चंद्रयान-3: चंद्रमा पर आराम फरमा रहे हैं विक्रम और प्रज्ञान, 22 सितंबर को फिर होगा चमत्कार?
चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त की शाम को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया, उसके बाद चंद्रयान में लगे रोवर और लैंडर फिलहाल वहां रात होने की वजह से स्लीप मोड में हैं। चांद पर आराम फरमा रहे प्रज्ञान और विक्रम को लेकर इसरो को उम्मीद है कि एक बार फिर से ‘चमत्कार’ होगा और 22 सितंबर को फिर से प्रज्ञान चांद की सतह पर ठीक से काम करने लगेगा। साउथ कोरिया के लूनर ऑर्बिटर दानुरी ने शिव शक्ति प्वाइंट पर मौजूद विक्रम लैंडर की तस्वीरें भेजी हैं। बता दें कि चांद की सतह पर जहां चंद्रयान-3 ने लैंडिंग की थी, उस जगह का नाम शिव-शक्ति प्वाइंट रखा गया है। उसी जगह पर प्रज्ञान के साथ लैंडर विक्रम भी मौजूद है।
बता दें कि भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी और इसने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। फिर 17 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया था। चांद पर 14 दिनों की रात और 14 दिनों तक दिन होता है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर दोनों स्थायी रूप से चंद्रमा पर ही तैनात रहेंगे। वे पृथ्वी पर वापस नहीं लौटेंगे। वहां से जानकारियां भेजते रहेंगे।
कोरियाई चंद्र मिशन दनूरी ने चंद्रयान की तस्वीरें भेजीं
रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा की सतह पर ‘शिव शक्ति पॉइंट’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लगभग 600 किलोमीटर दूर स्थित है, कोरियाई चंद्र मिशन दनूरी ने जो चंद्रयान-3 की फोटो ली है वह 250 सेंटीमीटर प्रति पिक्सेल रेजोल्यूशन की है। इसके साथ ही अमेरिका के नासा के लूनर रीकॉन्सेंस ऑर्बिटर (LRO) ने भी चंद्रयान-3 की फोटो खींची थी। LRO की तस्वीर 50 सेंटीमीटर प्रति पिक्सेल रेजोल्यूशन की है, जबकि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की तस्वीर 32 सेंटीमीटर प्रति पिक्सेल रेजोल्यूशन की है। सतह पर उतरने के बाद प्रज्ञान रोवर ने वहां से कई जानकारियां इसरो को भेजीं, जिसमें मुख्य रूप से उसने चंद्रमा की मिट्टी और वातावरण की संरचना का विश्लेषण किया है।
अभी स्लीप मोड में हैं रोवर और लैंडर
इस महीने की शुरुआत में चंद्रयान-3 के रोवर ने अपना असाइनमेंट पूरा कर लिया था, जिसके बाद इसे स्लीप मोड में डाल दिया गया है। इसमें लगे एपीएक्सएस और एलआईबीएस पेलोड्स को भी बंद कर दिया गया है। इसरो ने बताया है कि रोवर में लगे पेलोड्स में दर्ज सभी डेटा लैंडर के जरिए पृथ्वी पर भेजे जा चुके हैं। इसरो ने ये भी बताया है कि रोवर प्रज्ञान की बैटरी पूरी तरह से चार्ज है और उम्मीद है कि 22 सितंबर को जब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर फिर से सूर्य की रोशनी पड़ेगी तो हो सकता है कि के स्लीप मोड को फिर से एक्टिव मोड में किया जाएगा और वह संभवतः फिर से काम करने लगेगा।
चंद्रयान-3 मिशन ने 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी। इसने 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में प्रवेश किया और 17 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया। कोरियाई चंद्र मिशन दानुरी दिसंबर 2025 तक चंद्रमा की कक्षा में रहने के लिए निर्धारित है, जिसमें विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी मिशन शामिल हैं, जैसे कि चांद पर लैंडिंग स्थलों की तस्वीरें लेना और चंद्रमा की उत्पत्ति का अध्ययन करने के लिए चंद्र चुंबकीय क्षेत्र को मापना शामिल है।
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