बिहार का पहला वन्यजीव इको पार्क खुल गया है जो एक वन्यजीव अभयारण्य है। लगभग 14 एकड़ के क्षेत्र में इस अभयारण्य को पर्यावरण और शैक्षणिक दृष्टिकोण से विकसित किया गया है, जो न सिर्फ पर्यटन के लिहाज से बल्कि छात्र-छात्राओं को वन्य जीवन और हमारी प्रकृति के बारे में काफी कुछ सीखाएगा। यह पार्क तीन पार्ट में बनाया गया है। पहला पार्ट पहाड़ी इलाके पर फैला है, जो 7 एकड़ में है। दूसरा पार्के समतल मैदान में 5 एकड़ में बनाया गया है और तीसरा पार्क उसी के ठीक सामने समतल मैदान में दो एकड़ में बनाया गया है। इस इको पार्क का नाम कैमूर जिले में स्थित ऐतिहासिक मां मुंडेश्वरी मंदिर के नाम पर रखा गया है। दावा किया जाता है कि बिहार के कैमूर जिले में मौजूद मां मुंडेश्वरी का यह मंदिर देश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।
इस पार्क को प्राकृतिक पत्थरों, बांस और धातु से बनी संरचनाओं से ही तैयार किया और सजाया गया है। पार्क के दो हिस्सों को जोड़ने के लिए धातु के फुट ओवरब्रिज का निर्माण किया गया है। इसके अलावा यहां ट्री-हाउस, बांस से फुट ब्रिज और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए रेलिंग आदि लगाएं गये हैं, ताकि किसी भी तरह के हादसे की कोई गुंजाइश न हो। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बिहार में पर्यटन के क्षेत्र में एक नए नाम के तौर पर ‘मां मुंडेश्वरी’ वन्यजीव इको पार्क का नाम जुड़ गया है।
‘मां मुंडेश्वरी’ इको पार्क की सबसे बड़ी खासियत यहां 14 एकड़ में विभिन्न जंगली जीवों प्रतिमाएं हैं। इन्हें देखकर ऐसा लगता है, मानो ये अभी सजीव हो उठेंगी। यहां जंगली जीवों जैसे दरियाई घोड़ा, जिराफ, शेर और अन्य के अलावा कई डायनासोर की भी विशाल आकार की मूर्तियों को सजाया गया है। इको पार्क के अलग-अलग कोने में सजायी गयी इन मूर्तियों के माध्यम से डायनासोर के जीवन-चक्र को दिखाने की कोशिश की गयी है। इको पार्क में एक ओपन एयर थिएटर भी बनाया गया है, जहां एक बार में कम से कम 300-400 लोग बैठ सकेंगे। इसे स्थानीय जगहों से मंगाए गये पत्थरों और बोल्डरों से बनाया गया है जहां विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, वर्कशॉप और पर्यावरण से संबंधित कार्यक्रम आयोजित होंगे। इस इको पार्क की एक और बड़ी ही आकर्षक खासियत है – रेनबो पेर्गोलस गेटवेज।
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