भागलपुर। ठंड का प्रकोप बढ़ा तो इसके साइड इफेक्ट दिखने शुरू हो गये हैं। एक तो सर्दी का मौसम उस पर बढ़ी कनकनी ने अस्पतालों में कोल्ड अटैक के मामले बढ़ा दिये हैं। इसके शिकार लोगों के हाथ-पैरों तक की नसें सिकुड़ रही हैं। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (मायागंज अस्पताल) में कोल्ड अटैक के शिकार मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हो चुकी है। एक जनवरी से छह जनवरी के बीच स्किन एंड वेनेरियल डिजीज के ओपीडी में कोल्ड अटैक के 27 मरीज इलाज को आ चुके हैं। चिकित्सकों की माने तो दिन में निकली धूप के कारण इसके मामले कुछ अभी कम हैं। अगर दिन में धूप निकलना बंद हो जाए तो कोल्ड अटैक के मरीजों का आंकड़ा और भी बढ़ जाएगा।
कामकाजी महिला, किसान, धोबी व बाइकर्स में कोल्ड अटैक ज्यादा
स्किन एंड वीडी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजीव रंजन बताते हैं कि कोल्ड अटैक शिकार होने वालों में कामकाजी महिलाएं, किसान, धोबी, दोपहिया वाहन चालक और खुले में काम करने वाले लोगों की तादात ज्यादा है। ठंड के कारण त्वचा की नसों में सिकुड़न होने से रक्त संचार प्रभावित होता है, जिससे त्वचा में सूजन और जलन की समस्या बढ़ जाती है। इसके अलावा एलर्जी, सोरायसिस के मरीज भी सामने आ रहे हैं। कोल्ड अटैक से प्रभावित लोगों में त्वचा पर सूजन, जलन, दर्द, लाल या काले निशान और अल्सर जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। विशेष रूप से हाथ, पैर, कान और नाक जैसे हिस्से, जो ठंड के सीधे संपर्क में रहते हैं, अधिक प्रभावित हो रहे हैं। शरीर के तापमान में अचानक गिरावट से यह समस्या होती है। ठंडे पानी या सर्द हवा के लंबे संपर्क में रहने से त्वचा के नीचे की नसें सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त संचार बाधित हो जाता है। यही स्थिति चिलब्लेंस नामक समस्या को जन्म देती है। ओपीडी में कामकाजी महिलाओं, किसानों, वाहनों पर काम करने वाले युवाओं और चालकों की संख्या बढ़ी है।
ठंडे की बजाय गर्म पानी का करें इस्तेमाल
त्वचा एवं सौंदर्य रोग विशेषज्ञ डॉ. दिव्या सिंह कहती हैं कि जिनका संपर्क पानी से ज्यादा होता है, उनमें कोल्ड अटैक होने का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में अगर पानी में काम करना ही पड़ रहा है तो ठंडे की बजाय गर्म पानी का इस्तेमाल करें। बाहर निकल रहे हैं तो भरपूर गर्म कपड़े व ग्लव्स का इस्तेमाल करें। काम करने के बाद गुनगुने सरसों के तेल से हाथ-पैर की मालिश करें। अगर त्वचा में जलन हो रही है तो तुरंत त्वचा रोग विशेषज्ञ से मिलकर उनके द्वारा दी गई दवाओं व लोशन का इस्तेमाल करें।