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तेजस्वी यादव बोले:भाजपा 17 वर्ष सरकार में रही, पर रोजगार नहीं दी

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि भाजपा 17 वर्षों तक सरकार में रही, कभी रोजी रोजगार नहीं दी। सर्वप्रथम देश-प्रदेश में हमने 10 लाख नौकरियों की बात की तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते थे कि यह असंभव है, बजट में पैसा कहां से आएगा?

तेजस्वी यादव बुधवार को चुनाव प्रचार के लिए रवाना होने के पूर्व पटना में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पटना बुलाकर भाजपा ने घोषणा पत्र जारी किया और कहा कि भाजपा 19 लाख रोजगार देगी। तेजस्वी ने कहा कि 17 महीने में हमने उप मुख्यमंत्री की हैसियत से ही पांच लाख नौकरियां दी और तीन लाख नौकरियां प्रक्रियाधीन करवाई।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया, लेकिन उन्हीं के विचारों का विरोध कर रहे हैं।

पूरा बिहार मेरा परिवार, सरकार के काम याद रखें: सीएम नीतीश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जदयू और भाजपा का परिवार देश और राज्य की जनता है। मेरे लिए पूरा बिहार एक परिवार की तरह है। वहीं, उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग धृतराष्ट्र की तरह जनता को लाचार और बेबस छोड़कर पत्नी, बेटा, बेटी को ही परिवार मानते हैं। ऐसे संकीर्ण सोच रखने वाले करोड़ों जनता की भलाई कैसे करेंगे? मुख्यमंत्री गुरुवार को मधेपुरा, सुपौल और बेगूसराय में चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे थे। सीएम ने 2005 के पहले के बिहार की याद दिलाते हुए कहा कि बिहार में भय और भ्रष्टाचार का माहौल था। अपहरण, लूट, हत्या, दुष्कर्म, राहजनी जैसे जघन्य अपराधों का साम्राज्य कायम था। गिरोहों के सरगना कानून से खेला करते थे। त्राहिमाम करती जनता पुलिस प्रशासन के पास न्याय मांगने नहीं जाती थी, बल्कि सरगना के रहमोंकरम पर निर्भर थी।

उन्होंने कहा कि एनडीए की सरकार बनते ही सबसे पहले जंगल राज को समाप्त किया गया। 2005 से पहले बिहार का सालाना बजट 24 हजार करोड़ रुपए था, लेकिन अभी बिहार का सालाना बजट दो लाख 72 हजार करोड़ रुपए है। स्वास्थ्य, शिक्षा सड़क, बिजली, सिंचाई, रोजगार, महिला सशक्तिकरण सहित अन्य क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। उन्होंने अपील की कि सरकार के काम को आपलोग याद रखिएगा। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर निशाना साधा कि वो बहुत गड़बड़ किये थे, इसलिए हमने हटा दिया। तय किया है कि अब हम कभी इधर-उधर नहीं जाएंगे।

पूरे देश में जीविका का बिहार मॉडल

सीएम ने कहा कि स्वयं सहायता समूह में पहले बिहार में काफी कम महिलाएं थीं। हमने विश्व बैंक से कर्ज लेकर स्वयं सहायता समूह खड़ा किया। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का नाम जीविका दीदी दिया। फिर पूरे देश में बिहार मॉडल लागू हुआ और इन संगठनों का नाम देशभर में आजीविका पड़ा। उन्होंने कहा कि बिहार के सभी मदरसा को मान्यता देकर सरकारी स्कूलों की तरह लाभ भी दिया जा रहा है।

मोदी सरकार में भारत की हैसियत बढ़ी : राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की दुनिया में हैसियत बढ़ी है। पड़ोसी देशों ने भी मान लिया है कि भारत अब कमजोर नहीं रहा। भारत सीमा के अंदर भी दुश्मनों को मार सकता है और बाहर भी मारने की क्षमता रखता है।

गुरुवार को रक्षा मंत्री छपरा में भाजपा प्रत्याशी व पूर्व मंत्री राजीव प्रताप रूडी के नामांकन के बाद और सुपौल में आयोजित सभा में बोल रहे थे।

उन्होंने अर्थव्यवस्था, आतंकवाद और भ्रष्टाचार की चर्चा करते हुए यूपीए सरकार को घेरा। कहा कि अर्थव्यवस्था के मामले में भारत का आकार बढ़ा है। कांग्रेस सरकार में भारत की अर्थव्यवस्था 11 वें स्थान पर थी और अब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह पांचवें स्थान पर पहुंच चुकी है। अर्थशास्त्रित्त्यों के अनुसार और मेरा दावा है कि भारत तीन साल में तीसरे पायदान पर खड़ा हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र बिना लोक-लाज के नहीं चलता है। सभी यह ठान लें कि लालटेन युग की वापसी अब नहीं करानी है। सभा को डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, रविशंकर प्रसाद, शाहनवाज हुसैन, संजय झा, संतोष सिंह ने भी संबोधित किया।

आपातकाल के विरोधी लालू आज राहुल के साथ : नड्डा

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक बार फिर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को निशाने पर लिया। नड्डा ने जेपी आंदोलन के समय को याद करते हुए कहा कि पहले लालू प्रसाद परिवारवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते थे। मगर अब वे खुद इनकी जद में आ गए हैं।

आपातकाल में उन्होंने जिस कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई लड़ी, उसी पार्टी के राहुल गांधी के साथ मटन बनाकर खा रहे हैं। जेपी नड्डा गुरुवार को अररिया के पलासी प्रखंड के धर्मगंज मेला मैदान में बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप कुमार सिंह के समर्थन में चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे।

वहीं, मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड के केरमा स्टेडियम में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि लोगों को नरेन्द्र मोदी की गारंटी देते हुए कहा कि उनकी सरकार ने केवल शहरों के विकास के लिए स्मार्ट सिटी योजना ही नहीं बनाई, बल्कि विकसित भारत बनाने के लिए गांवों और पंचायतों को भी सुदृढ़ किया जा रहा है।

इसके लिए पर्याप्त फंड भी राज्य सरकारों को दिए जा रहे हैं। अब हर पंचायत को दो से 5 करोड़ रुपये हर साल दिए जा रहे हैं।

चुनावी माहौल के बीच जेल से बाहर आएंगे अनंत सिंह !

बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार इन दिनों फिर से सुर्खियों में हैं. कारण, चर्चा यह है कि जेल में बंद पूर्व विधायक अनंत सिंह पैरोल पर बाहर आ रहे हैं. जानकारी के मुताबिक अनंत सिंह को दो दिन पहले ही पैरोल पर बाहर आ जाना था, लेकिन जरूरी दस्तावेज तैयार नहीं होने के कारण इसमें देरी हो रही है. जानकार बताते हैं कि अगले दो से तीन दिनों में अनंत सिंह पैरोल पर बाहर आ जाएंगे.

चर्चा है कि अनंत सिंह को बेहतर इलाज के लिए पैरोल दी जा रही है. हालांकि आधिकारिक पुष्टि किसी ने नहीं की है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बीच अनंत सिंह का पैरोल पर बाहर आना राजनीतिक चर्चाओं को हवा दे रहा है. अनंत सिंह के जेल से बाहर आने की खबरों के साथ मुंगेर लोकसभा की मोकामा विधानसभा एक बार फिर से सुर्खियों में आ गई है.

दरअसल, मोकामा के पूर्व विधायक और बाहुबली अनंत सिंह फिलहाल एक-47 रखने के मामले में साज्यफ्ता हैं. कोर्ट ने उन्हें 10 साल की सजा सुनाई थी. अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी फिलहाल मोकामा से विधायक हैं. आरजेडी की विधायक होने के बावजूद नीलम देवी ने चंद महीने पहले बिहार में एनडीए सरकार बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. फिलहाल नीलम देवी एनडीए के साथ हैं और ऐसे में लोकसभा चुनाव के दौरान अनंत सिंह का जेल से बाहर आना बेहद दिलचस्प है.

बता दें कि मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में 13 मई को वोटिंग है और उससे पहले अनंत सिंह का पैरोल पर बाहर आने की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है. वैसे तो अनंत सिंह को जो पैरोल मिलने वाली है, उसके पीछे पूर्व विधायक की बीमारी के इलाज कारण बताया जा रहा लेकिन अनंत सिंह चुनाव को जेल से बाहर रखकर किस तरह प्रभावित कर सकते हैं ये बताने की जरूरत नहीं. बाहुबली अनंत सिंह जेडीयू से लेकर आरजेडी और निर्दलीय के तौर पर जीत हासिल कर चुके हैं.

अनंत सिंह को उनके इलाके में लोग छोटे सरकार के नाम से जानते हैं. कभी नीतीश कुमार के बेहद खास रहे अनंत सिंह बाद में राजनीतिक कारणों से सीएम से दूर होते चले गए और लालू यादव के करीबी हुए. लेकिन अब एक बार फिर अनंत सिंह एनडीए के पाले में हैं. जानकारों का दावा है कि अनंत सिंह भले ही खुले तौर पर चुनाव प्रचार ना भी करें, तब भी वह अपने स्तर से जेडीयू के लोकसभा उम्मीदवार और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को फायदा पहुंचा सकते हैं.

गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में ललन सिंह और अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के बीच सीधी टक्कर मुंगेर लोकसभा सीट पर हुई थी. तब ललन सिंह जेडीयू उम्मीदवार थे और अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी कांग्रेस की उम्मीदवार थीं. वहीं जब अनंत सिंह सजायाफ्ता हुए तो उनकी विधायकी चली गई, तब मोकामा सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में नीलम देवी आरजेडी उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरीं. नीलम देवी जब विधानसभा उपचुनाव लड़ रही थीं, तब नीतीश और लालू एक साथ थे. नतीजा यह हुआ कि ललन सिंह ने मोकामा विधानसभा उपचुनाव के दौरान अनंत सिंह की पत्नी के लिए वोट मांगे थे.

उधर, ललन सिंह के सामने मोकामा सीट इस वक्त चुनौती बनी हुई है. कारण, लालू यादव ने यहां कुख्यात गैंगस्टर रहे अशोक महतो की पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा है. अशोक महतो पिछले दिनों ही जेल से बाहर आया था और अब ललन सिंह पैरोल पर जेल से बाहर आ रहे हैं. ऐसे में जानकार मानते हैं कि ललन सिंह को अनंत सिंह से बड़ी उम्मीदें भी होंगी. अनंत सिंह न केवल मोकामा बल्कि पूरे मुंगेर लोकसभा सीट पर अपना प्रभाव दिखा सकते हैं और इसका फायदा सीधे-सीधे ललन सिंह को मिल सकता है.

सूरत से निर्विरोध निर्वाचन पर तत्काल सुनवाई नहीं

गुजरात हाईकोर्ट ने सूरत लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार मुकेश दलाल को निर्विरोध निर्वाचित घोषित करने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया।

मुख्य न्यायधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी. माई ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि उन्हें जनहित याचिका के बजाय चुनाव याचिका दाखिल करनी चाहिए। याची भावेश पटेल ने मामले की तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध करते हुए दलील दी कि वह सूरत का पंजीकृत मतदाता है और निर्वाचन आयोग ने बिना मतदान कराए दलाल को विजेता का प्रमाणपत्र देकर उन्हें दलाल के खिलाफ मत देने के विकल्प से वंचित कर दिया है।

अलग व्यवहार करने का कोई प्रावधान नहीं मुख्य न्यायाधीश अग्रवाल ने कहा कि यदि कोई उम्मीदवार निर्विरोध चुना जाता है, तो वह भी उस विजेता उम्मीदवार के समान होता है, जिसे मतदान और मतों की गिनती की प्रक्रिया के बाद विजयी घोषित किया जाता है। वह किसी अन्य अलग श्रेणी में नहीं आता है और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में उसके साथ अलग व्यवहार करने का कोई प्रावधान नहीं है।

राहुल गांधी से ज्यादा फास्ट निकले पीएम मोदी, 3 गुणा अधिक के साथ लगातार कर रहे रोड शो

दो चरणों का लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुका है। भाजपा और कांग्रेस ने खूब दमखम लगा रखा है। भाजपा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस से राहुल गांधी ने भी मोर्चा संभाल रखा है। भाजपा 400 पार के लक्ष्य पर काम कर रही है तो वहीं कांग्रेस सत्ता में वापसी करना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दिन में तीन से चार रैलियां कर रहे हैं। वहीं राहुल गांधी रोजाना करीब दो जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं।

नरेंद्र मोदी ने 31 तो राहुल गांधी ने की 11 रैलियां

अगर 20 से 30 अप्रैल तक प्रचार अभियान नजर डालें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 राज्यों में 31 जनसभा को संबोधित किया तो वहीं राहुल गांधी ने दो केंद्र शासित प्रदेश समेत 10 राज्यों में 11 रैलियां कीं। पीएम मोदी ने भोपाल और बरेली में दो रोड शो भी किए हैं।

पीएम मोदी ने कहां-कहां की जनसभा

महाराष्ट्र में नांदेड़, परभणी, कोल्हापुर, सतारा, पुणे, सोलापुर, माढा, उस्मानाबाद और लातूर समेत कुल नौ जनसभाएं कीं।

कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर, बेंगलुरू उत्तर, बेलगावी, उत्तर कन्नड़, दावणगेरे, बेल्लारी और बागलकोट में कुल सात रैलियां कीं।

राजस्थान के टोंक सवाई माधोपुर और दक्षिण गोवा में एक-एक जनसभा की।

उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ आगरा, आंवला व शाहजहांपुर में कुल चार रैलियां कीं।

बिहार के अररिया और मुंगेर में दो जनसभा।

मध्य प्रदेश में सागर, बैतूल और मुरैना में रैली की।

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा, महासमुंद और सरगुजा में तीन रैलियां कीं।

10 राज्यों को राहुल गांधी ने किया कवर

राहुल गांधी भी चुनावी समर में पूरे दमखम से उतरे हैं। वे रोजाना करीब दो रैलियां कर रहे हैं। 20 से 30 अप्रैल तक राहुल गांधी ने दो केंद्र शासित प्रदेश समेत 10 राज्यों में कुल 11 जनसभाएं कीं। राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा, दमन एवं द्वीप, मध्य प्रदेश में एक-एक, महाराष्ट्र और कर्नाटक में दो-दो रैलियों को संबोधित किया।

इन जगहों पर हुईं राहुल की रैलियां

मध्य प्रदेश में भिंड।

गुजरात में पाटण।

छत्तीसगढ़ में बिलासपुर।

ओडिशा में केंद्रापारा।

दमन एवं द्वीप।

बिहार में भागलपुर।

उत्तर प्रदेश में अमरोहा।

कर्नाटक में दो रैलियां बीजापुर और बेल्लारी में कीं।

महाराष्ट्र में सोलापुर और अमरावती में दो जनसभाओं को संबोधित किया।

दिल्ली में सामाजिक न्याय सम्मेलन में हिस्सा लिया।

नोट: कार्यक्रम की जानकारी भाजपा की वेबसाइट और कांग्रेस के आधिकारिक एक्स हैंडल से ली गई है।

शह-मात के खेल में ओवैसी की पार्टी का नया पैंतरा, इन आठ सीटों पर कई दलों की बढ़ जाएंगी चिंता

एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) का नया पैंतरा राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका रहा। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने पहले बिहार की 16 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया, लेकिन सुस्त पड़ी रही। चार चरण की 18 सीटों पर नामांकन खत्म हो गया।

लगा कि किशनगंज को छोड़कर पार्टी अब किसी सीट से चुनाव नहीं लड़ने जा रही। दल ने ऐसे संकेत भी दिए। फिर अचानक पार्टी ने न सिर्फ अब शिवहर से प्रत्याशी उतार दिया है, बल्कि आठ और सीटों पर उम्मीदवार देने का एलान किया है।

ओवैसी के फैसले से हैरानी

ओवैसी की रणनीति से हैरानी इसलिए हो रही कि राज्य में किशनगंज के बाद सर्वाधिक मुस्लिम मतदाताओं वाली सीट अररिया और कटिहार है। करीब 42 प्रतिशत मुस्लिम वोटरों के बावजूद एआईएमआईएम ने यहां प्रत्याशी नहीं दिए। कटिहार में तो एआईएमआईएम ने आदिल हसन को प्रत्याशी तक घोषित कर दिया था, लेकिन नामांकन से चंद घंटों पूर्व पार्टी का फैसला आया कि यहां से वह चुनाव नहीं लड़ेगी।

यहां टूटा समर्थकों का दिल

अररिया में पूर्व सांसद तसलीमुद्दीन के बड़े पुत्र सरफराज आलम चुनाव में ताल ठोंकने को तैयार बैठे थे। पिछली बार इस सीट से वह राजद के प्रत्याशी थे, लेकिन सरफराज का टिकट काटकर लालू ने उनके छोटे भाई शाहनवाज को लालटेन थमा दी।

बागी बनने को तैयार सरफराज को उम्मीद थी कि शायद एआईएमआईएम से उनकी दाल गल जाए, लेकिन ओवैसी की पार्टी ने अररिया को भी ऐसे ही छोड़ दिया।

सरफराज और ओवैसी समर्थकों का दिल टूट गया। किशनगंज की तरह अररिया और कटिहार में बांग्लादेशी मुसलमानों की संख्या काफी अधिक है, ये ओवैसी की आक्रामकता को पसंद करते हैं।

अब क्यों बदला स्टैंड?

किशनगंज से प्रत्याशी देने के बाद ओवैसी चुपचाप बैठे तो यह चर्चा हुई कि अंदरखाने महागठबंधन से उनका समझौता हो गया है। 2020 में सीमांचल से जीतने वाले एआईएमआईएम के चार विधायकों के राजद में मिल जाने से पार्टी पर ऐसे ही सवालिया निशान लग रहे थे। ऐसी स्थिति में एआईएमआईएम दुविधा में थी कि बिहार में वह मैदान में कितना जोर लगाए। इसी बीच खामोश बैठे ओवैसी ने किशनगंज में प्रत्याशी के पक्ष में कैंप करने की ठानी।

किशनगंज में जमाया अड्डा

26 अप्रैल को मतदान से एक सप्ताह पूर्व ओवैसी ने किशनगंज में अड्डा जमा दिया। चार दिनों तक धुंआधार प्रचार किया। इस दौरान क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों को उनके बिंदास बोल ने खूब आकर्षित किया। भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के खिलाफ भी जब उन्होंने आग उगली तो सभाओं में जमकर तालियां बजीं।

क्या इसलिए मैदान में उतरी एआईएमआईएम

यहां से पार्टी ने अपना स्टैंड बदला और तय किया कि बिहार में अन्य सीटों पर भी वह चुनाव लड़ेगी। दरअसल, एआईएमआईएम को अहसास हो गया कि मुसलमानों को अगर यह लगा कि उनकी पार्टी का कांग्रेस का अंदरूनी गठबंधन है तो फिर उन्हें कौन पूछेगा। ऐसे में वजूद बचाने के लिए वह मैदान में उतर आई।

ऊपर कुछ और, अंदर कुछ और

शिवहर में प्रत्याशी देकर एआईएमआईएम संदेश देने की कोशिश कर रही कि वह भाजपा और महागठबंधन दोनों से लड़ रही है। हालांकि जमीनी हकीकत बता रही कि ओवैसी के निशाने पर सिर्फ एनडीए है। ऐसी सीटों पर जहां एनडीए विरोधी मतों के बंटने का खतरा है, वहां उसने प्रत्याशी देने से परहेज किया।

कटिहार में कांग्रेस के तारीक अनवर के विरुद्ध अंत समय में अपने प्रत्याशी को मैदान में उतरने से रोक दिया। अररिया में राजद प्रत्याशी शाहनवाज को मिलने वाला मुस्लिम वोट बंटे नहीं इसलिए वहां प्रत्याशी नहीं दिया।

शिवहर में एआईएमआईएम के सामने चुनौती

शिवहर में पूर्व सांसद सीताराम सिंह के बेटे राणा रणजीत सिंह को एआईएमआईएम ने अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या महज 16 प्रतिशत है। जाहिर तौर पर मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति के आधार पर खड़ी एआईएमआईएम के सामने यहां चुनौती है।

हां, वह जदयू का खेल जरूर बिगाड़ सकती है। राजपूत लवली आनंद के सामने मतदाताओं को उसने उसी जाति से राणा रणजीत सिंह को खड़ा किया है। राजपूत वोट बंटे तो इसका सीधा फायदा राजद को मिलेगा।

इन सीटों पर भी ओवैसी प्रत्याशी उतारेंगे

इन आठ सीटों गोपालगंज, पाटलिपुत्र, महाराजगंज, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, जहानाबाद, काराकाट, वाल्मीकिनगर या मोतिहारी सीट पर भी एआईएमआईएम ने प्रत्याशी देने का एलान किया है। आने वाला वक्त बताएगा कि प्रत्याशियों के मैदान में उतरने से किसे नफा-नुकसान हुआ।

‘पहले इंसानों को बांटते थे, अब भगवान में लड़ाई लगाने की कोशिश’, खड़गे पर भड़के चिराग

लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला है. कुछ दिन पहले कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक रैली में विवादित बयान दे दिया था, जिसे लेकर चिराग पासवान ने पलटवार किया है. उनसे जब पूछा गया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष कांग्रेस ने आपत्तिजनक बयान शिव को लेकर दिया है और कहा है कि शिव ‘मैं हूं’ उन्होंने कहा कि यह लोग किस तरीके से भगवान को भी लड़ाने का काम कर रहे हैं।

“यह लोग समाज को तोड़ने का काम तो पहले कर रहे थे और भगवान को भी लड़ाने का काम करने लगे हैं, इनकी मानसिकता सामने आ गई है. प्रधानमंत्री पर आपत्तिजनक बयान काफी अशोभनीय है, इससे ज्यादा गलत चीज नहीं हो सकती. प्रधानमंत्री ने भारत के सिर को ऊंचा किया और आपका उनसे राजनीतिक बैर हो सकता है लेकिन आप उन पर आपत्तिजनक टिप्पणी करें यह बिल्कुल गलत है. इससे उनकी मानसिकता बिल्कुल झलकती है.”-चिराग पासवान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, लोजपा (आर)

‘टूट गया होता तेजस्वी का घमंड’: वहीं जब चिराग से पूछा गया कि तेजस्वी यादव ने कहा है कि मोदी युग का अंत हो गया है और एनडीए चुनाव हार रहा है. जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि ‘पिछली बार एक सीट नहीं जीत पाए थे, इस बार खाता भी नहीं खुलेगा और 2020 का चुनाव इन्हें भूलना नहीं चाहिए. हम लोग अगर एक साथ चुनाव लड़े होते तो आज इनका घमंड टूट गया होता.’

‘पीएम मोदी के साथ है जनता’: चिराग पासवान ने साफ-साफ कहा कि आज तेजस्वी यादव बिहार के सबसे बड़े पार्टी बनाने को लेकर घमंड कर रहे हैं. 2020 में अगर हम एनडीए में जाकर एक साथ चुनाव लड़ते तो निश्चित तौर पर उनका घमंड इस समय में टूट जाता. उन्होंने कहा कि इस बार बिहार में 40 में से 40 सीट एनडीए के उम्मीदवार जीत रहे हैं. ‘यह बात आप गांठ बांधकर रख लीजिए यह लोग कुछ भी कहे जनता इन्हे कहीं भाव नहीं दे रही है. बिहार की पूरी जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है.’