कैबिनेट ने 2,642 करोड़ लागत की रेलवे परियोजना को दी मंजूरी, कनेक्टिविटी और व्यापार को बढ़ावा

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New Delhi, Aug 5 (ANI): Prime Minister Narendra Modi meets with Cabinet Committee on Security (CCS), Union Ministers S Jaishankar, Amit Shah, Nirmala Sitharaman, Rajnath Singh and others, gets a brief on the situation in Bangladesh, at 7, Lok Kalyan Marg, in New Delhi on Monday. (ANI Photo)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने एक बड़े रेल परियोजना को मंजूरी दी है। इसके तहत 2,642 करोड़ की लागत से गंगा नदी पर एक नया रेल-सह-सड़क पुल और वाराणसी से पं. दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) जंक्शन मार्ग पर अतिरिक्त रेलवे लाइनें बिछाने की योजना है। इसका उद्देश्य क्षेत्र में कनेक्टिविटी ,यात्रा को आसान बनाना, लॉजिस्टिक्स लागत घटाना और CO2 उत्सर्जन को काफी हद तक कम करना है।

वाराणसी-पं. डीडीयू जंक्शन मार्ग यात्रियों और माल परिवहन विशेष रूप से कोयला, सीमेंट और अनाज जैसी वस्तुओं की ढुलाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि इस मार्ग पर क्षेत्र में बढ़ते पर्यटन, तीर्थयात्रा और औद्योगिक मांग के कारण भारी भीड़ रहती है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार ने गंगा नदी पर नए रेल-सह-सड़क पुल के साथ तीसरी और चौथी रेलवे लाइनों के निर्माण को मंजूरी दी है।

इस बुनियादी ढांचे के विकास से न केवल भीड़ कम होगी, बल्कि रेलवे नेटवर्क की क्षमता और दक्षता भी बढ़ेगी। बेहतर कनेक्टिविटी वाराणसी और चंदौली जिलों में सामाजिक और आर्थिक विकास को गति देगी, जिससे स्थानीय रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस परियोजना से अनुमानित 27.83 मिलियन टन वार्षिक (MTPA) माल परिवहन हो सकेगा, जिससे स्थानीय व्यापार और बड़े आर्थिक कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।

यह विकास प्रधानमंत्री मोदी के “नए भारत” के विजन और पीएम-गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप है, जो मल्टी-माॅडल कनेक्टिविटी पर केंद्रित है। यह परियोजना भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 30 किलोमीटर की वृद्धि करेगी, जिससे लोगों, सामान और सेवाओं के आवागमन में सुधार होगा।

यह परियोजना भारत के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में भी योगदान देगी। इसके जरिए 149 करोड़ किलोग्राम CO2 उत्सर्जन में कमी आएगी, जो 6 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। साथ ही, लॉजिस्टिक्स लागत में कमी और रेल परिवहन के बढ़ते उपयोग से देश के तेल आयात में भी कमी आएगी, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित होगा।

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