पटना (बिहार): अगर आपने जमीन खरीदी है लेकिन विक्रेता ने अब तक उसका दाखिल खारिज (Mutation) नहीं कराया है, तो यह आपके लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। इस विषय पर बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने स्पष्ट किया है कि किन परिस्थितियों में दाखिल खारिज का आवेदन अस्वीकृत हो सकता है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
दर केवाला न होना बन सकता है बड़ी समस्या
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अनुसार, दाखिल खारिज आवेदन के अस्वीकृत होने का एक प्रमुख कारण ‘दर केवाला’ यानी विक्रेता का बहीखाता या जमीन के स्वामित्व का प्रमाणपत्र न होना है। यदि विक्रेता ने स्वयं अपनी जमीन का दाखिल खारिज नहीं कराया है, तो खरीदार को विक्रेता से उसका दर केवाला प्राप्त करना अनिवार्य है। इसके बिना दाखिल खारिज का आवेदन करना संभव नहीं है।
इन दस्तावेजों को करना होगा संलग्न
दाखिल खारिज के लिए आवेदन करते समय निम्नलिखित दस्तावेज अनिवार्य रूप से संलग्न करने होंगे:
- विक्रेता का दर केवाला (बहीखाता या स्वामित्व प्रमाण पत्र)
- खरीदार का केवाला (खरीद का रजिस्ट्री दस्तावेज)
- विक्रेता की जमीन की रसीद
यदि ये दस्तावेज संलग्न नहीं किए जाते हैं, तो आवेदन को अस्वीकार कर दिया जाता है।
राजस्व विभाग की सलाह: आवेदन से पहले दस्तावेज जांचें
विभाग ने रैयतों (भूमि मालिकों) को सलाह दी है कि दाखिल खारिज के आवेदन से पहले सभी आवश्यक दस्तावेजों की अच्छी तरह जांच कर लें। पूरी तैयारी के साथ ही ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करें ताकि भविष्य में किसी तरह की कानूनी उलझन से बचा जा सके।
क्या करें और क्या न करें:
क्या करें:
- विक्रेता से दर केवाला प्राप्त करें।
- अपने केवाला और विक्रेता की रसीद को आवेदन में संलग्न करें।
- दस्तावेजों की सटीकता सुनिश्चित करें।
क्या न करें:
- बिना दर केवाला के आवेदन न करें।
- अधूरे दस्तावेजों के साथ आवेदन न करें।
भूमि विवाद से बचाव का उपाय
राजस्व विभाग का कहना है कि लोगों को समय पर सही तरीके से दाखिल खारिज कराना चाहिए। इससे भूमि विवादों की संभावना कम होती है और संपत्ति से संबंधित सभी रिकॉर्ड अद्यतन रहते हैं। विभाग लगातार आम जनता को जागरूक कर रहा है ताकि प्रक्रिया पारदर्शी और सुचारू बनी रहे।