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वैकल्पिक विषय बदलना मेरे लिए बना गेम चेंजर; IAS अधिकारी वरुण से जानें सफलता का मंत्र

किसी भी चीज़ में बदलाव, अगर सही समय पर किया जाए, तो परिणाम अच्छे ही आते हैं, फिर चाहे वह जिंदगी हो या परीक्षा के लिए चुना गया विषय। अगर आप भी UPSC मेंस के लिए वैकल्पिक विषय बदलने के बारे में सोच रहे हैं, तो ऐसा करने से बिल्कुल न हिचकिचाएं। IAS वरुण रेड्डी ने बताया, कैसे करें रैंक में सुधार।

किसी भी चीज़ में बदलाव, अगर सही समय पर किया जाए, तो परिणाम अच्छे ही आते हैं। फिर चाहे वह जिंदगी हो, या परीक्षा के लिए चुना गया विषय। अगर आप भी UPSC (CSE) मेंस के लिए वैकल्पिक विषय (upsc cse optional subject) बदलने के बारे में सोच रहे हैं, तो ऐसा करने से बिल्कुल न हिचकिचाएं। आईएएस अधिकारी वरुण रेड्डी को भी अपने कई प्रयासों में असफलता का सामना करना पड़ा। इसके बाद, उन्होंने ऑप्शनल सब्जेक्ट बदल दिए, जिससे उनकी रैंक में काफी सुधार आया।

हालांकि, IAS वरूण रेड्डी के लिए भी संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के उम्मीदवार से, सिविल सेवा परीक्षा पास करने और अधिकारी बनने तक का सफर आसान नहीं था। इस प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों के स्कोर के साथ ही, हर साल यह परीक्षा और मुश्किल होती जाती है। परीक्षा पास करने वाले हर अधिकारी के पास अपनी सफलता और असफलता की कहानियां होती ही हैं। उनकी अपनी रणनीतियां और सुझाव होते हैं, जो तैयारी के दौरान उनके लिए कारगर साबित होते हैं।

द बेटर इंडिया ने ऐसे ही एक सफल ऑफिसर वरुण रेड्डी से बातचीत की। साल 2018 में, अपने 5वें प्रयास में उन्होंने ऑल इंडिया में 7वीं रैंक हासिल की थी। वह बताते हैं, “अपने इतने सारे प्रयासों के बाद, मैं कह सकता हूं कि मेरी इस सफलता के पीछे तीन चीजों ने काम किया- सही और सीमित किताबों का चयन, रिविज़न और जितना संभव हो सके उतना अभ्यास।”

एक फैसला, जो बना गेमचेंजर

पहले प्रयास में वरुण ने अपने वैकल्पिक विषय के रूप में भूगोल लिया था। उनके अनुसार, इस विषय ने भले ही इंटरव्यू तक पहुंचाया था, लेकिन उन्हें लगता है कि वह एक ‘दिशाहीन प्रयास’ था। वरुण ने पहली परीक्षा, साल 2013-14 में दी थी। उस समय उम्मीदवारों के लिए ऑनलाइन ज्यादा कुछ नहीं होता था। उन्होंने बताया, “हालांकि उस साल भूगोल के कारण मैं इंटरव्यू तक पहुंच पाया, लेकिन उस सब्जेक्ट को चुनना, सही निर्णय नहीं था। इसके बजाय मुझे मैथ्स लेना चाहिए था।”

उन्होंने वैकल्पिक विषय के रूप में भूगोल के साथ दो बार प्रयास किए, लेकिन दोनों ही बार उन्हें असफलता हाथ लगी। इसके बाद वरुण ने, अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट को बदलने का फैसला किया और मैथ्स लेकर आगे बढ़े। उनका यह फैसला, गेमचेंजर साबित हुआ। वह कहते हैं, “डेढ़ महीने में मैंने मैथ्स का पूरा सिलेबस खत्म कर दिया।”

परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, वरुण रेड्डी के कुछ टिप्सः-

पढ़ने के लिए चुनें एक ऐसी जगह, जो हो आपके अनुकूल

वरुण ने 2013 में, IIT बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन किया था। लेकिन इंजीनियरिंग के अपने तीसरे वर्ष में ही, उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा देने का मन बना लिया। वह बताते हैं, “एक इंटर्नशिप के दौरान मैंने सिविल सेवा में जाने का फैसला कर लिया था। प्रशासनिक सेवाओं का हिस्सा बनकर, जो काम किया जा सकता है उसका दायरा काफी बड़ा है। बस इसे ही ध्यान में रखते हुए, मैंने अपने सफर की तैयारी शुरु कर दी।”

उन्होंने आगे कहा “लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ने का एक और फायदा है। आप सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रहते हैं और मन इधर-उधर नहीं भटकता। शांत वातावरण होता है, जिससे पढ़ाई पर फोकस बना रहता है।”

सही और सीमित किताबों का चयन व ज्यादा से ज्यादा अभ्यास

उम्मीदवारों को लगता है कि अलग-अलग जगह से, जितनी ज्यादा किताबों से, वे पढ़ाई करेंगे उनके लिए उतना ही बेहतर होगा। लेकिन ऐसा नहीं है, वरुण ने भी यही गलती की थी। वह कहते हैं, “अलग से कुछ और ज्यादा पढ़ने या स्टडी मैटिरियल पा लेने का लालच न करें। जिन किताबों को आपने प्रिलिम्स और मेंस के लिए चुना था, उन्हीं से पढ़ाई करें।”

रोजाना अखबार औऱ पत्रिकांए पढ़ें, इससे जानकारी बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। वरुण ने सुझाव दिया कि नए स्टडी मैटिरियल जुटाने में समय गंवाने के बजाय, मॉक टेस्ट और निबंध प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें, इससे विषय पर पकड़ बनेगी। निरंतर अभ्यास आपको अधिक बेहतर करने में मदद कर सकता है।”

रणनीति में करें बदलाव

वरुण को जब पहले दो प्रयासों में सफलता नहीं मिली, तो उन्हें लगा कि तैयारी शुरू करने से पहले रणनीति में थोड़ा बदलाव करना जरुरी है। उन्होंने बताया, “मैं अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर जाना चाहता था। सबसे पहले, मैंने नई जगह जाने और नए माहौल में रहने का फैसला किया। साथ ही, मैंने अपना एक वैकल्पिक विषय भी बदल दिया।” वरुण ने तीसरे प्रयास में 166वीं रैंक प्राप्त की थी। जबकि अपने चौथे प्रयास में वह खिसककर 225 वें स्थान पर आ गए। जिससे वह बेहद निराश हो गए थे।

वह आगे कहते हैं, ”एक साल तक कड़ी मेहनत करने के बाद, मैें 166 से खिसककर 225वें स्थान पर आ जाऊंगा, इसकी मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी।” यह वह समय था, जब वरुण को लगा कि इस परीक्षा के लिए, उनकी रणनीति में बदलाव की सख्त ज़रूरत है।

परिवार और दोस्तों का सहयोग

वरुण, पढ़ाई करने के लिए अपना ज्यादातर समय लाइब्रेरी में ही बिताते थे। उनका कहना है कि वह लाइब्रेरी में गंभीरता के साथ पढ़ पाते थे। वह बताते हैं, “अपने आस-पास के सभी लोगों को पढ़ते और कड़ी मेहनत करते हुए देखकर, मुझे भी ज्यादा मेहनत करने का हौसला मिलता था।” उन्होंने उम्मीदवारों को सलाह देते हुए कहा कि छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें, जिसे हासिल किया जा सके। पढ़ाई के लिए अपने हिसाब से शेड्यूल बनाएं और उस पर टिके रहें। इससे सिलेबस को समय पर पूरा करने में मदद मिलेगी।

आपके आस-पास ऐसे लोगों का होना बेहद जरुरी है, जो आपके निर्णय के साथ हों और जिन्हें आप पर पूरा विश्वास हो। वरुण बताते हैं कि आखिरी समय में जब उन्होंने अपने वैकल्पिक पेपर को बदला, तो उनके आस-पास के लोगों को काफी निराशा हुई। वरूण का कहना है, “हालांकि इसके लिए मना करने वाले लोगों के साथ, मुझे अपने परिवार और कुछ दोस्तों का समर्थन भी मिला। जिन्हें मुझपर और मेरी सफलता पर पूरा विश्वास था। उनके विश्वास ने मेरा आत्मविश्वास बहुत अधिक बढ़ाया।”

मैथ्स इतना मुश्किल भी नहीं

असल में, मैथ्स इतना मुश्किल नहीं है, जितना उसे बना दिया गया है। इसका एहसास उन्हें तैयारी के दौरान हुआ। वह कहते हैं, “अगर आप गणित की तैयारी के लिए महज ‘कुछ’ घंटे भी देते हैं, तो आपको अच्छा परिणाम मिलना तय है। हां, इसके लिए ज़रूरी है कि सिलेबस को लेकर बेहतर योजना बनाई जाए।”

गणित को ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में चुनने से, स्कोर बेहतर होने में भी मदद मिलती है। वरुण कहते हैं, “अगर रिवीजन के लिए आपकी फॉर्मूला शीट तैयार है, तो आपको मैथ्स के फाइनल रिवीजन में 2 दिन से ज्यादा का समय नहीं लगेगा।”


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Kumar Aditya

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