क्या आप ट्रैफिक में ज्यादा ईंधन जलने की वजह से चिंतित हैं? Google (गूगल) के पास एक समाधान हो सकता है जो गूगल मैप्स पर उपलब्ध नए अपडेट के जरिए ज्यादा ईंधन बचाने में मदद कर सकता है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें अभी भी ऊंची बनी हुई हैं, ऐसे में यह नई तरकीब उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो गाड़ी का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।
यह नया फीचर, जो इस समय चुनिंदा देशों में उपलब्ध है, भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए भी लॉन्च होने की उम्मीद है। फीचर अपडेट से कीमती पेट्रोल और डीजल की बचत के लिए ऑप्शनल रूट (वैकल्पिक मार्ग) चुनने में मदद मिलेगी। ईंधन-कुशल ड्राइव सुविधा हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी लागू है।
जब कोई यात्रा की योजना बनाता है तो गूगल मैप्स अब पसंदीदा फ्यूल-एफिशिएंट रूट का चयन करने का ऑप्शन प्रदान करता है। फ्यूल-एफिशिएंट ड्राइव के लिए वैकल्पिक रूट प्रदान करने वाले इस फीचर तक एप की सेटिंग के जरिए पहुंचा जा सकता है। गूगल ने इस फीचर को संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा के साथ-साथ यूरोपीय देशों में भी पेश किया था।
नया गूगल मैप्स फीचर में अब आप वाहन के इंजन टाइप को चुन सकते हैं। इसके बाद यह वाहन को एनर्जी एफिशिएंसी प्रदान करने के लिए बेस्ट पॉसिबल रूट खोजता है। गूगल के मुताबिक, “यदि यह फीचर चालू है, तो मैप सर्वोत्तम रूट चुनने के लिए रियल टाइम ट्रैफिक और सड़क की स्थिति जैसे अन्य कारकों की तुलना में ईंधन या एनर्जी एफिशिएंसी को सबसे ज्यादा तवज्जो देता है।”
एक बार चालू किए जाने पर, यह फीचर मौजूदा सबसे तेज रूट विकल्प की जगह पर एक वैकल्पिक रूट प्रदान करेगा। हालांकि, इसमें एक ट्विस्ट है। इस फीचर में इलेक्ट्रिक वाहन को ईंधन भरने या रिचार्ज करने के लिए रुकना शामिल नहीं है।
फ्यूल-एफिशिएंट रूट ऑप्शन को एक्टिवेट करना आसान है। कोई भी व्यक्ति स्मार्टफोन पर गूगल मैप्स एप खोलकर जरूरी बदलाव कर सकता है। यदि यह अपडेट यूजर के लोकेशन पर उपलब्ध है, तो सेटिंग्स में जाने के लिए ऊपरी दाएं कोने पर प्रोफाइल आइकन पर टैप कर सकते हैं। अगला कदम नेविगेशन सेटिंग्स पर जाना है जिसके तहत कोई भी रूट ऑप्शन ढूंढ सकेगा। ऐसे विकल्प हैं जिन्हें एक्टिव करने की जरूरत होगी। पहला है फ्यूल-एफिशिएंट रूट को प्राथमिकता दें पर टैप करके इको-फ्रेंडली रूट चुनना। दूसरा चरण इंजन टाइप चुनना है।
एप उन वाहनों की पहचान करेगा जो गैस (भारत में पेट्रोल), डीजल, हाइब्रिड और ईवी पर चलते हैं। यदि इस चरण को छोड़ दिया जाता है, तो एप पेट्रोल को डिफॉल्ट इंजन के रूप में चुनेगा और वैकल्पिक फ्यूल-एफिशिएंट रूट पेश करेगा। गूगल का कहना है कि वह अमेरिकी ऊर्जा विभाग की राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा प्रयोगशाला और यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी से डेटा इकट्ठा करता है।
फिर डेटा को इकट्ठा किया जाता है और फ्यूल-एफिशिएंसी को कैल्कुलेट करने के लिए प्रोसेस किया जाता है। जिसमें उस क्षेत्र में वाहनों के लिए औसत ईंधन खपत, पहाड़ी इलाके के मामले में ढलान की ढलाई, रुकने और जाने वाले ट्रैफिक पैटर्न के साथ-साथ सड़कों के टाइप जैसे कारक शामिल होते हैं।