शराब की कीमत करीब 90 लाख थी। इसकी जब्ती सूची बनाने में बड़ा खेल किया गया। हद तो तब हो गई कि थानेदार समेत 5 पहले ही निलंबित पुलिस की मिलीभगत आने के बाद एसएसपी राजीव मिश्रा ने 27 नबंबर को बड़ी कार्रवाई की थी। उन्होंने तत्कालीन थानेदार रामप्रीत पासवान के साथ ही दारोगा फूल कुमार चौधरी, चालक सिपाही राजेश कुमार, होमगार्ड जबान सररेंद्र कुमार फायर चालक चंदन को निलंबित कर दिया था। साथ ही इन चारों पर केस दर्ज किया गया। न कुमार चौधरी और राजेश को गिरफ्तार भी किया गया था।
इसी शराब को बैरक तक पहुंचा दिया गया। मामला उजागर होने के बाद एसएसपी राजीव मिश्रा ने इसे गंभीरता से लिया और सिटी एसपी सेंट्रल और डीएसपी को जांच का आदेश दिया। दोनों अधिकारियों ने करीब 20 दिन तक थाने के सीसीटीवी फुटेज, पुलिसकर्मियों के मोबाइल की सीडीआर और अन्य वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने के बाद एसएसपी को रिपोर्ट दी।
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