नीली जीभ..तेज बुखार और कमजोरी, गाय-बकरियों में फैला नया जानलेवा Bluetongue Virus
ब्लूटंग वायरस हाल के दिनों में किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बन गया है। यह वायरस मच्छरों के काटने से फैलता है और मुख्य रूप से भेड़ और गाय जैसे पशुओं को प्रभावित करता है। ब्लूटंग वायरस से संक्रमित पशुओं में बुखार, पैरों में सूजन और जीभ नीली पड़ने जैसे लक्षण दिखते हैं, जिससे पशुओं की हालत गंभीर हो जाती है। इस वायरस के कारण कई किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है, क्योंकि उनके पशु बीमार हो रहे हैं या मर रहे हैं।
इसके चलते किसानों में तनाव और चिंता बढ़ गई है। पशुधन किसानों की Livelihood का मेन स्रोत होता है, और जब उनके पशु इस वायरस से संक्रमित होते हैं, तो उनकी रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ता है। हालांकि, इस वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण और मच्छरों से बचाव के उपाय किए जा सकते हैं, जिससे इस वायरस को कम किया जा सके।
क्या है Bluetongue Virus?
ब्लूटंग वायरस एक ऐसा वायरस है जो मच्छरों के जरिए फैलता है। यह पशुओं के खून में जाकर उन्हें बीमार कर देता है। इस वायरस का मुख्य लक्षण यह है कि पशुओं की जीभ नीली हो जाती है, इसलिए इसे “ब्लूटंग” कहा जाता है। इसके अलावा पशुओं में बुखार, पैरों में सूजन और कमजोरी जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं।
Following confirmed cases of Bluetongue virus, a restricted zone has been declared in Norfolk and Suffolk.
All keepers of ruminants, such as cattle and sheep, and camelids in this zone need to follow restrictions on animal movements.
Read more: https://t.co/2TuLoWcM7Z pic.twitter.com/TBYYz3XdcE
— Defra UK (@DefraGovUK) August 31, 2024
किसानों की चिंता क्यों बढ़ रही है?
जब कोई पशु ब्लूटंग वायरस से संक्रमित हो जाता है, तो उसकी हालत बहुत खराब हो जाती है। कई बार पशु की मौत भी हो जाती है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। कुछ किसान अपने पशुओं के इलाज पर पैसा खर्च करते हैं, लेकिन इलाज भी हमेशा सफल नहीं होता। इस स्थिति में, कई किसानों को अपने पशुओं की चिंता के साथ-साथ अपनी रोजी-रोटी की भी चिंता होती है।
कहां से जन्मा ये वायरस
Bluetongue Virus का जन्म अफ्रीका में हुआ माना जाता है। यह वायरस सबसे पहले वहां के पशुओं में पाया गया था, और धीरे-धीरे यह अन्य देशों में भी फैलने लगा। यह मच्छरों के जरिए फैलता है, जो संक्रमित पशुओं से वायरस लेकर अन्य पशुओं को संक्रमित कर देते हैं। गर्म और नमी वाले क्षेत्रों में यह वायरस तेजी से फैलता है, इसलिए यह सबसे पहले अफ्रीका के Tropical इलाकों में देखा गया था। आज यह वायरस कई देशों में पाया गया है, खासकर उन जगहों पर जहां मच्छरों की संख्या ज्यादा होती है।
अब तक कितने आ चुके है केस
ब्लूटंग वायरस के मामले अलग-अलग देशों में अलग-अलग समय पर सामने आते रहे हैं। 2023 तक यूरोप और एशिया के कई देशों में इसके मामले दर्ज किए गए हैं, विशेष रूप से स्पेन, इटली, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम में। यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ECDC) के अनुसार, 2023 के मध्य तक यूरोप में करीब 300 से 500 मामलों की पुष्टि की गई थी।
हालांकि, यह संख्या मौसम, क्षेत्र और रोकथाम के उपायों के आधार पर बदल सकती है। भारत में 2023 में कुछ राज्यों में इसके प्रकोप की खबरें आई हैं, लेकिन सही आंकड़े सरकारी एजेंसियों द्वारा अभी तक नहीं जारी किए गए हैं।
इलाज और बचाव
फिलहाल, ब्लूटंग वायरस का कोई प्रॉपर इलाज नहीं है, लेकिन इससे बचने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। मच्छरों से बचाव करना सबसे जरूरी है, क्योंकि यह वायरस मच्छरों के काटने से फैलता है। किसानों को अपने पशुओं को साफ और सुरक्षित स्थान पर रखना चाहिए। इसके अलावा, ब्लूटंग के लिए टीके भी उपलब्ध हैं, लेकिन ये टीके सिर्फ पशुओं का बुखार कंट्रोल कर सकते हैं।
विशेषज्ञों की सलाह
सरकार और हेल्थ एक्सपर्ट्स किसानों को सलाह दे रहे हैं कि वे अपने पशुओं पर ध्यान दें और किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। समय पर पशु हेल्थ एक्सपर्ट्स की सलाह लेना और टीकाकरण कराना जरूरी है।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.