मोहन यादव 58 साल के हैं। वह उज्जैन के फ्रीगंज (मुंज मार्ग) के निवासी हैं। वह सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले नेता हैं। उनकी छवि साफ-सुथरी रही है। वह भाजपा से छात्र राजनीति के समय से ही जुड़े हैं। उज्जैन दक्षिण से चुनाव जीते यादव की छवि पर कोई दाग नहीं रहा है, लेकिन अपनी असंयमित भाषा की वजह से वह कई बार सुर्खियों में रहे हैं। 2020 के उपचुनाव में चुनाव आयोग ने यादव के चुनाव प्रचार पर एक दिन का प्रतिबंध लगा दिया था।
प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए मोहन यादव ने सीता के जीवन को तलाकशुदा महिलाओं जैसा बताया था। उज्जैन के एक कार्यक्रम में कारसेवकों को संबोधित करते हुए मोहन यादव ने कहा था, “जिस सीता माता को राम इतना बड़ा युद्ध करके लाए, उन्हें गर्भवती होने पर भी राज्य की मर्यादा के कारण छोड़ना पड़ा। सीता माता के बच्चों का जन्म जंगल में हुआ। इतने कष्ट के बावजूद भी वह पति के प्रति कितनी श्रद्धा करती है कि कष्टों को भूल कर भगवान राम के जीवन की मंगल कामना करती है… आज के दौर में ये जीवन तलाक के बाद की जिंदगी जैसा है। भगवान राम के गुणों को बताने के लिए उन्होंने बच्चों को भी संस्कार दिए।” सीता के धरती में समाने के प्रसंग को लेकर यादव ने कहा था, “आज की भाषा में इसे आत्महत्या कहा जाता है।”
बताते चले कि उज्जैन दक्षिण से भाजपा विधायक मोहन यादव मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे। 11 दिसंबर को भोपाल में भाजपा विधायक दल की बैठक में मोहन यादव के नाम पर मुहर लगी। इसके बाद उनके नाम की घोषणा की गई। मोहन यादव 2020 से शिवराज सिंह चौहान की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे।