आयुर्वेद में काली हल्दी के कई फायदे, कैंसर के इलाज में भी मददगार

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हल्दी अपने औषधीय गुणों से भरी हुई है। यह एक तरह से एंटीबायोटिक व एंटी सेप्टिक होती है। आपने अक्सर अपने घरों में सुना होगा कि अगर चोट लगी है या कमजोरी आ रही है, शरीर के किसी हिस्से में दर्द हो रहा है, तो हल्दी वाला दूध पी लो, सब सही हो जाएगा।

वैसे तो पीली हल्‍दी के अपने आप में कई सारे गुण है, मगर बात अगर काली हल्दी की करें, तो यह बेहद चमत्‍कारिक है। इसके फायदे जानकर आप हैरान हो जाएंगे।

आयुर्वेद में काली हल्दी के गुणों को जानने के लिए आईएएनएस ने त्रियान्यास हेल्थ मंत्र की संस्थापक, आयुर्वेद सलाहकार डॉ. पूर्णिमा बहुगुणा से बात की।

डॉ. पूर्णिमा बहुगुणा ने बताया, ”काली हल्‍दी बंगाल में सबसे ज्‍यादा पाई जाती है। इसके अलावा यह उत्तराखंड, पूर्वोत्तर राज्यों और मध्‍य प्रदेश में भी उगाई जाती है। यह खांसी, दमा, और निमोनिया की बीमारी में तो काम आती ही है। इसके अलावा यह टीबी के इलाज में भी मददगार होती है। ”

उन्‍होंने कहा, ” यह इम्यून सिस्टम सही रखने के साथ कई तरह की गंभीर बीमारियों से लड़ने में भी मदद करती है। मगर जो चीज इसे बेहद खास बनाती है, वह यह है कि यह कैंसर के इलाज में भी बेहद फायदेमंद होती है।”

इसके फायदों पर बा‍त करते हुए डॉ. पूर्णिमा बताया, ” साधारण अदरक का करक्यूमिन लेवल केवल एक प्रतिशत होता है। वहीं काली हल्‍दी का करक्यूमिन लेवल 10.5 प्रतिशत होता है, जो इसे बेहद गुणकारी बनाता है। इसके चलते यह कैंसर, टीवी, अर्थराइटिस, लंग्स इन्फेक्शन और निमोनिया के इलाज में काम आती है।”

उन्‍होंने बताया, ”काली हल्‍दी बेहद गर्म होती है, जिनको पित्त संबंधी रोग होते हैं, उनके लिए भी यह बेहद फायदेमंद होती है। यह गॉलब्लैडर, बांझपन जैसी समस्‍याओं में भी काम करती है, लेक‍िन इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्‍टर से सलाह जरूर लें।

उन्‍होंने कहा कि यह टूटी हड्डी जोड़ने के साथ घांवों को भरने में भी मदद करती है। यह मोच को जल्‍दी से ठीक कर देती है। इतने सारे गुण होने की वजह से अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में इसकी कीमत बहुत ज्‍यादा है।

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