छप्पर के नीचे परिवार गुजार रहा जिंदगी, किसी ने नहीं पूछा हाल, आईएएस बनने के बाद पवन कुमार की फैमिली का छलका दर्द
कहते है कि टूट जाता गरीबी में वो रिश्ता जो खास होता है, बन जाते रिश्तेदार जब पैसा पास होता है…,यह बुजुर्गों की कहावत आईएएस बने पवन कुमार के पिता मुकेश के साथ चरित्रार्थ हुई है।
स्याना तहसील के ब्लाक ऊंचागांव क्षेत्र के गांव रघुनाथपुर निवासी किसान मुकेश कुमार राणा के बेटे पवन कुमार ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में 239वीं रैंक हासिल कर बुजुर्गों की कई कहावतों को परिवार के लिए चरितार्थ कर दिखा दिया है।
गांव के बीच बने एक कमरा और उसके आगे पड़े छप्पर के नीचे जीवन बसर करते चले आ रहे मुकेश कुमार राणा ने कभी सोचा भी नहीं था। कि कभी गरीबी में उनके उपर से उठे भरोसे और लोगों की हीन भावना उनके बेटे की कामयाबी से बदल जाएगी।
मुकेश कुमार राणा ने बताया कि बेटे के आईएएस बनने से पूर्व उन्हें गरीबी के उतार चढ़ाव अपनी जिंदगी में देखने को मिले हैं। जो लोग उनकी गरीबी के कारण अपने पास नहीं बैठाते थे और बात करने में अपनी बेइज्जती समझते थे। वह आज अदब से बुलाकर अपने पास चारपाई के सिरयाने बैठाने लगे हैं।
मुकेश कुमार ने बताया कि कई लोग उनके बेटे की इस कामयाबी से दुखी हैं। वह अब भी उनके बेटे की यूपीएससी की परीक्षा में 239 वी रैंक हांसिल करने की बात को भी फर्जी का नाम देकर मजाक उड़ा रहे हैं। जबकि उनके बेटे के आईएएस बनने की खबर उनको तब लगी जब खेत में गेहूं की कटाई कर रहे थे।