राजनीति संभावनाओं का खेल है। इसमें कब किसकी बाजी पलट जाए, कहा नहीं जा सकता। इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA के साथ कुछ ऐसा ही होता नजर आ रहा है। एनडीए फिलहाल 295 के आंकड़े पर है। जबकि विपक्ष के इंडिया गठबंधन के पास 242 सीटों का आंकड़ा बताया जा रहा है।
ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को किंगमेकर कहा जा रहा है। कहा जा रहा है कि अगर ये दोनों नेता पलटी मारते हैं तो एनडीए की बाजी पलट सकती है। दोनों नेताओं के पास 30 सीटों का आंकड़ा बताया जा रहा है। जिसके दम पर वे एनडीए से अलग होकर इंडिया गठबंधन में जाकर बहुमत का आंकड़ा 272 पार करा सकते हैं। लेकिन क्या सच में इन दोनों नेताओं के जाने से एनडीए को फर्क पड़ सकता है? आइए जानते हैं एनडीए इन दोनों के बिना भी कैसे सरकार बना सकता है?
कई छोटी पार्टियों ने दर्ज की जीत
जैसा कि ऊपर बताया गया राजनीति संभावनाओं का खेल है। कल तक जिस पार्टी का जो विरोध करता आता था, वह उसी में जाकर मिल जाता है। ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर कोई दल एनडीए से अलग होकर इंडिया गठबंधन का हाथ थामता है तो कल को दूसरा दल एनडीए का दामन भी थाम सकता है। नीतीश-नायडू की पार्टी के अलावा भी कई पार्टियों ने इस लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की है।
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32 सीटें जुटाने की जरूरत
बड़ी पार्टियों में समाजवादी पार्टी ने 37, टीएमसी ने 29 और डीएमके ने 22 सीटों पर जीत हासिल की है। इन पार्टियों के तो पाला बदलने की उम्मीद कम है, लेकिन कई ऐसी छोटी पार्टियां हैं, जो नीतीश-नायडू के पलटी मारने के बाद बीजेपी के लिए संजीवनी बन सकती हैं। बीजेपी के पास खुद 240 सीटों का आंकड़ा है। ऐसे में उसे बहुमत के लिए सिर्फ 32 सीटें जुटाने की जरूरत होगी। हालांकि इन सीटों में से कई को तो एनडीए में शामिल दल ही पूरा कर रहे हैं।
एनडीए के दल ही बहुमत के करीब ले जाएंगे
मसलन, महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की शिव सेना ने 7 सीटें हासिल की हैं। ऐसे में एनडीए के पास आंकड़ा 247 हो जाता है। इसके अलावा एनडीए में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने 5, जनता दल सेक्युलर (JDS) ने 2, राष्ट्रीय लोक दल (RLD) ने 2 और जनसेना पार्टी ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की है। इस तरह इन दलों के साथ एनडीए का आंकड़ा 258 हो जाता है।
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निर्दलीयों ने 7 सीटों पर हासिल की है जीत
इसके अलावा एनडीए में शामिल यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (UPPL) ने एक, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने एक, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने एक सीट हासिल की है। इसके साथ ही अन्य सहयोगी दलों के पास 4 सीटें हैं। इस तरह से NDA 265 का आंकड़ा तो खुद ही पूरा कर रहा है। अब अगर नीतीश-नायडू अलग होते हैं तो NDA को सरकार बनाने के लिए सिर्फ 7 सीटों की जरूरत होगी। जिसे वह छोटे दलों, 7 निर्दलीयों या अपने पुराने सहयोगियों के जरिए पूरा कर सकती है। कहा जा सकता है कि नीतीश-नायडू के पलटी मारने से बीजेपी को थोड़ी टेंशन तो हो सकती है, लेकिन उसे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।
ज्यादातर संभावनाएं NDA के पक्ष में
विदित हो कि बीजेपी भले ही बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर सकी है, लेकिन इस बार के चुनाव में भी वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। ऐसे में पहले सरकार बनाने के लिए उसे ही आमंत्रित किया जाएगा। वैसे ज्यादातर संभावनाएं एनडीए के पक्ष में ही हैं, तो नीतीश, नायडू पलटी मारकर रिस्क भी नहीं लेना चाहेंगे। उनके लिए फायदे का सौदा एनडीए में शामिल रहकर ही बड़े पद की डिमांड करना है। देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए के सरकार बनाने पर नीतीश, नायडू साथ होते हैं या नहीं।