बिहार के नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने के लिए ली जाने वाली सक्षमता परीक्षा के संदर्भ में अपर मुख्य सचिव केके पाठक की अध्यक्षता वाली कमेटी ने शनिवार को जो अनुशंसाएं की हैं उसका कड़ा विरोध करते हुए बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष बृजनंदन शर्मा ने संघ की ओर से जारी विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि केके पाठक की अध्यक्षता वाली कमेटी की अनुशंसाएं संविधान और शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 के कंडिका 3 का उल्लंघन है।
सरकार खुद ही नियम बनाती है और खुद ही उसे तोड़ती है। बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2023 के कंडिका 3 में सरकार ने स्पष्ट लिखा है की वैसे स्थानीय निकाय शिक्षक जो नियम के तहत सक्षमता परीक्षा में शामिल या उत्तीर्ण नहीं होते हैं। स्थानीय निकाय शिक्षक के रूप में बने रहेंगे।
यह नियमावली के अधिसूचना का हिस्सा है। इसके बावजूद केके पाठक की अध्यक्षता वाली कमेटी ने न जाने किस आधार पर यह अनुशंसा की है कि जो शिक्षक सक्षमता परीक्षा में तीन बार में उत्तर नहीं होंगे। उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। कमिटी की यह अनुशंसा ही नियम विरोधी एवं हास्यास्पद प्रतीत होता हे।
उन्होंने ऑनलाइन परीक्षा लिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि शिक्षकों को कंप्यूटर की जानकारी नहीं है ना कोई उचित माध्यम से इन्हें प्रशिक्षित किया गया है। 20 वर्षों से कार्यरत शिक्षक जिनकी आयु 50 से ऊपर हो गई है। वे कैसे कम समय में प्रशिक्षण प्राप्त करके ऑनलाइन परीक्षा देने में सक्षम हो जाएंगे।
सोचने वाली बात है। इसका मतलब है कि हमारे दक्ष शिक्षकों को भी निकाल बाहर करने की गंभीर साजिश सरकार कर रही है। इतना ही नहीं सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद शिक्षकों का पदस्थापन के लिए तीन जिलों का ऑप्शन मांगना भी बिल्कुल बेबुनियाद है। जिसका हम लोग कड़ा विरोध करते हैं।
हम सरकार से मांग करते हैं कि सभी शिक्षकों का सक्षमता परीक्षा ऑफलाइन लिया जाए। परीक्षा नहीं देने वाले शिक्षकों को बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2023 के कंडिका तीन में वर्णित नियम के आलोक में नगर निकाय में ही शिक्षक के रूप में बना रहने दिया जाए। उसकी सेवा समाप्त नहीं की जाए एवं पूर्व की तरह जिस जिले में पदस्थापित शिक्षक हैं। परीक्षा पास होने के उपरांत उन्हें अपने ही जिले में अपने ही विद्यालय में पदस्थापित किया जाए।
जहां वे पदस्थापित हैं। साथ ही वैसे शिक्षक जो विकलांग हैं और महिला हैं ।वर्ष 2020 में किए गए समझौते के आधार पर उनका शीघ्र ऐच्छिक स्थानांतरण किया जाए। अगर सरकार यथाशीघ्र बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ की मांगों को नहीं मानती तो वैसी स्थिति में हम अब बड़े आंदोलन के शंखनाद की घोषणा करेंगे। जिसके कारण राज्य के शिक्षा व्यवस्था का माहौल अगर बिगड़ जाता है तो उसकी सारी जिम्मेवारी राज्य सरकार की होगी।