बीएसएफ ने गृह मंत्रालय से मांगी मंजूरी, सीमा निगरानी के लिए MALE ड्रोन खरीदने की योजना
भारत की सीमाओं की सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने गृह मंत्रालय से मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (MALE) ड्रोन्स खरीदने की मंजूरी मांगी है. इन ड्रोन्स का इस्तेमाल विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण इलाकों और नदी क्षेत्रों में निगरानी के लिए किया जाएगा, जहां पारंपरिक तरीकों से सुरक्षा सुनिश्चित करना मुश्किल होता है. यह विशेष रूप से भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमाओं की निगरानी के लिए उपयोगी है, जहां घने जंगलों से लेकर खुले रेगिस्तानों तक का इलाका है, यहां हर वक्त निगरानी की जरूरत है.
बीएसएफ का यह कदम सीमा पर घुसपैठ, तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर उठाया गया है. MALE ड्रोन्स मध्यम ऊंचाई पर लंबे समय तक उड़ान भरने की क्षमता रखते हैं, जिससे बड़ी और दुर्गम सीमा क्षेत्रों में निरंतर हवाई निगरानी संभव हो सकेगी.
अत्याधुनिक सेंसर और हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरे
ये ड्रोन्स अत्याधुनिक सुविधा से लैस हैं. इनमें अत्याधुनिक सेंसर और हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरे लगे होंगे, जो दिन-रात किसी भी मौसम में काम करने में सक्षम हैं. इनमें रियल-टाइम डेटा ट्रांसमिशन की सुविधा होगी, जिससे किसी भी खतरे का तुरंत पता लगाकर उस पर कार्रवाई की जा सकेगी.
ड्रोन के तकनीकी पहलुओं की जानकारी
MALE ड्रोन्स लंबे समय तक बिना रीफ्यूलिंग या बैटरी चार्जिंग के निगरानी कर सकते हैं. यह क्षमता भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश जैसी सीमाओं पर अत्यंत उपयोगी साबित होगी, जहां घने जंगलों से लेकर रेगिस्तान तक का भौगोलिक परिदृश्य निरंतर निगरानी की मांग करता है.
मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (MALE)एक प्लेटफ़ॉर्म है, जिस पर फ़िक्स्ड-विंग यूएवी (Unmanned Aerial Vehicle) बनाए जाते हैं.ये यूएवी 10,000 से 30,000 फ़ीट की ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं.इनका इस्तेमाल, खुफ़िया, निगरानी, और टोही (ISR) जैसे कामों के लिए किया जाता है.इसके अलावा, इनका इस्तेमाल हमला करने के लिए भी किया जाता है.
बीएसएफ सूत्रों ने बताया कि मौजूदा ड्रोन बेड़े में क्षमता की कमी है, खासकर बड़े क्षेत्रों की लगातार निगरानी में. नई तकनीक से यह समस्या हल हो सकती है, हालांकि इन उन्नत ड्रोन्स को खरीदने में वित्तीय और तकनीकी चुनौतियां भी हैं. वहीं गृह मंत्रालय इस प्रस्ताव पर सक्रिय विचार कर रहा है. क्योंकि यह कदम न केवल सीमा सुरक्षा को आधुनिक बनाएगा बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को तकनीकी रूप से मजबूत करने की नीति का भी हिस्सा है.
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