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भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले मुख्य आचार्य अयोध्या रवाना, राम भजन गाकर दी गई विदाई

ByKumar Aditya

जनवरी 16, 2024
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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का पल जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा हैं देश के करोड़ो रामभक्तों के चेहरे पर खुशियों की लहर साफ देखी जा सकती है। यह बात कुछ इस तरीके से प्रमाणित होता है कि जब महादेव की नगरी काशी से ब्राह्मणों के दल ने अयोध्या के लिए कूच किया तो काशीवासियों ने पुष्प वर्षा कर उनका अभिवादन किया। वहीं, आज जब काशी से अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा कराने वाले मुख्य आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित अपने मंगला गौरी के आवास के गोलघर पहुंचे तो उनके पीछे-पीछे बड़ी संख्या में स्थानीय निवासी और शहर दक्षिणी के विधायक नीलकंठ तिवारी सहित काशीवासियों ने हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ उनका अभिवादन किया।

अयोध्या रवाना होने से पहले लक्ष्मीकांत दीक्षित का भव्य स्वागत

जब लक्ष्मीकांत दीक्षित अपने गंतव्य के लिए रवाना हो रहे थे तो बकायदा उनपर पुष्प वर्षा की गई। वहीं, मीडिया से बात करते हुए पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने कहा कि आज से जलयात्रा शुरू हो गई है। जलयात्रा का कार्यक्रम चल रहा है,कल सुबह यजमान प्रायश्चित का कर्म होगा। हमारे लोग वहां पूजन का कार्य शुरू कर चुके है। मैं उसमें आज शाम तक शामिल हो जाऊंगा।” उन्होंने बताया, ”22 जनवरी को सुबह से ही पूजन शुरू हो जाएगा लेकिन प्राण-प्रतिष्ठा का मुहूर्त दोपहर 12.30 पर है और वो तय मुहूर्त में ही किया जाएगा। 21 जनवरी को जब रामलला का शैय्या धीवास हो जाएगा तो 22 जनवरी को सुबह वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ रामलला को उठाया जाएगा। इसके लिए कई वैदिक ब्राह्मण भारत के अलग-अलग हिस्सों से अयोध्या पहुंच चुके हैं और कुछ आ रहे हैं। सभी मिलकर वेद मंत्रों का उच्चारण करेंगे और फिर रामलला उठेंगे व सिंहासन पर विराजमान होंगे।”

लक्ष्मीकांत दीक्षित ने स्पष्ट रूप में कहा कि मोदी जी का जो समय निर्धारित है वो मुख्य कार्य है। अन्य सहयोगी लोग कार्य कर रहे हैं लेकिन यह साफ है कि मोदी जी मुख्य यजमान रहेंगे और वही प्राण-प्रतिष्ठा का कर्म करेंगे।

महिलाओं ने राम भजन के साथ दी मुख्य आचार्य को विदाई, हुआ शंखनाद

जब रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को पूर्ण कराने के लिए मुख्य आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित काशी से अयोध्या जाने के लिए अपनी गाड़ी में बैठे तो स्थानीय ब्राह्मण ने शंखनाद कर इसकी शुरुआत की। वहीं, बड़ी संख्या में महिलाओं ने ‘राम के गुणगान गाओ’ भजन के साथ पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित जी को विदाई दी।