गर्दन की हड्डी टूटी…आंत में हुआ छेद, मौत को दी मात, फिर भारत को बनाया चैंपियन,प्रेरक है इस खिलाड़ी की कहानी

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आज हम इस खबर के माध्यम से एक ऐसे खिलाड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने अपनी जिंदगी में तमाम परेशानियां से गुजरने के बाद भी हार नहीं मानी. और अटूट मेहनत से चैंपियन बने. हम अक्सर सुनते हैं, कि कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं, जो अपनी जिंदगी में तमाम प्रकार की तकलीफ झेलते हुए चुनौतियों का डटकर सामना करते हैं. जिस पर सारा देश गर्व करता है. आज हम एक ऐसे खिलाड़ी के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो एक छोटे से गांव में रहकर बड़ा मुकाम हासिल कर बैठा है।

यह व्यक्ति कोई नहीं बल्कि नर्मदा पुरम जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाला हॉकी खिलाड़ी विवेक सागर है. विवेक सागर भारतीय हॉकी खिलाड़ी है और यह नर्मदापुरम जिले के इटारसी के पास चांदोन गांव का रहने वाला है. एक घटना के बाद विवेक ने हार नहीं मानी और भारत की जूनियर हॉकी टीम का मलेशिया में हुई प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व किया. शानदार प्रदर्शन करते हुए खुद मैन ऑफ द सीरीज बने और भारत को सीरीज भी जिताई।

विवेक का ऐसे शुरु हुआ सफर

विवेक सागर ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि वह नर्मदापुरम जिले के इटारसी शहर से कुछ दूर चांदोन गांव के रहने वाले हैं. लोकल 18 को बताया कि वह हॉकी की प्रेक्टिस करने के लिए गांव से 2 किलोमीटर दूर आयुध निर्माणी के खेल मैदान परिसर में जाते थे. इस स्थान पर जब हॉकी के दूसरे खिलाड़ी हॉकी खेलते थे, तो उन्हें देखकर हॉकी के प्रति लगाव बढ़ा. इसके बाद सीनियरों से हॉकी स्टिक और दोस्तों से जूते मांग कर मिट्टी वाले ग्राउंड में प्रेक्टिस किया करते थे. कई बार तो उन्होंने अपने भाई के जूते पहनकर प्रैक्टिस की. उन्होंने बताया कि उनके भाई के जूते बड़े थे, तो उन जूते के अंदर मोजे को भरकर पहन लेते थे।

उन्होंने कहा कि मैंने मिट्टी वाले ग्राउंड पर प्रैक्टिस की है, जबकि नेशनल और इंटरनेशनल मैच टर्फ पर खेले जाते है. मिट्टी वाले ग्राउंड के अलावा उन्हें कोच की कमी भी महसूस की. इसके साथ उन्होंने यह भी बताया कि जब मैं हॉकी की प्रेक्टिस करने के लिए घर से निकलता था, तब मेरे पिता घर पहुंच कर मेरी मम्मी से पूछते थे कि विवेक कहां है, तो मेरी मम्मी पापा को झूठ बोल देती थी और बोलती थी कि दोस्त के साथ घूमने गया है. इसी प्रकार मेरी प्रेक्टिस चलती रही. खुद पर भरोसा रख कड़ी मेहनत की और मुझे सफलता मिली।

2015 में गर्दन की हड्डी टूटी

विवेक सागर 2015 में जब प्रैक्टिस कर रहे थे, उस दौरान उनकी गर्दन की हड्डी टूट गई. विवेक सागर ने मैदान के भीतर ही नहीं बाहर की चुनौतियों का भी हिम्मत से सामना किया. इसके बाद विवेक का अस्पताल में इलाज चला. इसमें विवेक को दवाइयां के हैवी डोज के कारण पेट की आंतों में छेद हो गया. इसके बाद भी विवेक ने हिम्मत नहीं हारी. लगभग 22 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझते हुए विवेक ने अपनी जिंदगी का मैच जीत लिया।

फिर बने मैन ऑफ द मैच

विवेक सागर ने इसके बाद 2014-15 में भारत की जूनियर हॉकी टीम मलेशिया में कप्तानी की और मैन ऑफ द सीरीज पर अपना कब्जा जमाया. इसके बाद जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप की तैयारी 2016 में भोपाल एकेडमी में कर रहे थे. विवेक भोपाल एकेडमी में प्रैक्टिस के समय दूसरे खिलाड़ी की हॉकी गार्डन में लगने से गर्दन की हड्डी टूट गई थी. इसके कारण विवेक को जूनियर वर्ल्ड कप में सिलेक्शन नहीं मिला. फिर विवेक को भोपाल के अस्पताल में भर्ती करवाया गया. यहां विवेक को दवाइयां का हेवी डोज के कारण पेट की आंतों में छेद हो गया था. डॉक्टर द्वारा विवेक के खाने पीने पर पाबंदी कर दी गई थी. उसे सिर्फ ग्लूकोज और दवाइयां के सहारे ही रखा गया था. इसके बाद विवेक ने भी हिम्मत नहीं हारी और डॉक्टर के सामने जल्द स्वस्थ होकर खड़ा हो गया. इससे डॉक्टर भी आश्चर्य चकित हो गए की इतनी जल्दी विवेक ने खुद को स्वस्थ कर लिया।

यहां से बदली विवेक की जिंदगी

विवेक सागर कड़ी मेहनत करने के बाद आगे बढ़े. फिर उसके बाद उनकी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जिसने उनकी पूरी जिंदगी ही बदल दी. विवेक सागर पर अशोक ध्यानचंद की नजर पड़ी, जब विवेक 12 वर्ष की उम्र में अकोला में आयोजित एक हॉकी टूर्नामेंट खेलने गए थे. इस टूर्नामेंट में मशहूर हॉकी के खिलाड़ी अशोक ध्यानचंद की नजर एक 12 साल के बालक पर पड़ी. जो खिलाड़ियों के बीच अच्छा प्रदर्शन और मेहनत करते हुए दिखाई दे रहा था. वह कोई नहीं विवेक सागर ही था।

इसके बाद मैदान में ही अशोक ध्यानचंद ने विवेक का नाम पता लिया. इसके बाद अपने पास विवेक को अकादमी में बुलाया. विवेक ने बताया कि दद्दा ने कुछ दिन तक मुझे अपने साथ अपने घर में ही ठहराया था. इसके बाद मुझे उन्होंने हॉकी की बारीकियां सिखाई. इसके बाद ही मैंने यह मुकाम हासिल किया है. विवेक सागर के पिता रोहित प्रसाद सरकारी प्राइमरी स्कूल गजपुर में शिक्षक हैं. विवेक की मां कमला देवी गृहणी है और बड़ा भाई विद्यासागर सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. इसके अलावा विवेक की दो बहने हैं. पहले बहन पूनम और दूसरी बहन पूजा है. विवेक की बड़ी बहन पूजा की शादी हो चुकी है. पूजा अपनी पढ़ाई कर रही है।

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