दूध उत्पादन में बिहार बनेगा नंबर 1, नीतीश ने ले लिया गाय-भैंस पालने वाले किसानों के लिए फैसला

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राज्य में दूध उत्पादन और संग्रह बढ़ाने के लिए 5750 नई दुग्ध समितियां गठित होंगी। इसके लिए गांवों का सर्वे भी किया जा रहा है। ज्यादा दूध उत्पादन करने वाले गांवों में समितियां पहले गठित होंगी। राज्य सरकार ने चौथे कृषि रोडमैप में समितियों की संख्या बढ़ाकर 33 हजार 565 करने का लक्ष्य रखा है।

तीसरे रोडमैप के पूर्ण होने तक बिहार में 27 हजार 816 समितियां बन चुकी हैं। अगले पांच साल में वर्ष 2028 तक पांच हजार 750 नई समितियां गठित की जाएंगी। इन समितियों के जरिए दुग्ध संग्रहण इकाइयों की स्थापना की जाएगी। चौथे कृषि रोडमैप में 31 हजार स्वचालित दुग्ध संग्रहण इकाइयों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए करीब 65 हजार पशुपालकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा वैसी दुग्ध समितियों को सक्रिय किया जाएगा, जो अभी निष्क्रिय हो चुकी हैं। सरकार की यह कवायद दूध उत्पादन और संग्रह बढ़ाने के लिए है। नई समितियों के गठन के बाद करीब पौने दो लाख पशुपालकों को दूध बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

कॉम्फेड का बढ़ेगा दायरा हाल के दिनों में काम्फेड का दायरा बढ़ा है। सुधा दूध की बिक्री बढ़ी है। दूसरे राज्यों में भी सुधा के बिक्री केंद्र खुल रहे हैं। इसके अलावा कॉम्फेड की योजना सुधा पाउडर तैयार करने की भी है। विदेशों में उत्पाद पहुंचाने की तैयारी चल रही है। इन सबके लिए ज्यादा दूध की जरूरत पड़ेगी। इस मांग को पूरा करने के लिए गांवों में दुग्ध समितियां गठित की जा रही हैं। कॉम्फेड की ओर से गांवों में जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।

पशुपालकों को होगी सुविधा

अभी तक 800 गांवों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा चुके हैं। नई दुग्ध समितियों के गठन के बाद किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ेगी। दूध बेचने के लिए उन्हें दूर नहीं जाना पड़ेगा। पशुओं के लिए भी चारा आदि इन समितियों के जरिए खरीद सकेंगे।

सात निश्चय के तहत 2750 कमेटी गठित

इसके अलावा सात निश्चय-2 योजना के तहत भी दुग्ध समितियां गठित की जा रही है। वर्ष 2021-25 की अवधि में सात हजार नई दुग्ध समितियों के गठन का लक्ष्य रखा गया था। वर्ष 2021-23 तक करीब 2750 समितियां गठित की जा चुकी हैं। शेष दो वर्षों में 4250 समितियां गठित की जानी है।

बिहार में वर्ष 1985-86 से दुग्ध समितियां बननी शुरू हुईं। तब राज्य में 1030 समितियां थीं। वर्ष 1996-97 में यह संख्या बढ़कर 2728 हो गई। पहला रोडमैप लागू से ठीक पहले वर्ष 2005-06 में दुग्ध समितियों की संख्या 5243 हो चुकी थी। वर्ष 2020-21 में सख्यां 25023 तक पहुंच गई। वर्ष2022-23 में राज्य में दुग्ध समितियों की संख्या 28095 थीं, इसमें से 20427 समितियां क्रियाशील थीं।

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