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बांका के बेटे ने नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में जीता गोल्ड, पिता करते हैं सिक्योरिटी गार्ड का काम

बांकाः पिता दिल्ली में सिक्योरिटी गार्ड का काम करते हैं और बेटा पूरे देश में अपने पिता, परिवार और जिले का नाम रोशन कर रहा है. नाम है अंनत कुमार. बांका के शंभुगंज प्रख्ड के रहनेवाले अनंत कुमार ने औरंगाबाद नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में सबको पछाड़ते हुए गोल्ड पर कब्जा किया. अनंत की इस सफलता से उसके परिवार में खुशी की लहर है.

‘दिल्ली से कुश्ती की शुरुआत’: मूल रूप से बांका के शंभूगंज प्रखंड के रहने वाले जोगिंदर प्रसाद सिंह के पुत्र अनंत कुमार का कहना है कि “मेरे पापा दिल्ली में रहते हैं और सिक्योरिटी गार्ड कंपनी में सुपरवाइजर हैं. वहीं से मैंने कुश्ती की शुरुआत की. मैंने गुरु हनुमान के अखाड़े से कुश्ती की शुरुआत की. इस दौरान मैं दिल्ली स्टेट में भी सेकेंड आया.”

‘पैसे की कमी के कारण आना पड़ा गांव’: अनंत बताते हैं कि 2007 में मैं गांव वापस आ गया और गांव के ही बगीचे में अखाड़ा बनाकर प्रैक्टिस शुरू की.गांव के अगल-बगल दंगल का पता करता था और अकेला ही दंगल लड़ने जाता था. 2008 में मेरी मुलाकात कुर्मा हाई स्कूल के टीचर संतोष सिंह से हुई.उन्होंने मुझे प्रखंड लेवल से बांका डिस्ट्रिक्ट लेवल खिलाया.जिले से बिहार राज्यस्तरीय कुश्ती में सिलेक्शन हुआ. जिसके बाद मैंने पटना बीएमपी में गोल्ड मेडल जीता.

‘नेशनल चैंपियनशिप के लिए भी हुआ सेलेक्शन’: अनंत ने बताया कि “मेरा नेशनल लेवल पर भी सेलेक्शन हुआ पर मैं नेशनल चैंपियनशिप में नहीं जा पाया. क्योंकि उस समय मैं महाराष्ट्र के औरंगाबाद में आयोजित चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए चला गया था. वहां मैंने गोल्ड जीता और फिर 4 अप्रैल को ओडिशा के पुरी में आयोजित कम बैक नेशनल चैंपियनशिप में भी गोल्ड हासिल किया.”

 

चनाचूर फैक्ट्री में काम करने वाले की बेटी बनी नेवी में अफसर, महाराष्ट्र के लोनावाला में हुई पोस्टिंग

बिहार के गया की बेटी रिया कुमारी नेवी में मैकेनिकल इंजीनियर बनी है. उसकी पोस्टिंग महाराष्ट्र के लोनावाला में हुई है. इस बीच वह अपने घर आई तो परिवार में खुशी का माहौल हो गया. घर में सत्यनारायण भगवान की पूजा भी कराई गई. रिया ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को दिया है. बता दें कि रिया के पिता निरंजन सिंह चनाचूर फैक्ट्री में काम करते हैं।

नेवी में अफसर बना गया की बेटी: जिले के गुरुआ प्रखंड अंतर्गत बरमा गांव के रहने वाले निरंजन कुमार की पुत्री रिया कुमारी नेवी में अफसर बनी है. निरंजन कुमार चनाचूर नमकीन फैक्ट्री में काम करते हैं. विगत माह ही नेवी में रिया का रिजल्ट आया था. इसके बाद ट्रेनिंग पूरा किया और अब वह फिलहाल में नेवी में मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर लूनावाला मुंबई में पोस्टेड है।

आर्थिक तंगी रही लेकिन बेटी को पढाया: बता दें कि निरंजन कुमार साधारण परिवार से आते हैं. वह खुद चनाचूर नमकीन फैक्ट्री में काम करते हैं, लेकिन अपनी बेटी को पढ़ाने में इन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. यही वजह रही कि रिया आज नेवी में अफसर बनी हैं. रिया का कहना है, कि लड़कियां किसी से कमजोर नहीं होती हैं और आज लड़कियां कई क्षेत्रों में बेहतर कर रही है।

पिता के छलक पड़े आंसू: वहीं, अपनी बेटी को अफसर बनाने के सवाल पर पिता निरंजन कुमार की आंखों से आंसू छलक आते हैं. बताते हैं, कि वह कोलकाता में चनाचूर फैक्ट्री में काम करते हैं, लेकिन बेटी को पढ़ने के लिए कभी पीछे नहीं हटे. वहीं, रिया का कहना है, कि वह लड़कियों के लिए संदेश देना चाहती है, कि वे किसी से कमजोर नहीं है. मेहनत कर खुद को आगे बढ़ाएं, निश्चित तौर पर उन्हें सफलता मिलेगी. आज लड़कियां देश की सेवा बेहतर तरीके से विभिन्न क्षेत्रों के माध्यम से कर रही है।

सेल्फ स्टडी की, यूट्यूब से सीखती रही: रिया कुमारी बताती हैं कि उन्होंने यूट्यूब की मदद लेकर सेल्फ स्टडी की. वहीं एक कोचिंग का सहारा लिया. इसके बाद वह कहीं बाहर पढ़ने नहीं गई. गांव में ही रहकर पढ़ाई पूरी की और आज नेवी में अफसर बनी हैं. रिया बताती है, कि उसके मम्मी पापा ने काफी सपोर्ट किया. पापा कहते थे, बेटी को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. माता रेखा देवी व पिता निरंजन कुमार का विश्वास रंग लाया है और वह नेवी में अफसर बनी है. उसकी गांव की दो दोस्त स्वाति कुमारी और सोनम कुमारी भी नेवी में गई है।

फिल्म 12th फेल से मिलती- जुलती है, बिहार के मनोज शर्मा की IAS बनने की कहानी

भागलपुर। 12वीं फेल फिल्म की कहानी की चर्चा हर तरफ हो रही है। आईपीएस मनोज शर्मा और श्रद्धा की कहानी जानने के लिए सिनेमा थिएटरों में दर्शकों की भीड़ उमड़ रही है। भागलपुर में कार्यरत एक आईएएस अधिकारी की कहानी 12वीं फिल्म से काफी मिलती-जुलती है।जी हां, हम बात कर रहे हैं- भागलपुर में डीडीसी के रूप में कार्यरत कुमार अनुराग की। हालांकि, उनके जीवन में श्रद्धा जैसी कोई लड़की नहीं है, लेकिन मेहनत मनोज शर्मा से रत्ती भर कम नहीं है।

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है… वाक्य को चरितार्थ करने वाले कुमार अनुराग जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित शिक्षा संवाद में जहां भी जा रहे हैं, वे बच्चों को अपनी सफलता-असफलता की कहानी बताते हैं। कैसे पढ़ाई की जाए इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं।इनकी तारीफ खुद जिला अधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने शिक्षा संवाद दौरान भी की है। यही कारण है कि कुमार अनुराग इन दिनों युवाओं के रोल मॉडल बन गए हैं। भागलपुर के उप विकास आयुक्त कुमार अनुराग मूलतः कटिहार जिले के रहने वाले हैं।

दिलचस्प है असफलता के बाद सफलता के शीर्ष तक पहुंचने की कहानी

कुमार अनुराग ने बताया कि जब वे इंटरमीडिएट में पढ़ रहे थे तो प्री बोर्ड के दौरान गणित की परीक्षा में फेल हो गए थे। इसके बाद परिवार वालों से थोड़ी डांट पड़ी थी। प्री बोर्ड में फेल होने के बाद मैंने गणित पर खूब मेहनत की। जब बोर्ड की परीक्षा हुई तो गणित में मुझे 94 नंबर आए। मैं फर्स्ट डिवीजन से पास हुआ, लेकिन गणित के चक्कर में दूसरा विषय कमजोर रह गया। जिसके कारण जब मेडिकल और इंजीनियरिंग की परीक्षा दी तो अच्छे रैंक नहीं आए और IITian बनने का सपना टूट गया।

अनुराग ने आगे बताया, “इतना होने के बाद मैंने आर्ट्स से स्नातक करना शुरू किया। इसके लिए श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में नामांकन कराया। असफलता ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा। दूसरे ही साल मुझे अर्थशास्त्र के माइक्रोइकोनामिक्स में बैक लग गया। उस समय ऐसा लगा कि अब मैं इसे भी छोड़ दूं, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और मेहनत करता रहा। वर्ष 2017 में यूपीएससी की परीक्षा दी। उसमें 677 में रैंक आया था। मुझे इंडियन इकोनामिक्स सेवा का मौका मिला था।”अनुराग ने कबा कि इसके बाद मैंने फिर दोबारा 2018 में इकोनामिक्स को ही मजबूत बनाते ही उसे आप्शनल विषय के रूप में रखा और देशभर में 48 वीं रैंक प्राप्त की।

कभी टॉपर नहीं रहा, बस मेहनत जारी रखी

कुमार अनुराग ने बताया कि उनकी शुरुआती शिक्षा कटिहार में ही हुई थी। छठी कक्षा के बाद उनका नामांकन सिलीगुड़ी में हुआ। मैं पढ़ने में साधारण था। कभी टॉपर नहीं रहा, लेकिन मेरे अंदर कुछ करने की जीजिविषा थी। जब भी नंबर काम आए तो अंदर से डर तो लग रहा था, लेकिन उस वक्त परिवार का सपोर्ट मिला। मेरे पिता ने मुझसे बस यही कहा कि तुम्हारी जो पसंद है, तुम उस क्षेत्र में जाओ। वह तुम्हारे लिए बेहतर होगा। तुम उसमें जरूर अच्छा करोगे।

उन्होंने बताया कि उनके पिता और बड़े भाई डॉक्टर हैं। पिता डॉ. दिलीप कुमार और बड़े भाई कुमार हिमांशु कटिहार में ही अपनी सेवा दे रहे हैं। असफलता में ढूंढा सफलता का मंत्र कुमार अनुराग शिक्षा संवाद में बच्चों के बीच अपनी बात रखते हुए कहते हैं कि जब आप असफल होते हैं, तो उस समय खुद को कमजोर नहीं होने दें। आप किस जगह पर असफल हुए हैं, उस कमजोरी को पकड़े। फिर उस कमजोरी को दूर करने में अपना जी जान लगा दें। आपके द्वारा की गई मेहनत ही आपको सफल बनाएगी।

कुमार अनुराग की युवाओं से अपील

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में छात्र यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें जाना किस ओर है, इसलिए मेरा सभी युवाओं से अनुरोध है कि पहले अपने लक्ष्य तय करें कि उनको करना क्या है। लक्ष्य तय कर ईमानदारी से प्रयास करें। उन्होंने अभिभावकों के लिए कहा कि किसी विषय में नंबर काम आने से बच्चों की क्षमता का आकलन नहीं किया जा सकता। वर्तमान समय में नंबर के चक्कर में अभिभावक बच्चों पर दबाव बनाते जा रहे हैं। इससे अभिभावक को निकलना होगा। अभिभावक अपने बच्चों के अंदर में वह हुनर तलाश करें, जिसमें उनका बच्चा आगे बढ़ना चाहता है। अगर वह ऐसा करते हैं तो उनका बच्चा जरूर सफल होगा।

भागलपुर की बेटी अर्चना ने गँवाया आधा शरीर, आंतरराष्ट्रीय गेम में मेडल जीत बढ़ाया देश का नाम

भागलपूर जब मन बना लिया हो ऊंची उड़ान का तो फिर कद क्या देखना आसमान का इस कथन सही साबित कर दिखाया है बांका पंजवारा की रहने वाली अर्चना कुमारी ने. मूल रूप से बांका पंजवारा के नगरी गांव की रहने वाली अर्चना कुमारी नारी शक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही है.

नौवीं कक्षा में छत से गिरने के कारण अपना आधा शरीर गँवा बैठी इसके बाद से आज तक व्हीलचेयर पर है. घटना के बाद शॉट पुट, डिस्कस थ्रो और जैवलिन थ्रो की प्रैक्टिस पर विराम लग गया था लेकिन अर्चना ने हिम्मत नही हारी रोजाना प्रैक्टिस जारी रखी और नेशनल पैरा एथलीट चैंपियन में सिलेक्शन हो गया. अर्चना एक के बाद एक मेडल जीतकर आगे बढ़ती गई और नेशनल से लेकर इंटरनेशनल गेम में मेडल जीतती चली गई.

शॉट पुट, डिस्कस थ्रो और जैवलिन थ्रो जैसे गेम में हिस्सा लेकर अर्चना ने 7 गोल्ड मेडल 7 सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है. चीन की राजधानी बीजिंग और इंडोनेशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय एथलीट प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया और मेडल जीतकर आयी. वर्तमान में अर्चना भागलपुर के दिव्यांगजन सशक्तिकरण कार्यालय में नौकरी कर रही है. अर्चना के इस हौसले से परिवार और समाज के लोग काफ़ी खुश है.

बिहार के हेमंत मिश्रा ने पायी सफलता, पिछली बार बने थे DSP, इस बार बने SDO

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में नौवां रैंक लाकर जिले के राजपुर प्रखंड अंतर्गत कुसरूपा निवासी ओमप्रकाश मिश्रा के बड़े पुत्र हेमंत मिश्रा ने एक बार फिर होनहार बिरवान के होत चिकने पात… वाली कहावत को सही साबित किया है।

पिछली बार यूपीपीसीएस में आठवीं रैंक लाकर डीएसपी का पद हासिल करने वाले हेमंत ने इस बार नौवां रैंक लाकर एसडीओ का पद प्राप्त किया है। हेमंत की इस उपलब्धि पर परिवार के लोगों में खुशी का माहौल कायम है।

शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं हेमंत के पिता

हेमंत के पिता ओम प्रकाश मिश्रा कैमूर में शिक्षा विभाग में एपीओ के पद पर कार्यरत हैं। वह बेटे की इस उपलब्धि पर खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। हेमंत की मां नम्रता मिश्रा जिले के एक निजी स्कूल की शिक्षिका हैं। बेटे की सफलता पर वह भी प्रफुल्लित हैं।

हेमंत की सफलता पर उनके चाचा तथा कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष बजरंगी मिश्रा ने बधाई देते हुए कहा कि हेमंत का शुरू से ही शिक्षा से काफी लगाव था। उन्होंने सफलता प्राप्त कर इसे सिद्ध भी किया है। उन्होंने बताया कि अभी फिलहाल में बीएससी में जो रिजल्ट आया है, उसमें भी उप निर्वाचन पदाधिकारी में हेमंत का चयन हुआ है।

जिले का नाम रोशन किया

इधर, यूपीपीएसी में नौवां स्थान प्राप्त कर उन्होंने अपने गांव के साथ-साथ प्रखंड और जिले का नाम रोशन किया है। हेमंत की प्रारंभिक शिक्षा जिले में ही हुई। उन्होंने बताया कि मैट्रिक के बाद उन्होंने पटना से बारहवीं तथा जामिया-मिलिया से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की।

उन्होंने कहा कि जेएनयू से भूगोल में स्नातकोत्तर कर अभी वह जामिया-मिलिया से पीएचडी कर रहे हैं। दो भाइयों में हेमंत बड़े हैं। छोटे भाई आईआईटी कर अमेरिका के ओरेकल कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत है। हेमंत की सफलता की सूचना मिलने के बाद उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।

सिपाही से डायरेक्ट SDM बने दीपक सिंह, ऐसे हासिल की 20वीं रैंक, मेहनत से बदली किस्मत

प्रवर अधीनस्थ सेवा (पीसीएस) में जहां दस्तावेज लेखक के बेटे सात्विक श्रीवास्तव ने प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल किया। वहीं पुलिस में तैनात सिपाही ने भी रिकॉर्ड बनाया है। बिना छुट्टी के ड्यूटी के दौरान ही तैयारी करके सिपाही से सीधे एसडीएम बने दीपक सिंह ने प्रदेश में 20वां स्थान हासिल किया है। किसान के बेटे दीपक सिंह की सफलता पर उसके माता पिता ही नहीं पुलिस विभाग को भी नाज है और बुधवार को एसपी ने सभी अधिकारियों के साथ दीपक सिंह को सम्मानित किया।

माता-पिता का सपना किया साकार

मूल रूप से बाराबंकी के सेमराय के किसान अशोक कुमार सिंह के पुत्र दीपक सिंह वर्ष 2018 में पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। उनके माता पिता का सपना था कि वह अधिकारी बनें और वही सपना साकार करने के लिए दीपक सिंह ने अपनी मेज पर सामने एसडीएम लिखकर रख लिया था और उसी को लक्ष्य लेकर आगे बढ़े।

ऐसे हासिल की 20वीं रैंक

दीपक सिंह बताते हैं कि कई तैनाती के बाद वह एसपी आवास पर टेलीफोन ड्यूटी पर तैनात हो गए और ड्यूटी के साथ ही पढ़ाई जारी रखी और एक छोटे से कमरे में किराए पर रहने वाले दीपक सिंह चार से पांच घंटे रोजाना पढ़ाई करते। वह बताते हैं कि अधिकारियों ने भी उनका पूरा साथ दिया। उनके माता पिता हौंसला बढ़ाते रहे और उसी के बदौलत सफलता हासिल की।

लाइब्रेरी बनी वरदान

दीपक सिंह बताते हैं कि उनके गांव व परिवार में वह पहले ऐसे शख्स हैं जिन्होंने सरकारी नौकरी पाई और अधिकारी बन गए, गांव में बेटे के अधिकारी बनने की खबर से परिवार की खुशी का ठिकाना ही नही रहा लोगों के द्वारा बधाइयों का तांता लग गया। पुलिस लाइन की लाइब्रेरी बन गई वरदान दीपक सिंह के लिए पुलिस लाइन में स्थापित लाइब्रेरी वरदान बन गई।

सीओ विकास जायसवाल की पहल पर बनाई गई इस लाइब्रेरी से वह रोजाना पुस्तकें लाकर पढ़ते थे और इसी के चलते उन्हें पुस्तकों या फिर तैयारी के लिए कई जाना नहीं पड़ा। दीपक सिंह अपनी सफलता में सभी अधिकारियों और साथियों का भी श्रेय देते हैं।

24 एचआरडी 09 आकृति ने बढ़ाया जनपद का मान, बनी डिप्टी एसपी

कासिमपुर के ग्राम तेरवा दहिंगवा गौसगंज गांव की आकृति पटेल ने पीसीएस 2023 की परीक्षा में 30वीं रैंक हासिल की है। वह डिप्टी एसपी बनीं हैं। आकृति पटेल के पिता श्रवण कुमार कनौजिया भाजपा जिला उपाध्यक्ष है। उनका गौसगंज में मेडिकल स्टोर है, जबकि मां पुष्पा देवी ग्रहणी हैं। आकृति की प्रारंभिक शिक्षा शिशु मंदिर में हुई। पीवीआर इंटर कालेज गौसगंज से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी से बीटेक किया है। आकृति ने तीसरे प्रयास में पीसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने इस सफलता का श्रेय माता-पिता व गुरुजनों को दिया है।

सफलता 3 चीजें मांगती है, खुद से वादा मेहनत ज्यादा और मजबूत इरादा, 125वां रैंक लाकर साक्षी प्रिया बनी ऑडिट ऑफिसर

BPSC ने 68 वी कंबाइंड परीक्षा के नतीजे जारी कर दिए हैं. सफल उम्मीदवारों की सूची में बिहार के भागलपुर जिले नाथनगर की स्व० राजेंद्र पासवान की बेटी साक्षी प्रिया का भी नाम है. साक्षी प्रिया ने बिहार लोक सेवा आयोग की 68 वी कंबाइंड परीक्षा में सफलता का परचम लहराया है. साक्षी प्रिया की माता का नाम राधा देवी है. साक्षी प्रिया ने बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अंकेक्षण निदेशालय में 125 वा रैंक लाकर एसिस्टेंट ऑडिट ऑफिसर में चयन हुआ है.

इसके साथ ही BSSC CGL द्वारा इनका चयन उद्योग विस्तार अधिकारी के रूप में भी हो चूका है. वहीं BPSC 67वीं की परीक्षा में श्रम प्रवर्तन अधिकारी के रूप में भी चयन हो चुका है। साक्षी प्रिया की सफलता पर उसके परिवार वालों और रिश्तेदारों के बीच खुशी की लहर है.

बचपन से ही पढ़ने लिखने में होनहार साक्षी प्रिया ने अपनी 10वीं की पढ़ाई गर्ल्स स्कूल नाथनगर से 2010 में किया था 12वीं की पढ़ाई विज्ञान विषय में 2012 में मारवाड़ी कॉलेज भागलपुर से किया इसके बाद स्नातक की पढ़ाई 2016 में बीएन कॉलेज से अर्थशास्त्र विषय में किया। वर्तमान मे साक्षी प्रिया ऑडिटर पोस्ट पंचायती राज ऑफिस पूर्णिया में कार्यरत है.

साक्षी प्रिया ने बताया की सफलता केवल 3 चीजें मांगती है, खुद से किया वादा मेहनत ज्यादा और मजबूत इरादा आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत असफलता नामक बीमारी को मारने की सबसे अच्छी दवा है। मेहनत किसी की मोहताज नहीं होती इस कहावत को सच कर दिखाया है साक्षी प्रिया ने.

परीक्षा की तैयारी कैसे करें

परीक्षा की तैयारी करने वाले स्टूडेंट के लिए साक्षी प्रिया ने बताया कि पढ़ाई को प्रेशर में लेकर न करें। तैयारी के लिए क्वेश्चन बैंक की मदद ले और इसका एक मैप बनाएं। रफ मैप बनाने के बाद क्वेश्चन बैंक से जुड़े सभी टॉपिक की शार्ट नोट्स बनाएं। इसके साथ ही लिखने की प्रैक्टिस भी करें, जिससे आपकी स्पीड बनेगी। अपने लेखन-शैली पर विशेष रूप से काम करें। इसके अलावा आप खुद को तैयार करने के लिए मॉक टेस्ट की प्रैक्टिस करें और नियमित पढ़ाई करें और कल पर कुछ नहीं छोड़ें।

 

खेती करके बेटे को बना दिया चार्टर्ड अकाउंटेंट, गरीब किसान का सपना हुआ साकार

उत्तरप्रदेश के रायबरेली जनपद के लालगंज तहसील क्षेत्र के सराय कुर्मी गांव के रहने वाले पुष्पेंद्र कुमार पटेल बेहद गरीब परिवार से हैं. उनके पिता गोवर्धन पटेल खेती करके परिवार का भरण पोषण किया. परंतु पुष्पेंद्र अपनी पढ़ाई में कभी अपनी परिस्थितियों को आड़े नहीं आने दिया और वर्ष 2023 की चार्टर्ड अकाउंटेंट की फाइनल परीक्षा पास कर यह साबित कर दिया कि अगर हौसला बुलंद हो तो आसमान का भी कद छोटा पड़ जाता है.

पुष्पेंद्र ने प्रारंभिक शिक्षा लालगंज कस्बे के एक निजी विद्यालय से पूरी की. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह कानपुर चले गए जहां से उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएट तक की पढ़ाई पूरी कर चार्टर्ड अकाउंटेंट तक का सफर तय किया. उनके पिता गोवर्धन पटेल ने कहा, ‘बेटे की बचपन से ही कॉमर्स पढ़ने की इच्छा थी तो मैं भी कभी मना नहीं किया. उसकी इच्छा के अनुरूप ही उसे पढ़ने दिया. 12 वर्ष की कठिन मेहनत के बाद बेटे ने यह मुकाम हासिल किया. मुझे अपने बेटे पर बड़ा गर्व है.

पुष्पेंद्र कुमार पटेल बताते हैं कि अगर आपके अंदर कुछ बड़ा पानी की चाहत है तो आप का हौसला बुलंद होना चाहिए. बुलंद हौसले से आप बड़े से बड़ी मंजिल को आसानी से पा सकते हैं. पुष्पेंद्र ने कहा, ‘ साल 2011 से ही तैयारी कर रहे थे. वर्ष 2013 एमकॉम पूरा करने के बाद साल 2019 में चार्टर्ड अकाउंटेंट फाइनल ग्रुप फर्स्ट में और वर्ष 2024 फाइनल ग्रुप सेकेंड में परीक्षा पास कर अपने माता-पिता के सपने को पूरा किया.

मेरी इस कामयाबी के पीछे मेरे माता-पिता का सबसे बड़ा योगदान रहा क्योंकि मेरे पिता एक साधारण किसान थे फिर भी उन्होंने मुझे कभी रोक नहीं. हमेशा मेरा हौसला अफजाई करते रहे’.

किसान का बेटा नितिन बना असिस्टेंट मैनेजर, सरकारी स्कूल से पासऑउट पारस भी हुए कामयाब, बिना कोचिंग पाया मुकाम

शिमला: हिमाचल प्रदेश में हाल ही में राज्य सहकारी बैंक में असिस्टेंट मैनजर की पोस्ट के लिए हुए एग्जाम का रिजल्ट घोषित किया गया. इस कड़ी में सिरमौर जिले के दो युवकों ने भी सफलता हासिल की है. एक युवक जहां किसान परिवार से हैं. वहीं दूसरे युवक ने सरकारी स्कूल से पढ़ाई के बाद यह सफलता हासिल की।

जानकारी के अनुसार, सिरमौर की सतोंन के पारस शर्मा का चयन हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक में असिस्टेंट मैनजर का पद असिस्टेंट मैनेजर के पद पर हुआ है।

पारस शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा राजकीय प्रथमिक शिक्षा डांडीवाला, हाई स्कूल डांडापागर तथा 12 वीं कक्षा की पढ़ाई राजकीय पाठशाला तारूवाला से हुई. इसके बाद पारस ने गुरु गोविंद सिंह कॉलेज पांवटा साहिब से पढ़ाई की. पारस शर्मा ने अपनी सारी पढ़ाई सरकारी स्कूल से और अच्छे अंक हासिल किए. स्कूल से लेकर कॉलेज तक टॉपर रहे है. पिछले एक साल से बैंक के एग्जाम के लिए पारस शर्मा घर से तैयारी कर रहे थे. पारस ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, बहन, गुरुजनों और बुजुर्गों को दिया. पारस शर्मा ने बताया कि अब उनका अगला लक्ष्य सिविल सर्विसेज है।

पिता स्कूल में पढ़ाते हैं, मां गृहिणी

पारस शर्मा के पिता नरेश शर्मा टीजीटी आर्ट्स पद पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सतोंन में सेवाएं दे रहे हैं. माता संगीता ग्रहिणी हैं. बहन स्नेहा एमए हिंदी की पढ़ाई कर रही है. पारस शर्मा के पिता नरेश शर्मा ने बताया कि यदि कोई बच्चा गलत रास्ते की बजह अच्छे रास्ते पर चले और अपने माता-पिता की भावनाओं को समझे तो मेहनत करने से बड़ी से बड़ी कामयाबी भी हासिल कर सकते हैं।

किसान के बेटे ने भी लहराया परचम

इसी तरह शिलाई के बड़वास गांव के नितिन को भी एग्जाम में सफलता मिली है और उनका चयन भी असिस्टेंट मैनेजर के पद पर हुआ है. नितिन ने बिना कोचिंग के यह परीक्षा पास की. नितिन के पिता किसान हैं. नितिन करीब 1 साल से इस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. नितिन ने नाहन के ब्वॉज स्कूल से पढ़ाई की है. उनके परिवार में माता पिता के अलावा, दो और भाई हैं. बता दें कि राज्य सहकारी बैंक हिमाचल प्रदेश ने 19 अगस्त 2023 में 64 पदों के लिए भर्ती निकली थी. अब 12 जनवरी इस एग्जाम का परीक्षा परिणाम घोषिक किया गया है।