बिहार के शिक्षा विभाग की खुली पोल, इस स्कूल के शिक्षक ने कबाड़ी में बेच दी 262 किलों किताबें
एक तरफ शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक बिहार की शिक्षा को सुधारने में लगे हैं। यही कारण है कि आए दिन वो स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं और पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दे रहे हैं। केके पाठक की इस मुहिम को उनके स्कूल के प्रधानाध्यापक और शिक्षक ही असफल बनाने में लगे हैं। मुंगेर में बच्चों को पढ़ने के लिए दी जाने वाली किताबे कबाड़ी में बेच दिया गया है। यह काम स्कूल के प्राचार्य ने किया है। कबाड़ी वाले ने बताया कि किताबों का बंडल वो मिर्जापुर मध्य विद्यालय से लेकर आया है। हालांकि स्कूल के प्राधानाध्यापक ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया है।
कबाड़ी गाड़ी पर किताबों से लदे बंडल का किसी ने वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया अब वह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में प्रखंड युवा राजद के अध्यक्ष शंकर यादव नजर आ रहे हैं जो मिर्जापुर भदरखा सड़क पर किताबों से लदे कबाड़ी गाड़ी वाले को रुकवाकर यह पूछते दिख रहे हैं कि वो इन किताबों को कहां से लेकर आया है। कबाड़ी वाले ने बताया कि वह 2550 रुपये में मिर्जापुर मध्य विद्यालय से इन किताबों को खरीदा है।
वायरल वीडियो के संबंध में युवा राजद अध्यक्ष ने बताया कि कबाड़ी गाड़ी पर सरकारी स्कूल की नई किताबों का बंडल बंधा हुआ मिला है। कबाड़ी गाड़ी को रोककर मिर्जापुर मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक हेमकांत झा को इसकी सूचना देने पर प्रधानाध्यापक वहां पहुंचे। प्रधानाध्यापक ने कहा कि विभाग के द्वारा विद्यालय में पहले से रखे गये किताबों को हटाने का निर्देश जारी किया गया है। इसलिए इन किताबों को कबाड़ी वालों से बेचा गया है।इतना कह प्रधानाध्यापक ने कबाड़ी वाले को वहां से जाने को कहा।
वायरल हो रहा वीडियो शिक्षा विभाग की पोल खोलती नजर आ रही है जो चर्चा का विषय बना हुआ है। जो किताब बच्चों को पढ़ने के लिए दिया जाना चाहिए था वो कबाड़ी वाले को बेच दिया गया है। जो एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। लोगों का कहना है कि पता नहीं कितने दिनों से नई किताबें स्कूल में यू ही पड़ा हुआ था लेकिन इसे बच्चों के बीच नहीं दिया गया।
यदि ये किताबें बच्चों को दी गयी होती तो बच्चों को पढ़ाई करने में सुविधा होती। लेकिन इसे बच्चों को ना देकर कबाड़ी में बेचा जा रहा है जो बड़ा सवाल है। लोगों यह पूछ रहे हैं कि किताबें नई हैं इन किताबों को क्यों नहीं बच्चों को दिया गया। अब देखना यह होगा कि केके पाठक इस मामले पर क्या कार्रवाई करते हैं।
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