भागलपुर के पूर्व भाजपा प्रत्याशी व राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य भाजयुमो अर्जित शश्वत चौबे ने विगत दोनो परबत्ति में बुढ़िया काली मंदिर में तोड़ – फोड़ एवं पथराव करने वाले उपद्रवियों को गिरफ्तार नहीं करने पर कड़ी निन्दा जताते हुए उग्र आंदोलन की चेतावनी बिहार सरकार को दिया है।
चौबे ने कहा की अभी तक परबत्ति के माँ बुढ़िया काली स्थान में पथराव करने वाले एक भी उपद्रवी की बिहार सरकार के इशारे पर गिरफ्तारी नहीं हुई है, वहीं दोषियों की गिरफ्तारी के मांग को लेकर शांतिपूर्ण धरना दे रहे बीजेपी के कार्यकर्ताओं को पहले धरना स्थल से घसीट कर अमानवीय तरीके से थाना ले जाकर हाजत में रखा गया जो लोकतंत्र का मजाक उड़ाने के लिए काफी है। राजनैतिक कार्यकर्ताओं के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार करना इस सरकार की नियति बन गई है। हिंदुओं की आस्था पर लगातार प्रहार हो रहा है और नीतीश सरकार तुष्टिकरण का राग अलाप कर अपराधियों और उपद्रवियों का पोषण कर रहा है जो घर निंदनीय है। करोड़ों हिंदुओं को ठेस पहुंचाने वाली अनेकों घटनायें भागलपुर सहित राज्य में घट रही है लेकिन सरकार के निर्देश पर पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रही है।
भागलपुर के सौहार्द को बिगाड़ने का काम किसके इशारे पर फल फूल रहा है यह उक्त घटना से स्पष्ट हो जाता है। ये वही सरकार है जो राम भक्तों को जेल में डालती है और पत्थर फेंकने वालों को पुरस्कृत करती है। जिस प्रकार राष्ट्रीय चैनल के एक पत्रकार को लाठी डंडे से पीटा गया वह काफी चिंताजनक है क्योंकि पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जाने जाते हैं। वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है की किस प्रकार पत्रकार को पीटा जा रहा है उसके बावजूत किसी पुलिस पदाधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई यह शर्मनाक है। इस प्रकार की घटनाओं की अनदेखी करकर प्रशासन स्वयं अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है।
भारतीय जनता पार्टी का एक एक कार्यकर्ता लोकतंत्र की हत्या करने वाली इस सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकने में पीछे नहीं रहेगी। अगर यथाशीघ्र दोषियों को पकड़कर त्वरित कार्रवाई नहीं हुई तो उग्र आंदोलन के लिए बिहार सरकार तैयार रहे चूंकि सड़क से सदन तक पार्टी इनका कड़ा प्रतिकार करेगी। विरोध व्यक्त करने वालों में अर्जित चौबे के अलावा भाजपा के वरिष्ट नेता अरुण कुमार सिंह, देव कुमार पांडे, अनूप लाल साह, रामनाथ पासवान, सज्जन अवस्थी, नरेश यादव, शरद वाजपेई, रूबी दास, सुरेंद्र पाठक, सज्जन साह, घनश्याम पाल, अरुण भगत, पूनम भगत, खोखा साह, पंकज सिंह, मुन्ना सिंह, दिनेश मंडल, संजय हरी, रंजित सिन्हा, अभिषेक पिंटू आदि सैकड़ों कार्यकर्ता सम्मिलित हैं।