शिक्षा विभाग के द्वारा शिक्षकों को बोरा बेचने के दिए गए निर्देश पर राजनीतिक बयान बाजी खत्म होती नहीं दिख रही है. बिहार विधानसभा में विरोधी दल के नेता विजय सिन्हा ने नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा नीतीश कुमार पर संगत का असर दिखने लगा है. वैसे लोग के साथ वह गठबंधन किए हुए हैं जो बिहार में कभी चरवाहा विद्यालय की परिकल्पना किए हुए थे. नीतीश कुमार की सरकार में शिक्षकों को शैक्षणिक कार्य के बदले बोरा बेचने का निर्देश दिया जा रहा है।
विजय कुमार सिन्हा ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार गैर शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों को लगाकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. विजय ने बिहार सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में पशु तस्करों का बोलबाला हो गया है. गो तस्कर खुलेआम इसकी तस्करी कर रहे हैं. सभी थानों में पैसा फिक्स है और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।
आपको बता दें कि बिहार शिक्षा विभाग के ACS केके पाठक ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने का जिम्मा अपने कंधे पर उठा लिया है. पाठक एक के बाद एक फरमान जारी कर चर्चा में बने हुए हैं. हाल ही में उन्होंने एक नया फरमान जारी किया है. कुछ फरमानों पर सियासत भी फुल स्पीड में हो रही है. ऐसा ही एक आदेश शिक्षा सचिव ने जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि मिड डे मील के तहत जो भी खाद्यान्न स्कूलों को दिया किया जाता है, उसके बोरे को बेचने की जिम्मेदारी भी अभी स्कूल के शिक्षकों की होगी. अब सरकारी स्कूलों के हेड मास्टरों को बोरे बेचने पड़ेंगे, वो भी 20 रूपए प्रति बोरा के हिसाब से. पहले ये एक बोरा 10 रूपए में बेचा जाता था।
पाठक के इस फरमान पर शिक्षकों का साफ तौर पर कहना है कि एक तो स्कूल में संसाधनों की कमी है, दूसरा मध्यान भोजन रखने के लिए स्टोर तक की व्यवस्था खुद से करनी पड़ती है. अब खाली बोरो की जिम्मेदारी भी उन्हें संभालना काफी मुश्किल होगा।