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पप्पू यादव व प्रशांत की सियासी चाल के पेंच में उलझ गया BPSC छात्र आंदोलन, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

ByLuv Kush

जनवरी 3, 2025
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आंदोलन के बहाने अपने लिए सियासी सुख का सफर सुगम कर लेना सियासतदानों की पुरानी आदत रही है. बिहार में 70वीं बीपीएससी री एग्जाम को लेकर चल रहे छात्रों के प्रदर्शन के दौरान भी अचानक से आंदोलन में ग़ैर-छात्र (राजनीतिज्ञ) घुस गए. अचानक से छात्रों की लड़ाई सियासतदानों के चेहरे आगे करने की होड़ वाली लड़ाई बन गई.

पटना के गर्दनीबाग में सत्याग्रह की तर्ज पर चल रहे बीपीएससी अभ्यर्थियों के आंदोलन में पहले कुछ कोचिंग संस्थानों के प्रमुख का जमकर अपना चहेरा चमकाना और अब दो सियासतदानों में खुद को छात्र हितैषी दिखाने की होड़ लगी है. हालाँकि छात्रों पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन का प्रहार होने के दौरान कोई सियासतदान वहां से गायब होते भी दिखे.

इन सबके बीच शुक्रवार को एक बार फिर से बिहार में रेल चक्का जाम, सड़क जाम जैसा प्रदर्शन भी देखने को मिला. इसमें पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. उनकी अपनी कोई पार्टी नहीं है. ज़ाहिर सी बात है उनका अपना छात्र संगठन भी नहीं है. जब वह धरना पर बैठे तो उनके राजनीतिक समर्थक साथ थे, छात्र नगण्य. रेल चक्का जाम भी छात्र नहीं, उनके समर्थक ही करते दिखे.

इसी तरह प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने छात्र संगठन का गठन अभी नहीं किया है. उनके आमरण अनशन के दौरान भी छात्र नहीं दिखते, हाँ सब जन सुराजी लोग जरुर जुटे हैं. इतना ही नहीं पीके के लिए उनका आइपैक भी सक्रिय है. बिहार भर से जन सुराजी नेता अनशन-प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पटना में जुटे दिखे. पिछले दिनों ही छात्रों के प्रदर्शन पर लाठी चलने लगी तब सब जन सुराजी गायब हो गए थे. पिटा गये बेचारे छात्र.

जमकर चमका चेहरा

यानी प्रशांत किशोर और पप्पू यादव की लड़ाई में BPSCके अभ्यर्थी बुरी तरह फंस गये. ऐसा लगता है कि प्रशांत और पप्पू में छात्रों की सहानुभूति और राजनीतिक लाभ उठाने की रस्साकशी चल रही है. प्रतीत होता है कि इनकी लड़ाई सरकार से नहीं, बल्कि आपस में है. कह सकते हैं कि प्रशांत, पप्पू यादव को खूब सियासी और मीडिया हेड लाइन की सुर्खियां मिल गई.

छात्रों ने किया विरोध

छात्र भी संभवतः समझ चुके हैं कि पीके और पप्पू यादव अपने चेहरों को चमकाने में लगे. शायद यही कारण रहा कि पीके को गर्दनीबाग में छात्रों का विरोध झेलना पड़ा. छात्रों ने भी देखा कि कैसे छात्रों का धरना चल रहा है मगर मीडिया का जमघट पीके और पप्पू के इर्द-गिर्द लगा है. जितनी कंपकंपाती ठंड गांधी मैदान में है वैसी ही ठंड गर्दनीबाग़ में भी है.  लेकिन छात्रों के आंदोलन से ज्यादा मीडिया के केंद्र में पीके हैं जो गांधी मैदान में हैं.

बीपीएससी अभ्यर्थियों की मांग अधूरी

13 दिसम्बर को पटना के जिस परीक्षा केंद्र पर अनियमितता की शिकायत को लेकर छात्रों का आंदोलन शुरू हुआ उसमें बीपीएससी अपनी बातों पर अड़ा है. पटना केंद्र की परीक्षा रद्द की गई है जो अब 4 जनवरी को होगी. वहीं री एग्जाम की मांग पर सरकार या बीपीएससी ने कोई संज्ञान नहीं लिया. ऐसे में सियासी बयानबाजी से ज्यादा सियासतदानों ने बीपीएससी अभ्यर्थियों की चिंताओं को दूर करने में कोई सफलता नहीं पाई. सत्ताधारी नीतीश सरकार भी आंदोलनकारियों की कोई बात सुनने को तैयार नहीं है.


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