बिहार बिटुमेन घोटाले में CBI कोर्ट का बड़ा फैसला, पूर्व मंत्री सहित 5 दोषियों को सुनाई 3 साल की सजा

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सीबीआई न्यायालय ने बिहार सरकार के तत्कालीन सड़क निर्माण विभाग के मंत्री सहित पांच आरोपियों को बिटुमिन घोटाला मामले में प्रत्येक पर 32 लाख रुपये के जुर्माने के साथ तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश की न्यायालय, रांची ने आज बिटुमिन घोटाला मामले में बिहार सरकार के तत्कालीन सड़क निर्माण विभाग के मंत्री मोहम्मद इलियास हुसैन सहित पांच आरोपियों मोहम्मद शहाबुद्दीन बेग, अशोक अग्रवाल, पवन कुमार अग्रवाल और विजय कुमार सिन्हा को प्रत्येक पर 32 लाख रुपये के जुर्माने के साथ तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

सीबीआई ने पटना उच्च न्यायालय के दिनांक 20.02.1997 के आदेश पर, हजारीबाग सदर पुलिस स्टेशन में दिनांक 07.10.1996 को शुरू में दर्ज मामले को अपने हाथ में लेते हुए, मोहम्मद इलियास हुसैन और अन्य के खिलाफ बिटुमिन घोटाला मामले में दिनांक 06.05.1997 को तत्काल मामला दर्ज किया था। यह आरोप लगाया गया था कि मुख्य आरोपी मोहम्मद इलियास हुसैन, तत्कालीन सड़क निर्माण विभाग, बिहार सरकार के मंत्री अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ आपराधिक साजिश में शामिल हुए थे और आईपीसी की धारा 120-बी, 407, 409, 420, 468, 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) सपठित 13 (1) (डी) के तहत अपराध किया था।

मामला हल्दिया से आरसीडी हजारीबाग वाया बरौनी के रास्ते सड़क निर्माण के लिए बल्क बिटुमिन के परिवहन से संबंधित था। यह आरोप लगाया गया कि इस उद्देश्य के लिए कोई भी बिटुमेन परिवहन नहीं किया गया। ट्रांसपोर्टर ने कथित तौर पर हल्दिया से बिटुमिन उठाकर कोलकाता में खुले बाजार में बेच दिया और गलत तरीके से परिवहन शुल्क का दावा किया, जबकि बिटुमिन का बिलकुल भी परिवहन नहीं किया गया था।

जांच के बाद, सीबीआई ने 31.03.2001 को आरोप पत्र दायर किया, जिसमें यह पता चला कि बिहार सरकार के तत्कालीन सड़क निर्माण विभाग के मंत्री मोहम्मद इलियास हुसैन ने अन्य सह-आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश रची और बिहार सरकार द्वारा सड़क निर्माण के लिए खरीदे गए बिटुमिन के 27.6 लाख रुपये के गबन के लिए आईपीसी की धारा 120बी, 407, 409, 420, 468, 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(2) सपठित 13(1) (डी) के तहत अपराध किया। इस प्रकार, बिहार सरकार को 27.6 लाख रुपये का गलत नुकसान पहुंचाया गया और इसी के अनुरूप आरोपी व्यक्तियों को गलत लाभ हुआ। न्यायालय ने सुनवाई के बाद आरोपियों को दोषी पाया और तदनुसार सजा सुनाई।

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