वनवासी गौरव दिवस के रुप में मनाई गई क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की जयंती।सदस्यों ने कहा देश की आजादी में क्रांतिकारी आदिवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
फ्रेंड्स ऑफ तिलकामांझी समाजिक मित्र मंडली भागलपुर द्वारा तिलकामांझी स्थित कार्यालय में वनवासी गौरव दिवस के रुप में क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष इंदु भूषण झा ने की। जयंती समारोह का शुभारंभ क्रांतिकारी बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण कर प्रधान संरक्षक जगतराम साह कर्णपुरी ने किया। अन्य सदस्यों ने भी चित्र पर पुष्पांजलि कर क्रांतिकारी बिरसा मुंडा को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। तदुपरांत अपने उद्बोधन में जगतराम साह कर्णपुरी ने कहा कि आज जिस आजादी के वट वृक्ष के नीचे हम सभी खुली सांसे ले रहे हैं उसे सजाने-संवारने में क्रांतिकारी आदिवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उसी आदिवासी क्रांतिकारियों में एक थे शहीद बिरसा मुंडा जिन्होंने जल, जंगल और जमीन पर संपूर्ण अधिकार के लिए अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लिया था।
सचिव रजनीश कुमार सिंह ने कहा कि बिरसा मुंडा ने आदिवासियों की गरीबी और शोषण पर गहन चिंतन किया था। उन्होंने माना था अंग्रेजों की क्रूरता और जमींदारी शोषण इसका प्रमुख कारण है। इसी के विरुद्ध उन्होंने आदिवासी समाज को संगठित कर अंग्रेजों को चुनौती दी।
जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए इंदु भूषण झा ने कहा कि 1899 से 1900 में छोटानागपुर में अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध ‘मुंडा विद्रोह” हुआ था। इस विद्रोह का नेतृत्व क्रांतिकारी बिरसा मुंडा ने किया था। बिरसा मुंडा ने सामाजिक और धार्मिक आंदोलन के आधार पर आदिवासी समाज को हथियारबंद कराया। मुंडा जनजाति के साथ-साथ अन्य जनजातियों को अपने अधिकार के प्रति सजग कराया और अंग्रेजों के विरुद्ध संगठित किया।
इसके अलावा जयंती समारोह को राज कुमार झा, चंदन झा, अमित कुमार सरस्वती, राणा पोद्दार, चंदन झा, रोहित यादव, अनील तिवारी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन अमीत प्रताप सिंह ने किया।