सीबीडीटी ने ‘विवाद से विश्वास’ योजना के बारे में जारी किया मार्गदर्शन

nirmala sitharaman

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बीते मंगलवार को प्रत्यक्ष कर से संबंधित ‘विवाद से विश्वास’ योजना 2024 के बारे में मार्गदर्शन नोट जारी किया है। वित्त मंत्रालय ने जारी एक बयान में बताया कि सीबीडीटी ने स्पष्टता प्रदान करने के लिए प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास योजना, 2024 के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) को जारी किया है। मंत्रालय के मुताबिक इससे करदाताओं को योजना के प्रावधानों को बेहतर रूप से समझने में सहायता प्रदान होगी।

मंत्रालय ने कहा कि सीबीडीटी ने अक्सर पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) के रूप में जारी इस पत्र में विवाद समाधान योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र संस्था और भुगतान किए जाने वाले करों से संबंधित विभिन्न सवालों के जवाब दिए हैं। इस मार्गदर्शन नोट को आयकर विभाग के आधिकारिक पोर्टल https://incometaxindia.gov.in/news/circular-12-2024.pdf पर देखा जा सकता है।

आयकर विभाग ने कहा कि उसे इस योजना के एक अक्टूबर, 2024 को प्रभावी रूप से अधिसूचित होने के बाद विभिन्न प्रावधानों के संबंध में मार्गदर्शन मांगने वाले हितधारकों से कई सवाल मिले हैं। ‘विवाद से विश्वास’ योजना का लाभ वे करदाता उठा सकते हैं, जिनके विवाद या अपील 22 जुलाई, 2024 तक सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण, आयुक्त अथवा संयुक्त आयुक्त (अपील) के समक्ष लंबित हैं। इसके अलावा इनमें रिट और विशेष अनुमति याचिकाएं (अपील) शामिल हैं, चाहे वे करदाता या कर अधिकारियों द्वारा दायर की गई हों।

योजना में विवाद समाधान पैनल (डीआरपी) के समक्ष लंबित मामले और आयकर आयुक्त के समक्ष लंबित पुनरीक्षण याचिकाएं भी शामिल होंगी। यदि कोई करदाता योजना का लाभ उठाने के लिए 31 दिसंबर, 2024 से पहले घोषणा दाखिल करते हैं, तो उन्हें विवादित कर मांग का 100 फीसदी भुगतान करना होगा। ऐसे मामलों में उनका ब्याज और जुर्माना माफ कर दिया जाएगा। हालांकि, ऐसे मामलों में जहां घोषणा एक जनवरी, 2025 को या उसके बाद की जाती है, तो विवादित कर मांग का 110 फीसदी करदाता को चुकाना होगा।

उल्‍लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रत्यक्ष कर से संबंधित विवाद से विश्वास (डीटीवीएसवी) योजना, 2024 की घोषणा केंद्रीय बजट 2024-25 में लंबित आयकर विवादों का समाधान करने के लिए की थी।

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