पैरों से लिखकर बदली अपनी किस्मत, दर्जी के बेटे ने पहले ही प्रयास में पटवारी की परीक्षा में पाई सफलता
कहते हैं किस्मत हाथ की लकीरों में होती है लेकिन ऐसा नहीं है जिनके हाथ नहीं होते हैं उनकी भी किस्मत होती है। इस बात को एक बार फिर से अमीन मंसुरी ने सही साबित कर दिखाया है। जी हां, अमीन।ने अपनी मेहनत और कुछ कर गुजरने की जिद से दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद भी पटवारी की परीक्षा में सफलता हासिल करके मिसाल पेश किया है
अमीन मंसुरी का परिचय
अमीन मंसुरी (Amin Mansoori), मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के देवास जिले के पीपलरावां के रहनेवाले हैं और दोनों हाथों से विकलांग हैं। उनके पिता का नाम इकबाल मंसुरी है जो दर्जी का काम करके अपने परिवार की आजीविका चलाते हैं। अमीन जन्म से ही दोनों हाथों से विकलांग होने के बावजूद भी अपने हौसले को कम नहीं होने दिया।
दोनों हाथ ना होने के बावजूद मध्यप्रदेश देवास के आमीन मंसूरी ने पटवारी की परीक्षा पैरों से प्रश्न के उत्तर लिखकर पास की।
सब से बड़ी बात अमीन ने परीक्षा फर्स्ट अटेम्प्ट में निकाली है।— Ashraf Hussain (@AshrafFem) July 3, 2023
हाथों से विकलांग होने के बावजूद भी पैरों से शुरु किया लिखना
उन्हें शुरु से ही पढ़ाई का बहुत शौक रहा है ऐसे में उन्होंने हाथों की जगह पैर से लिखना शुरु किया। यहां तक कि उन्होंने पैरों से ही कम्प्यूटर चलाना सीखा। अमीन की काबिलियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह जब 11 वीं कक्षा में थे उस समय सोलर कूकर का प्रोजेक्ट बनाया था। उनका बनाया हुआ यह प्रोजेक्ट नेशनल लेवल पर चयनित हुआ और इस प्रोजेक्ट के लिए उन्हें पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
अगर आप भी यह सोचते हैं कि किस्मत की लकीरें हाथों में होती है तो इनसे मिलिए यह है आमीन मंसूरी जी जिनके दोनों हाथ नहीं है इन्होंने पटवारी की परीक्षा अपने पैरों से लिखकर पूरे देवास जिले में फर्स्ट रैंक हासिल की है #MPNews #viral #gurdeepkaur pic.twitter.com/7OlmCpPHhs
— @AnchorGurdeep Kaur (@Deepkaul2) July 4, 2023
पहले प्रयास में ही पाई सफलता
स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अमीन ने पटवारी परीक्षा का फॉर्म भरा और उसकी तैयारी में जुट गए। उन्होंने कड़ी मेहनत की और परीक्षा में पैरों से कॉपी लिखी। उनकी मेहनत सफल हुई और उन्होंने पहले ही प्रयास में पटवारी परीक्षा में सफलता हासिल की। इतना ही नहीं दिव्यांग कैटेगरी से जिले में उनका प्रथम स्थान रहा। उनकी इस अपार सफलता से उनके पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। अमीन भी अपना सफलता का श्रेय अपने परिवार को देते हैं।
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