कैबिनेट ने सोमवार को मुंबई और इंदौर के वाणिज्यिक केंद्रों को सबसे छोटे रेल मार्ग से जोड़ने के लिए 18,036 करोड़ रुपये की 309 किलोमीटर लंबी नई रेलवे लाइन परियोजना को मंजूरी दे दी।
2028-29 तक पूरी होने वाली यह परियोजना महाराष्ट्र के दो जिलों और मध्य प्रदेश के चार जिलों के बीच की दूरी को भी पाट देगी।
आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) के अनुसार, परियोजना निर्माण के दौरान बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा होगा।
इस परियोजना के साथ 30 नए स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा, जिससे मध्य प्रदेश के बड़वानी के ‘आकांक्षी जिले’ को कनेक्टिविटी मिलेगी।
इंदौर और मनमाड के बीच नई लाइन लगभग 1,000 गांवों और लगभग 30 लाख आबादी को कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
रेलवे लाइन परियोजना जेएनपीए के गेटवे बंदरगाह और अन्य राज्य बंदरगाहों से पीथमपुर ऑटो क्लस्टर (90 बड़ी इकाइयां और 700 छोटे और मध्यम उद्योग) को सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
सरकार ने कहा कि यह मध्य प्रदेश के बाजरा उत्पादक जिलों और महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक जिलों को सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, जिससे देश के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में इसके वितरण में सुविधा होगी।
स्वीकृत परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है जो क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से क्षेत्र के लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाएगी जिससे उनके रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
यह मध्य भारत के साथ देश के पश्चिमी/दक्षिण-पश्चिमी भाग के बीच छोटा मार्ग प्रदान करके क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
सरकार ने कहा कि इस नई लाइन से श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सहित उज्जैन-इंदौर क्षेत्र के विभिन्न धार्मिक स्थानों पर पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।
यह कृषि उत्पादों, उर्वरक, कंटेनर, लौह अयस्क, स्टील और सीमेंट आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए एक आवश्यक मार्ग है। इस मार्गे के जरिए लगभग 26 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी।