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NDA में राज ठाकरे के आने से BJP को कितना फायदा!, जानें मराठी वोटबैंक का समीकरण?

उत्तर भारतीयों के खिलाफ राज ठाकरे की अदावत किसी से छिपी नहीं है।इसीलिए बीजेपी मनसे प्रमुख से दूरी बनाती रही है, लेकिन बीते समय से राज ठाकरे यूपी बिहार के लोगों के बारे में बयान देने से बचते आ रहे हैं।ऐसे में बीजेपी का भी मन बदलता दिख रहा है।

लोकसभा चुनाव 2024 के शंखनाद के बाद राजनीतिक पार्टियों की ओर से रैली और सभाएं तेज हो गई है. साथ ही कई दलों का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और इंडिया ब्लॉक में एंट्री लेने का रास्ता भी खुला हुआ है. इसी कड़ी में आज एक तस्वीर ने सभी को सोचने पर विविश कर दिया कि क्या मनसे प्रमुख राज ठाकरे एनडीए में शामिल हो रहे हैं. दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से आज राज ठाकरे ने मुलाकात की. इसके बाद चर्चा जोरों पर होने लगी कि राज ठाकरे बीजेपी के साथ गठबंधन करने पर विचार कर रहे हैं. सियासी चर्चा होनी भी लाजिमी है. क्योंकि शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के साथ गठबंधन टूटने से भारतीय जनता पार्टी (BJP) को महाराष्ट्र में मराठी वोट बैंक की चिंता सता रही है. मराठी वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने के लिए अब बीजेपी राज ठाकरे के साथ हाथ गठबंधन करने जा रही है. एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे अपने बेटे अमित ठाकरे और पार्टी के सीनियर नेता बाला नांदगावकर के साथ दिल्ली पहुंचे और बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात की।

बताया जा रहा है कि भगवा पार्टी बीजेपी मराठी वोटों को बिखरने से रोकने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) से हाथ मिला रही है. जब से उद्धव शिवसेना गुट बीजेपी से अलग हुई है तब से सूबे में बीजेपी की पकड़ ढ़ीली पड़ी है. हालांकि, शिवसेना शिंदे गुट के साथ बीजेपी की सरकार है. बीजेपी खुद को राज्य में मजबूत स्थिति पेश कर रही है, लेकिन मराठी वोट बैंक अब शिवसेना उद्धव गुट और शिवसेना शिंदे गुट में बंट गए हैं. ऐसे में बीजेपी ने अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए सीधे-सीधे राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ हाथ बढ़ाने का फैसला किया है. हालांकि, अभी इसका औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के बीच गठबंधन अंतिम चरण में है. इसके बदले में बीजेपी एमएनएस को दक्षिण मुंबई की लोकसभा सीट दे सकती है. पार्टी ने अभी तक इस सीट से किसी भी उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है।

दोनों को एक-दूसरे की जरूरत
भारतीय जनता पार्टी और एमएनएस के साथ आने से दोनों दलों को फायदा है. जानकारों की मानें तो दोनों दलों को लोकसभा, विधानसभा और बीएमसी चुनाव में लाभ मिलेगा. यानी दोनों को एक दूसरे की जरूरत है. दरअसल, शिवसेना के टूटने के बाद सांसद और विधायक तो बड़ी संख्या में एकनाथ शिंदे के साथ चले गए, लेकिन मराठी मतदाता कितने कहां हैं अभी तक इस बारे में कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है. शिवसेना शिंदे गुट और बीजेपी की सरकार बनने के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव होगा, जिसमें यह साफ हो पाएगा कि मराठी वोटर कितने किस पार्टी के पक्ष में हैं. ऐसे में राज ठाकरे के साथ बीजेपी ने सियासी गणित साधने की कोशिश की है।

मराठी वोटरों को रोकने की कवायद

बीजेपी और उद्धव ठाकरे की पार्टी की विचारधारा हिंदुत्व और हिंदुओं के उत्थान की रही है. महाराष्ट्र में शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट की पकड़ अच्छी है.अंदर खाने बीजेपी को यह भी चिंता सता रही है कि कहीं उद्धव ठाकरे को सहानुभूति का फायदा न मिल जाए. इसलिए बीजेपी मराठी वोटरों को बंटने से रोकने के लिए राज ठाकरे को अपने पक्ष में करने की जुगत में है. हालांकि, राज ठाकरे उत्तर भारतीय विरोधी नेता के रूप में जाने जाते हैं. मुंबई में उत्तर भारतीय पर हुए हमलों को लेकर राज ठाकरे को ही जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है. इसलिए अब तक बीजेपी ने उनसे दूरी बनाए रखी थी. लेकिन पिछले लंबे समय से राज ठाकरे उत्तर भारतीयों के खिलाफ विवादित बयान देने से बचते रहे हैं. ऐसे में बीजेपी अब उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ने का मूड बना रही है।

मराठा आरक्षण आंदोलन

राज्य में मराठा आरक्षण की आग अभी तक बुझी नहीं है. आए दिन मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन होने लगते हैं. हाल ही में आंदोलन की अगुवाई कर रहे मनोज जरांगे ने भूख हड़ताल की थी. हालांकि, शिंदे और बीजेपी सरकार की ओर से आश्वासन मिलने के बाद वो शांत हो गए, लेकिन सबसे बड़ा फैक्टर राज्य में वोट बैंक को लेकर है. मराठा समाज पर शरद पवार की पार्टी राकंपा और कांग्रेस की पकड़ है. ग्रामीण इलाकों में इन दलों का अच्छा खासा दबदबा है. मराठा कांग्रेस-राकांपा का पुराना वोटबैंक रहा है. बीजेपी इसी वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मेहनत कर रही है. बीजेपी शुरुआती दौर से ही इस पर नजर बनाए हुए है. मराठा समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए पार्टी काफी हद तक कामयाब भी हुई है. पार्टी अब राज ठाकरे के सहारे इसमें सेंध लगाने का प्रयास कर रही है।

2019 में ठाकरे ने बीजेपी के खिलाफ किया था प्रचार

2019 लोकसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने वाले राज ठाकरे ने पिछली बार लोकसभा में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था, लेकिन बीजेपी-शिवसेना उद्धव गुट के खिलाफ जमकर प्रचार किया था. अक्टूबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कुल 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. कल्याण ग्रामीण से एनएन के एकमात्र उम्मीदवार राजू पाटिल ने विधानसभा चुनाव जीता. विधानसभा चुनाव में पार्टी के 86 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. कुल मिलाकर राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था, लेकिन इस बार सूबे का समीकरण बदला-बदला सा है. उद्धव ठाकरे अब बीजेपी के साथ नहीं हैं. बीजेपी को इस बात की चिंता है कि उद्धव ठाकरे को मराठा समुदाय की सहानुभूति नहीं मिल जाए।

‘CAA किसी की नागरिकता नहीं छीनता’, सुप्रीम कोर्ट 9 अप्रैल को करेगी अगली सुनवाई

नागरिकता संशोधन अधिनियम पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है।

केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा है. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि, ” सीएए किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनता है.” सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि, उन्हें उन आवेदनों पर जवाब देने के लिए कुछ समय चाहिए, जिसमें शीर्ष अदालत द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा होने तक नियमों पर रोक लगाने की मांग की गई है।

इस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने केंद्र को तीन सप्ताह का समय दिया और कहा कि अदालत इस मामले पर 9 अप्रैल को सुनवाई करेगी।

गौरतलब है कि, शीर्ष अदालत विवादास्पद कानून से जुड़ी 200 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसे संसद द्वारा मंजूरी दिए जाने के लगभग चार साल बाद 15 मार्च को लागू किया गया है. याचिकाओं में सीएए और नागरिकता संशोधन नियम 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की गई है।

पिछले हफ्ते, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केरल स्थित इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) द्वारा दायर एक याचिका का उल्लेख करते हुए कहा था कि, विवादास्पद कानून को लागू करने का केंद्र का कदम संदिग्ध था क्योंकि लोकसभा चुनाव तेजी से नजदीक आ रहे हैं।

कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि, सीएए धर्म के आधार पर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है. यह भी तर्क दिया गया है कि इस तरह का धार्मिक अलगाव बिना किसी उचित भेदभाव के है और अनुच्छेद 14 के तहत गुणवत्ता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

IFS अधिकारी तरणजीत सिंह संधू ने भाजपा का दामन थामा, यहां से लड़ सकते हैं चुनाव

अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने भाजपा दामन थाम लिया है।1988 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी अमृतसर के निवासी हैं।

अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरणजीत सिंह संधू भाजपा से जुड़ गए है. वे 1988 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी रहे हैं. संधू अमृतसर के रहने वाले हैं।भाजपा में शामिल होने पर तरनजीत सिंह संधू ने कहा, बीते 10 वर्षों में उन्होंने पीएम मोदी के साथ मिलकर काम किया है. खासतौर पर अमेरिका और श्रीलंका के साथ. आज यहां विकास की आवश्यकता है. इस विकास को अमृतसर तक पहुंचाने की जरूरत है. मैं पार्टी अध्यक्ष के साथ पीएम और गृह मंत्री का आभार प्रकट करता हूं. इन्होंने मुझे देश की सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया है. इसमें मैं प्रवेश कर रहा हूं।”

अमृतसर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे

भाजपा को अमृतसर सीट के लिए एक सिख चेहरे की तलाश थी. संधू की छवि न सिर्फ साफ-सुथरी है बल्कि राजदूत होते हुए उनके एनआरआई के संग बेहतर संबंध रहे हैं. इसके साथ सिख चेहरे की वजह से उनका जनधार भाजपा के पक्ष में बड़ी जीत दे सकता है. यही वजह है कि अमेरिका में उनके सेवानिवृत्त होने से पहले उन्हें सम्मानित किया गया है. सिख होने के साथ वह अमृतसर के है. इससे पहले भाजपा ने तमिलनाडु कैडर के आईएएस अधिकारी जगमोहन सिंह राजू को विधानसभा चुनाव लड़वाया था।

यूक्रेन में एक नया दूतावास खोलने के  लिए भेजा गया

उनके तीस साल से अधिक के करियर में पूर्व सोवियत संघ भी है. USSR के टूटने के बाद उन्हें यूक्रेन में एक नया दूतावास खोलने के  लिए भेजा गया. संधू जुलाई 2005 से फरवरी 2009 तक संयुक्त राष्ट्र, न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन में रहे. उन्होंने सितंबर 2011 से जुलाई 2013 तक फ्रैंकफर्ट में भारत के महावाणिज्यदूत के रूप मेंकार्य किया।

भारतीय दूतावास मिशन के उप प्रमुख भी रहे

मार्च 2009 से अगस्त 2011 तक विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (संयुक्त राष्ट्र) और इसके बाद संयुक्त सचिव (प्रशासन) के रूप में काम किया है. संधू जुलाई 2013 से जनवरी 2017 तक वाशिंगटन डी.सी. में भारतीय दूतावास मिशन के उप प्रमुख भी रहे थे।

मंगलवार का दिन मंगल साबित नहीं हुआ शेयर बाजार, सेंसेक्स-निफ्टी में गिरावट

शेयर मार्केट में आज का दिन भी अच्छा नहीं रहा।सेंसेक्स और निफ्टी में ज्यादातर शेयर गिरावट के साथ बंद हुए।इसमें आईटी और मीडिया सेक्टरों में भारी गिरावट दर्ज की गई।

भारतीय शेयर बाजार में आज भी गिरावट दर्ज की गई. ज्यादातर शेयर लाल निशान पर बंद हुए. बीएसई का सेंसेक्स 736.37 अंकों या 1.01 फीसदी की गिरावट के साथ 72,012.05 पर बंद हुआ है और एनएसई का निफ्टी 238.25 अंकों यानी 1.08 फीसदी टूटकर 21,817.45 पर क्लोज हुआ.  सेंसेक्स के 30 में से 23 शेयर गिरावट के साथ बंद हुए. केवल  7 शेयरों में ही तेजी देखी गई. सबसे ज्यादा चढ़ने वाले शेयरों में बजाज फाइनेंस 1.38 फीसदी और कोटक महिंद्रा बैंक 0.57 फीसदी ऊपर बंद हुए हैं. आईसीआईसीआई बैंक 0.26 फीसदी तो भारती एयरटेल 0.23 फीसदी की तेजी पर बंद होने में कामयाब रहे हैं।

निफ्टी में 41 शेयर लाल निशान पर बंद

वहीं, निफ्टी के 50 में से केवल 9 शेयर ही हरे निशान पर बंद हुए और 41 शेयर लाल निशान पर कारोबर करते दिखे. सबसे ज्यादा चढ़ने वाले शेयरों में बजाज ऑटो 1.47 फीसदी तो बजाज फाइनेंस 1.25 फीसदी ऊपर रहे. आयशर मोटर्स के स्टॉक्स में 0.87 फीसदी की तेजी के साथ कारोबार बंद हुआ है. कोटक महिंद्रा बैंक 0.73 फीसदी तो एचडीएफसी बैंक 0.27 फीसदी ऊपर बंद होने में कामयाब रहा है. मंगलवार को कारोबार में निफ्टी के सभी सेक्टोरल इंडेक्स गिरावट पर बंद हुए हैं. आईटी सेक्टर में सबसे अधिक बिकवाली देखने को मिली. वहीं, मीडिया सेक्टर में 2.45 फीसदी की कमजोरी आई . एफएमसीजी सेक्टर में भी 2.16 फीसदी की जोरदार गिरावट पर कारोबार बंद हुआ है।

शिक्षक भर्ती पेपर लीक पर टकराव; BPSC का परीक्षा रद्द करने से इनकार, EoU बोली- पर्याप्त सबूत, किंगपिन की तलाश

बिहार में तीसरे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले पर बीपीएससी और आर्थिक अपराध इकाई आमने- सामने आ गए हैं। एक जहां विश्वसनीय सबूतों के अभाव में बीपीएससी शिक्षक टीआरई-3 की परीक्षा को रद्द करने से इनकार कर दिया है तो वहीं आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) अपने रुख पर अड़ी हुई है। ईओयू का कहना है कि परीक्षा से एक दिन पहले ही प्रश्न पत्र बाहर आ गए थे। इस मामले में पटना के करबिगहिया इलाके से कई आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ा गया है।

ईओयू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रैकेट के सरगना की तलाश जारी है और ऐसा होने तक बीपीएससी को टीआरई-3 से संबंधित सभी दस्तावेजों और कंप्यूटरों को सुरक्षित करने के लिए कहा गया है, जिनकी जांच के दौरान जरूरत होगी।

उन्होंने कहा कि हमने बीपीएससी से एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का भी अनुरोध किया है। ईओयू ने गहन जांच के लिए एक विशेष जांच दल का भी गठन किया है, क्योंकि जांच का दायरा बढ़ सकता है और प्रश्न लीक की तह तक पहुंचने के लिए बीपीएससी तक भी जांच की आंच पहुंच सकती है, जो कि राज्य सरकार के लिए शर्मिंदगी की बात हो सकती है।

करबिगहिया से पकड़े गए विशाल नाम के व्यक्ति को भी बालासोर प्रश्न लीक के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। उसे 14 मार्च को प्रश्नों वाली पेन ड्राइव के साथ पकड़ा गया और अगले दिन, उसके द्वारा दिए गए सुरागों के आधार पर, सुबह 5 बजे हज़ारीबाग़ में छापेमारी की गई। वहां मौजूद छात्रों के दूसरे बैच के पास से बड़ी संख्या में प्रश्नों वाली उत्तर पुस्तिकाएं बरामद की गईं, जबकि पहला बैच पहले ही जा चुका था। परीक्षा में जो प्रश्न आए थे वो उससे मेल खाते हैं।

ईओयू के एडीजी एनएच खान ने कहा कि जब्त किए गए पेन ड्राइव, लैपटॉप और मोबाइल फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा ताकि संगठित नेटवर्क के तार कहां-कहां तक फैले हैं। इसका भी पता लगाया जा सके। उन्होने कहा कि किंगपिन तक पहुंचने के लिए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की पुष्टि की जाएगी। जिनके पास गोपनीय जानकारी हो सकती है। यह जानने के लिए मनी ट्रेल पर भी नज़र रख रहे हैं। कि पैसा किस के जरिए कहां पहुंचा। हमारे पास सवालों के लीक होने के पुख्ता सबूत हैं।

 

पशुपति कुमार पारस ने केन्द्रीय मंत्री पद से दिया इस्तीफा, कहा : हमारे साथ हुई नाइंसाफी

सियासी गलियारे से इस वक्त एक बड़ी ख़बर सामने आ रही है कि केन्द्रीय मंत्री पद से रालोजपा के सुप्रीमो पशुपति कुमार पारस ने इस्तीफा दे दिया है।

उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग पर उनसे कोई बात नहीं की गई है लिहाजा वे मंत्री पद से इस्तीफा दे रहे हैं। मंगलवार को नई दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर पशुपति कुमार पारस ने केन्द्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा की और कहा कि मैंने इस्तीफा भेज दिया है। इसके साथ ही पशुपति कुमार पारस ने कहा कि उनके साथ नाइंसाफी हुई है। उन्होंने पूरे लगन के साथ NDA की सेवा की है लेकिन अब दरकिनार किए जाने के बाद उन्होंने पार्टी नेताओं के साथ गहन मंथन करने के बाद ये बड़ा फैसला लिया है।

इसके साथ ही पशुपति कुमार पारस ने कहा कि सीट शेयरिंग के मसले पर उनसे बातचीत तक नहीं की गई। हालांकि, फिर भी उन्होंने सीट बंटवारा के ऐलान का इंतजार करते रहे लेकिन अब वे इंतजार नहीं करेंगे।

‘NDA में सीट बंटवारा हो गया, महागठबंधन के लोग कब करेंगे?’, सम्राट चौधरी का बड़ा हमला

लोकसभा चुनाव को लेकर तारीखों का ऐलान कर दिया गया है, यह चुनाव सात चरणों में किया जाएगा. इन सबके बीच एनडीए गठबंधन में सीट का बंटवारा हो गया है. उधर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के किस सीट पर कौन कंडिडेट होगा, इसके लिए अभी तक कुछ तय नहीं हुआ है. इसी कड़ी में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी आज दिल्ली से पटना पहुंचे के बाद पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए नया दावा कर दिया है।

सम्राट चौधरी ने कहा कि एनडीए में सीट शेयरिंग हो गई है निश्चित तौर पर सभी सीटों पर इस बार एनडीए के उम्मीदवार ही चुनाव जीतेंगे. उन्होंने दावा ठोकते हुए कहा कि बिहार की जनता इस बार 40 में से 40 सीट एनडीए गठबंधन को देने का काम करेगी. वहीं महागठबंधन पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि वो कब सीट का बंटवारा करेंगे या क्या करेगा इसके बारे में हम नहीं जानते लेकिन हम इतना जरूर जानते हैं कि वह मैदान में किसी उम्मीदवार को कहीं से भी उतार दें उन्हें सफलता नहीं मिलने वाली है।

सम्राट चौधरी ने कहा कि एनडीए ने सीट शेयरिंग कर ली है. इस बार लोकसभा चुनाव में बिहार में 40 में से 40 सीट एनडीए गठबंधन इस बार जीतने का काम करेगी. महागठबंधन किसी भी तरह के उम्मीदवार को मैदान उतारेगी तो भी एनडीए गठबंधन को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।

पशुपति पारस के केन्द्रीय मंत्री पद से इस्तीफे के बाद बिहार की सियासत गरम, जानें तेजप्रताप ने क्या कहा

पशुपति पारस के केन्द्रीय मंत्री पद से इस्तीफे के बाद बिहार की सियासत गरमा गयी है। इस मामले पर अब महागठबंधन की तरफ से भी बयान आने लगे हैं।

महागठबंधन की तरफ से बिहार के पूर्व मंत्री और लालू प्रसाद के बड़े लाल तेजप्रताप यादव ने पशुपति कुमार पारस पर बड़ा बयान दिया है और कहा है कि पशुपति पारस का हम सबसे पहले स्वागत करेंगे। केन्द्रीय मंत्री पद छोड़कर उन्होंने बहुत अच्छा किया है।

पूर्व मंत्री और आरजेडी विधायक तेज प्रताप यादव ने कहा कि बीजेपी में नाइंसाफी होती है। पशुपति पारस के साथ नाइंसाफी हुई है, जिसके बाद उन्होंने सही फैसला लेते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि उनका महागठबंधन में स्वागत है। अगर वह महागठबंधन की तरफ से चुनाव लड़ते हैं तो महागठबंधन को इससे काफी फायदा मिलेगा।

तेज प्रताप यादव ने कहा, “अच्छा किया पशुपति जी ने छोड़ दिया। बहुत पहले ही छोड़ देना चाहिए था।” तेज प्रताप यादव मंगलवार को पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने बीजेपी को भी निशाने पर लिया। तेज प्रताप यादव ने कहा कि “मेरी भविष्यवाणी है 2025 में भारतीय जनता पार्टी खत्म है।”

सीएम नीतीश को लगा बड़ा झटका, मो. अली अशरफ पार्टी ने JDU को कहा बाय-बाय

बिहार के सियासी गलियारे से बड़ी ख़बर सामने आ रही है कि नीतीश कुमार की पार्टी को बड़ा झटका लगा है। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर नेताओं के बीच पाला बदलने का सिलसिला लगातार जारी है। इस बीच जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव मो. अली अशरफ फातमी ने नीतीश कुमार का साथ छोड़ दिया है।

जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव मो. अली अशरफ फातमी ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया है। अब से थोड़ी देर पहले उन्होंने इसकी घोषणा की है। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव सह पूर्व केंद्रीय मंत्री मो. अली अशरफ फातमी ने आज जनता दल यू के सभी पदों सहित प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

फातमी ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजे पत्र में कहा कि मैं नैतिक मूल्यों की रक्षा हेतु जनता दल यूनाइटेड के सभी पदों सहित प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।