मैं एक मैकेनिकल इंजीनियर था और पढ़ाई करने के बाद भी मेरा कैंपस सिलेक्शन नहीं हुआ. इसके बाद मैं दिल्ली मुंबई सहित भारत के कई बड़े शहरों में चक्कर लगाता रहा और प्रयास करता रहा कि किसी तरह से एक नौकरी मिल जाए ताकि परिवार का भरण पोषण हो सके. किस्मत ने धोखा दिया। कोरोना के उसे दौर में मैं निराश होकर अपने गांव लौट आया. पढ़ाई करने के अलावे मेरे पास और कोई विकल्प नहीं था मैं जमकर पढ़ाई करने लगा. इसी बीच किसी ने मुझे बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा जारी फॉर्म को भरने के लिए कहा और मैंने भर दिया. पहली बार में असफल रहा लेकिन दूसरी बार में मैं सफलता का परचम लहरा दिया है और मैं डीएसपी बन चुका हूं. अभी दो दिन पहले ही मेरा रिजल्ट आया है।
नीरव कुमार पाल ने पूरे राज्य में 28 में रैंक हासिल कर डीएसपी बन गए हैं. दरअसल, जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के सरसा निवासी नीरव कुमार पाल का चयन डीएसपी के तौर पर किया गया है. 68वीं बीपीएससी परीक्षा में नीरव ने सफलता हासिल की है।
गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के सेवा पंचायत अंतर्गत सरसा गांव निवासी भरत चौधरी के पुत्र नीरव कुमार पाल ने बीपीएससी की परीक्षा में ईबीसी कोटे में 28वीं रैंक हासिल की हैं. उन्होंने डीएसपी के पद पर चयनित होकर अपने गांव का मान बढ़ाया है. नीरव की प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई है. नीरव ने अपनी उच्च शिक्षा पटना में पूरी की. उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में बीपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की है. नीरव ने इस उपलब्धि का श्रेय अपने परिजनों को दिया है. नीरव ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में परिजनों ने हमारा उत्साह और मार्गदर्शन किया, आज उसी का प्रतिफल है कि यह सफलता हाथ लगी है।
नीरव ने बताया कि साल 2020 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है. जिस वक्त अपनी पढ़ाई पूरी की, उस वक्त देशभर में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लग गया. लाख प्रयास करने के बावजूद कहीं प्लेसमेंट नहीं हो पाया था. इसके बाद पढ़ाई छोड़कर घर आना पड़ा था. लेकिन हार ना मानते हुए अपने आप को तैयार किया और सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की. इसके बाद बीपीएससी में चयन हो गया और डीएसपी की रैंक भी मिल गई है।