‘फूंके हुए कारतूस या फ्यूज बल्ब?’ प्रशांत किशोर के कुनबे में वैसे सैनिकों की भर्ती, जो अपनी पार्टी में थे हाशिये पर

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चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बनने वाले प्रशांत किशोर का दावा है कि 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन बिहार के एक करोड़ लोगों के साथ वह अपनी पार्टी की शुरुआत करेंगे. उनके कहना है कि जन सुराज 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ेगा. पिछले दो वर्षों से वह पदयात्रा पर निकले हुए हैं. पीके के मुताबिक सूबे में पिछले 34 वर्षों के शासनकाल से जनता ऊब चुकी है. बिहार की जनता बदलाव चाहती है और जन सुराज लोगों को एक विकल्प के रूप में दिख रहा है।

नेताओं का जन सुराज की तरफ झुकाव: प्रशांत किशोर के साथ राजनीतिक दलों के नेता लगातार जुड़ रहे हैं. उन्हें लग रहा है कि जिस पार्टी में वह हैं, वहां पर उनके लिए कोई भविष्य नहीं है. ऐसे में प्रशांत किशोर से बेहतर विकल्प और क्या हो सकता है. यही कारण है कि बिहार की राजनीति के कई चर्चित चेहरे उनके साथ जुड़े हैं।

देवेंद्र यादव और आनंद मिश्रा भी जुड़े: पिछले दिनों आरजेडी से 5 बार के सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव, आरजेडी के पूर्व एमएलसी रामबली सिंह चंद्रवंशी, जेडीयू के पूर्व सांसद मुनाजिर हसन, पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पोती डॉ. जागृति, बक्सर से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा भी प्रशांत किशोर के साथ जुड़ चुके हैं. इसके अलावे करीब दो दर्जन पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी जन जुराज का दामन थाम चुके हैं।

ईमानदार नेता की जरूरत: दूसरे दलों से आने वाले नेताओं के फायदे और नुकसान के बारे में प्रशांत किशोर भलीभांति जानते हैं. यही वजह है कि देवेंद्र यादव को जन सुराज की सदस्यता ग्रहण कराने के दौरान उन्होंने साफ तौर पर कह दिया कि उन्हें ईमानदार नेता की जरूरत है, चाहे वह नेता अपनी पुरानी पार्टी में हाशिये पर क्यों ना रहा हो।

“राजनीतिक दलों के शीर्ष पर बैठा आदमी यदि भ्रष्टाचारी और उसके साथ काम करने वाला ईमानदार हो तो वह ईमानदार को अपने साथ लाना पसंद करेंगे. ईमानदार आदमी सिद्धांत को लेकर चलता है, किसी व्यक्ति के झंडे को लेकर नहीं.”- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

क्या बोले देवेंद्र यादव?: वहीं, आरजेडी का साथ छोड़कर जन सुराज का दामन थामने वाले देवेंद्र प्रसाद यादव ने भी कहा कि वह हमेशा सिद्धांत को लेकर चले हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में सिद्धांत को प्राथमिकता दी है. वह झोपड़ी में रहना पसंद करेंगे लेकिन वैसे लोगों के साथ रहना पसंद नहीं करेंगे, जो महलों में रहता हो लेकिन ईमानदार ना हो।

‘चुनाव बाद पता चलेगी ताकत’: प्रशांत किशोर के बढ़ते जनाधार को लेकर बीजेपी का कहना है कि विधानसभा चुनाव के बाद उनकी ताकत का पता चलेगा. उन्होंने कहा कि अभी तो वह लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैं, इसलिए लोग जुड़ भी रहे हैं लेकिन इससे जनाधार का पता नहीं लगता।

“प्रशांत किशोर अभी तक राजनीति में नहीं आए थे. वह जो लोगों को सपना दिखा रहे हैं, उसी झांसे में आकर कुछ लोग उनके साथ जुड़ रहे हैं. चुनाव के बाद उनको हकीकत का पता चल जाएगा. प्रशांत किशोर सिर्फ बिहार के बारे में बोलते हैं. वह राष्ट्रीय राजनीति के बारे में कुछ नहीं बोलते, जबकि हकीकत यही है कि उनके परिवार के लोगों को बिहार की भाषा और बिहार के बारे में कोई जानकारी नहीं”- मनीष पांडेय, प्रवक्ता, बिहार बीजेपी

‘फूंके हुए कारतूस के सहारे पीके की राजनीति’: वहीं, आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि प्रशांत किशोर वैसे लोगों को अपनी पार्टी में शामिल करवा रहे हैं, जो फूंके हुए कारतूस हैं. उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर ऐसे लोगों को अपने साथ ला रहे हैं, जो कई दलों में रह चुके हैं. ऐसे लोगों की जनता में स्वीकार्यता अब खत्म हो गई है।

“फूके हुए कारतूसों के सहारे प्रशांत किशोर आगे की राजनीति करने का प्रयास कर रहे हैं. वह यह भूल गए हैं कि बिहार के लोग जिसे एक बार रिजेक्ट कर देते हैं, उसको दोबारा अपने साथ नहीं जोड़ते. प्रशांत किशोर कभी राजनीति में रहे नहीं. उन्होंने लोगों के बीच रहकर कभी संघर्ष नहीं किया. वह बेहतरीन नारा बना सकते हैं लेकिन हकीकत यह है कि वह बिहार की राजनीति के लिए रेलीवेंट नहीं है.”- एजाज अहमद, प्रवक्ता, राष्ट्रीय जनता दल

क्या कहते हैं जानकार?: वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का मानना है कि प्रशांत किशोर पूरे बिहार में पदयात्रा पर निकले थे. लोगों की समस्या को समझने का प्रयास कर रहे थे लेकिन राजनीतिक दल के गठन से पहले वह अपने दल में ऐसे लोगों को अपने साथ जोड़ रहे हैं, यह निराशाजनक है. उनके मुताबिक जो व्यक्ति अपने ही दल में हाशिये पर रहे हैं, उनको जोड़कर क्या मैसेज देना चाहते हैं? क्यों नहीं आप नए लोगों को मौका दे रहे हैं?

“प्रशांत किशोर वैसे राजनेताओं को अपने साथ जोड़ रहे हैं, जो अपनी पुरानी पार्टी में हाशिये पर थे, या यूं कहें कि फ्यूज बल्ब हो गए थे. ऐसे लोगों को अपने साथ जोड़कर आप कैसे बिहार में पहले से ताकतवर बीजेपी, आरजेडी या जेडीयू के साथ मुकाबला कर सकेंगे?”- सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

आरजेडी से नेताओं के इस्तीफे का सिलसिला: राष्ट्रीय जनता दल में लोकसभा चुनाव के समय से ही लगातार इस्तीफों का सिलसिला चल रहा है. पूर्व मंत्री वृषण पटेल, पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक करीम, पूर्व सांसद देवेंद्र प्रसाद यादव, पूर्व सांसद सीताराम यादव, पूर्व मंत्री श्याम रजक और पूर्व विधान परिषद रामबली सिंह चंद्रवंशी के अलावा दर्जनों नेता अब तक पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं।

आरजेडी नेताओं को जगदानंद सिंह की चेतावनी: जन सुराज को लेकर ही आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को पत्र लिखकर कहा था कि प्रशांत किशोर बीजेपी की बी टीम है. उन्होंने कहा कि आरजेडी के कई नेताओं का प्रशांत किशोर से मिलने की सूचना मिली है. अपने नेताओं को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि जो नेता प्रशांत किशोर के संपर्क में होंगे, वैसे नेताओं को चिह्नित कर उन पर कार्रवाई की जाएगी।

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