लालू यादव ने कहा कि महाराष्ट्र की घटना के बाद भाजपा की नजर बिहार पर लगी है। तोड़-फोड़ की कोशिश हो रही है, लेकिन यहां उसकी दाल नहीं गलने वाली। मध्यप्रदेश में तोड़ने की कोशिश हो रही है। बिहार में इन्हें हिलने-डुलने नहीं देंगे। बिहार से ही इनका सफाया शुरू होगा। बिहार तो उड़ती चिड़िया को हरदी लगाता है। हम सभी इकह्वा होकर हर चुनौती का सामना सफलतापूर्वक कर सकते हैं। कहा कि आज आरक्षण खत्म करने की साजिश हो रही है। राम-रहीम के बंदों को लड़ाने की साजिश चल रही है। भाई-भाई में नफरत फैलाने की कोशिश हो रही है। आज देश टूट रहा है, लोकतंत्र खतरे में है। आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी चारों तरफ डाका डाल रहे हैं पर बिहार में हम उन्हें नेस्तनाबूत कर देंगे।
नीतीश कुमार की जीवनी के लेखक और उनके मित्र उदयकांत ने कहा कि नीतीश कुमार जब भी हारे, हारकर फिर खड़े हुए हैं। वे संघर्ष के प्रतीक हैं। उनके व्यक्तित्व का हर पक्ष बेहद प्रभावी है। एक छोटी सी बूंद कैसे समुद्र में तब्दील हुई, यह सबको जानना चाहिए। जयप्रकाश नारायण ने 74 वर्ष की उम्र में ही बड़ी क्रांति की, आज नीतीश कुमार भी 74-75 वर्ष के हैं। आज देश उनकी तरफ बड़ी उम्मीद से देख रहा है। पहले की ही तरह वो अपने अभियान में अवश्य सफल होंगे। वो मशाल है, नया आयाम खड़ा कर सकते हैं।
माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य सुभाषिनी अली ने मौजूदा समय में नीतीश-लालू प्रसाद की जोड़ी को ही देश की वर्तमान समस्या का समाधान बताया। कहा कि इस समय जिस ताकत के खिलाफ लड़ना है, वह सबसे बड़ी ताकत है। मनुवादी ताकतों से मिलकर ही लड़ना होगा। उन्होंने पुस्तक की तारीफ की, लेकिन कुछ स्थानों पर पूर्वाग्रही होने का आरोप लगाया। कहा कि वामपंथ को लेकर विश्लेषण सच नहीं है। जेपी आंदोलन में वामपंथ की भूमिका पर की गयी बातों पर भी आपत्ति की। बाबा नागार्जुन को उद्धृत करते हुए कहा कि उन्होंने जेपी के आंदोलन के समय जेल में बंद एक संघी से पीड़ित होकर इसे खिचड़ी क्रांति कह दिया था।
राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि जीवनी यदि दोस्त लिखता है तो उसमें अधिक जीवंतता आती है। कार्यक्रम का संचालन जगजीवन राम ससंदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान के निदेशक नरेन्द्र पाठक ने की। कार्यक्रम के समापन पर राजकमल प्रकाशन की पटना शाखा के प्रबंधक वेद प्रकाश ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।