पटना। बिहार के 10 जिलों के नौ सदर अस्पतालों एवं एक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाजरत मरीजों को खून या उसके किसी कंपोनेंट की कमी होने पर तत्काल उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए इन दस जिलों में ब्लड सेपरेटर यूनिट की स्थापना की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, सहरसा, सारण, मधुबनी, सीतामढ़ी, सीवान, गोपालगंज, किशनगंज, औरंगाबाद और बक्सर के सदर अस्पतालों एवं राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल, बेतिया में ब्लड सेपरेटर यूनिट लगेगी। ब्लड सेपरेटर यूनिट में एक यूनिट ब्लड से आरबीसी (हीमोग्लोबिन), प्लेटलेट्स तथा प्लाजमा को अलग कर अलग-अलग जरूरतमंद मरीजों को उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि समय पर रक्त या रक्त कंपोनेंट की उपलब्धता से मरीज की जीवन रक्षा की जा सके।
अभी राज्य में 51 ब्लड सेपरेटर यूनिट
राज्य में फिलहाल 51 ब्लड सेपरेटर यूनिट हैं। इनमें 14 राज्य सरकार द्वारा स्थापित हैं, जबकि दो रेडक्रॉस और 35 प्राइवेट सेक्टर में स्थापित हैं। इनमें 14 सरकारी अस्पतालों एवं दो रेडक्रॉस कार्यालय में यानी कुल 16 ब्लड सेपरेटर यूनिट सरकारी क्षेत्र के अस्पतालों में हैं। सरकारी अस्पतालों में पीएमसीएच, एनएमसीएच, आईजीआईएमएस, मॉडल ब्लड बैंक ( जयप्रभा अस्पताल, पटना) पटना एम्स, एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर, डीएमसीएच, दरभंगा, जेएलएनएमसीएच, भागलपुर, एएनएमसीएच गया, राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल पूर्णिया, सदर और बेगूसराय स्थित सदर अस्पताल में इनका संचालन हो रहा है।
हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा का उपयोग
ब्लड बैंक के राज्य प्रोग्राम पदाधिकारी डॉ. एनके गुप्ता के अनुसार, हीमोग्लोबिन की कमी झेल रहे रक्तअल्पता, अधिक रक्तस्राव, ट्रामा एवं सर्जरी के मरीजों को आरबीसी की आपूर्ति की जाती है। डेंगू, कैंसर एवं अन्य बीमारियों में प्लेटलेट्स की कमी होती है। इन मरीजों के लिए प्लेटलेट्स की आपूर्ति की जाती है। जलने से पीड़ित मरीज, दुर्घटना में अधिक रक्तस्राव से पीड़ित मरीजों को प्लाज्मा की आपूर्ति की जाती है।