बिहार : जीएसटी में 200 करोड़ का हेरफेर,कारोबारी गिरफ्तार

Gst arrest

केंद्रीय जीएसटी महकमा के डीजीजीआई (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस) की टीम ने 200 करोड़ रुपये से अधिक के जीएसटी में हेराफेरी के मामले का खुलासा किया है। इस गोरखधंधे में सीधे तौर पर 30 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी की बात सामने आई है।

यह बिहार में ऐसा पहला मामला है, जिसमें मास्टरमाइंड प्रेम सुंदर चौधरी को गिरफ्तार किया गया है। प्रेम मुजफ्फरपुर के अहियापुर मंडी में स्क्रैप का कारोबार करता है। यहीं उसने अपना कार्यालय खोल रखा है। यहां जांच टीम ने छापेमारी कर पहले उसके सभी कागजात की जांच की फिर उसे गिरफ्तार किया। इसके फर्जी कारोबार के तार पंजाब की गोविंदगढ़ मंडी तक फैले होने की बात सामने आई। इस पर गोविंदगढ़ मंडी के 3 प्रतिष्ठानों के 5 ठिकानों पर भी व्यापक स्तर पर छापेमारी की गई है। इन सभी स्थानों पर लेनदेन से जुड़े कई संवेदनशील दस्तावेजों के अलावा कई डिजिटल साक्ष्य बरामद किए गए हैं। इसमें वाट्स एप मैसेज के स्क्रीन शॉट समेत अन्य कई ऐसे सबूत शामिल हैं। फिलहाल सभी बरामद दस्तावेजों की गंभीरता से जांच चल रही है। इसकी जद में जल्द ही बड़ी संख्या में कई लोग आएंगे।

गौरतलब है कि जीएसटी के प्रावधान के मुताबिक, 2 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी में गिरफ्तारी का प्रावधान है। साथ ही 5 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी की बात सामने आने पर धारा-132 के तहत गैर-जमानती मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया जा सकता है।

हवाला लेनदेन भी पकड़ा गया पंजाब से लेकर मुजफ्फरपुर तक जीएसटी चोरी के इस फर्जी कारोबार में पूरे पैसे का लेनदेन हवाला के जरिए किया जाता था। यहां से वहां तक हवाला नेटवर्क के जरिए ही काली कमाई का पूरा कारोबार होता था। इससे जुड़े कई दस्तावेज और कागजात मिले हैं। इस नेटवर्क में शामिल लोगों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी चल रही है।

20 से अधिक शेल कंपनियां बनाई थी

अबतक की जांच में यह बात सामने आई है कि प्रेम ने 20 से अधिक खोखा या शेेल कंपनी बना रखी थी। इनके माध्यम से बिना ई-वे बिल या इन्वायस के स्क्रैप का माल मुजफ्फरपुर से पंजाब भेजा जाता था। बड़ी संख्या में इन सेल कंपनियों के नाम पर माल भेजने के लिए फर्जी ई-वे बिल तक जारी कर दिया जाता था। एक-एक सेल कंपनी के नाम पर करोड़ों के माल यानी करीब 700 से 1 हजार ट्रक भेजने के बाद इन्हें बंद कर दिया जाता था। या, इन कंपनियों से लेनदेन अचानक रोक दिया जाता था। इस तरह फिर ऐसी दूसरी और तीसरी कंपनी का उपयोग लेनदेन में किया जाता था।

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.
Recent Posts