एशियन गेम्स में बिहार के लाल दिव्यांग शैलेश ने जीता गोल्ड, पिता करते है खेती और बेटे ने सफलता से जीता सबका दिल

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चीन के हांगझू में चल रहे एशियाई पारा गेम्स 2023 में शैलेश ने भारत को स्वर्ण पदक दिलाया है. शैलेश मूलत: जमुई जिला के अलीगंज प्रखंड के रहने वाले हैं. उनके इस सफलता के बाद चारों तरफ से बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित अन्य लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उन्हें बधाइयां दी है.

गोल्ड मेडल जीतने के बाद शैलेश का दर्द छलक उठा. शैलेश ने कहा कि जिस जगह से आते हैं, वहां पैरा एथलेटिक्स के बारे में लोग जानते तक नहीं है. ऐसे में ट्रेनिंग की बात तो छोड़ ही दीजिए. उन्होंने कहा कि शुरुआत में परिवार के लोगों को भी यह पता नहीं था, लेकिन बाद में धीरे-धीरे उनका साथ मिलने लगा तथा सांई सेंटर में ट्रेनिंग लेने के बाद अब स्थिति थोड़ी बहुत बेहतर हुई है. उन्होंने अपना मैडल कोच को समर्पित किया है.

एशियन गेम्स का गोल्ड मेडलिस्ट शैलेश है किसान का पुत्र

शैलेश कुमार जमुई जिला के अलीगंज प्रखंड के इस्लामनगर के रहने वाले हैं और उनके पिता मूल रूप से किसान हैं. शैलेश ने इससे पहले पैरा एथलेटिक्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में 1.83 मीटर ऊंची छलांग लगाई थी तथा हाई जंप प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर रहे थे. शैलेश इससे पहले बेंगलुरु में आयोजित पांचवी इंडियन ओपन पहले एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ऊंची कूद प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया था तथा बचपन से ही उनकी रुचि खेल के प्रति रही है लिए.

उल्लेखनीय है कि शैलेश के पिता किसान है और शैलेश बचपन से ही दिव्यांग है, परंतु इसके बावजूद अपनी मेहनत के दम पर एशियन गेम्स में अपनी जगह बनाई है. बताते चलें कि पैरा एथलेटिक्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में शुरुआती चार स्थान पर जगह बनाने वाले खिलाड़ियों का चयन एशियन गेम्स के लिए किया जाता है.

पेरिस में हुए एथलेटिक्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी जीता था रजत पदक

पिछले महीने शैलेश ने फ्रांस के पेरिस में आयोजित हुए पैरा एथलेटिक्स वर्ल्ड चैंपियनशिप की प्रतियोगिता में हाई जंप स्पर्धा में दूसरा स्थान हासिल करते हुए रजत पदक अपने नाम किया था. जिसके बाद से हीं एशियन गेम्स में उनका चयन किया गया था. शैलेश के प्रदर्शन के बाद पूरे जिला के खेल प्रेमियों में हर्ष का माहौल है और लोगों ने शैलेश को शुभकामनाएं भी दे रहे हैं.

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