कहते हैं किस्मत हाथ की लकीरों में होती है लेकिन ऐसा नहीं है जिनके हाथ नहीं होते हैं उनकी भी किस्मत होती है। इस बात को एक बार फिर से अमीन मंसुरी ने सही साबित कर दिखाया है। जी हां, अमीन।ने अपनी मेहनत और कुछ कर गुजरने की जिद से दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद भी पटवारी की परीक्षा में सफलता हासिल करके मिसाल पेश किया है
अमीन मंसुरी का परिचय
अमीन मंसुरी (Amin Mansoori), मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के देवास जिले के पीपलरावां के रहनेवाले हैं और दोनों हाथों से विकलांग हैं। उनके पिता का नाम इकबाल मंसुरी है जो दर्जी का काम करके अपने परिवार की आजीविका चलाते हैं। अमीन जन्म से ही दोनों हाथों से विकलांग होने के बावजूद भी अपने हौसले को कम नहीं होने दिया।
हाथों से विकलांग होने के बावजूद भी पैरों से शुरु किया लिखना
उन्हें शुरु से ही पढ़ाई का बहुत शौक रहा है ऐसे में उन्होंने हाथों की जगह पैर से लिखना शुरु किया। यहां तक कि उन्होंने पैरों से ही कम्प्यूटर चलाना सीखा। अमीन की काबिलियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह जब 11 वीं कक्षा में थे उस समय सोलर कूकर का प्रोजेक्ट बनाया था। उनका बनाया हुआ यह प्रोजेक्ट नेशनल लेवल पर चयनित हुआ और इस प्रोजेक्ट के लिए उन्हें पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
पहले प्रयास में ही पाई सफलता
स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अमीन ने पटवारी परीक्षा का फॉर्म भरा और उसकी तैयारी में जुट गए। उन्होंने कड़ी मेहनत की और परीक्षा में पैरों से कॉपी लिखी। उनकी मेहनत सफल हुई और उन्होंने पहले ही प्रयास में पटवारी परीक्षा में सफलता हासिल की। इतना ही नहीं दिव्यांग कैटेगरी से जिले में उनका प्रथम स्थान रहा। उनकी इस अपार सफलता से उनके पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। अमीन भी अपना सफलता का श्रेय अपने परिवार को देते हैं।