बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने सोमवार को जाति जनगणना के आंकड़े पेश कर दिए हैं. इस जनगणना के आंकड़ों का सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आंकड़ों में बताया गया है कि सूबे में अति पिछड़ा वर्ग की संख्या सबसे ज्यादा है. इसके बाद दूसरे नंबर पर अन्य पिछड़ा वर्ग आता है, जिसकी संख्या 27.13 फीसदी है. आंकड़े जारी होते ही राज्य का सियासी पारा चढ़ गया. प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी ने इस रिपोर्ट को अधूरा बताया है. साथ ही साथ कहा है कि इसमें कुछ भी नयापन नहीं है।
जातिगत जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने नीतीश सरकार को निशाने पर लिया है. उनका कहना है कि जातीय जनगणना बिहार की गरीब जनता में भ्रम फैलाने के अलावा कुछ नहीं है. उन्होंने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि नीतीश कुमार को अपने 15 साल और लालू यादव को अपने 18 साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड पेश करना चाहिए था. उन्हें बतानाचाहिए था कि उन्होंने अपने कार्यकाल में गरीबों का क्या उद्धार किया है, कितने लोगों को नौकरियां दी हैं।
बिहार में जाति जनगणना के आंकड़े
- 27.12 % पिछड़ा वर्ग
- अति पिछड़ा वर्ग-36.01%
- 15.52% सामान्य वर्ग
- अनुसूचित जाति-जनजाति की 21% से ज्यादा आबादी
- यादव- 14.26%
- कुशवाहा- 4.21%
- ब्राह्मण- 3.66%
- राजपूत- 3.45%
- कुर्मी- 2.87%
- मुसहर- 3.08%
- भूमिहार- 2.86%
- मल्लाह- 2.60%
- बनिया- 2.30%
- धानुक- 2.13%
- नोनिया- 1.6%
- कुम्हार- 1.40%
- पासी- 0.98%
- कायस्थ- 0.60%
- राजवंशी- 0.22%
- राजभर- 0.17%