जम्मू-कश्मीर में अब वादियों के साथ-साथ लोग दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल यानी चिनाब ब्रिज का भी लुत्फ उठा पाएंगे. रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) ने सोमवार को ये तय कर दिया कि इस पुल का 5 और 6 जनवरी को निरीक्षण किया जाएगा. रेल मंत्रालय के अनुसार, यह ब्रिज देश की उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है.
ये जम्मू-कश्मीर को रेल मार्ग से पूरे भारत से जोड़ेगा. चिनाब ब्रिज के जरिए रामबन से रियासी तक ट्रेन सेवा शुरू की जाएगी. रेलवे सुरक्षा आयुक्त डीसी देशवाल दो दिनों तक इस ब्रिज का गहन निरीक्षण करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, जनवरी के पहले सप्ताह में CRS रिपोर्ट पूरी हो जाएगी. चिनाब ब्रिज न केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
359 मीटर की ऊंचाई पर बना है पुल
चिनाब ब्रिज अपनी 359 मीटर की ऊंचाई के साथ एफिल टॉवर से भी ऊंचा है. इसकी लंबाई लगभग 1,315 मीटर है, और इसे सेमी-क्लाइंबर्स आर्च डिजाइन में बनाया गया है. यह पुल 30,000 मीट्रिक टन उच्च गुणवत्ता वाले स्टील और कंक्रीट से तैयार किया गया है. इसे 266 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली हवा का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसकी ऊंचाई एफिल टावर से भी उंची है.
USBRL परियोजना का अहम हिस्सा
उधमपुर से श्रीनगर और बारामूला तक की USBRL परियोजना पूरी हो चुकी है. चिनाब ब्रिज इस परियोजना का सबसे कठिन और अहम हिस्सा है. इस पुल के बन जाने से जम्मू-कश्मीर के दूर-दराज के इलाकों में कनेक्टिविटी बेहतर होगी और यह क्षेत्र पर्यटन और व्यापार के नए आयाम खोलने में मदद करेगा.
14,000 करोड़ की लागत से बना पुल
इस ब्रिज के निर्माण पर 14,000 करोड़ रुपये की लागत आई है. चिनाब नदी पर बना यह पुल न केवल अपनी भव्यता और ऊंचाई के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके डिजाइन और तकनीकी विशेषताओं के कारण भी यह दुनियाभर में चर्चित है. यह पुल भारत की रेलवे इंजीनियरिंग की कुशलता का प्रतीक है. इसे देखने के लिए देश-विदेश के लोग भी आकर्षित होंगे और कश्मीर के टूरिज्म की शोभा बढ़ाएगा.