मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में आयोजित 16वें वित्त आयोग की बैठक में भाग लिया। इस अवसर पर वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया समेत अन्य सदस्यों का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार राज्य के लिए यह गर्व का विषय है कि वित्त आयोग के अध्यक्ष नालंदा विश्वविद्यालय, राजगीर के कुलाधिपति भी हैं, जिससे वे राज्य की सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि से भली-भांति परिचित हैं।
बिहार में 2005 के बाद विकास को मिली रफ्तार
मुख्यमंत्री ने कहा कि 24 नवंबर 2005 से सरकार में आने के बाद राज्य में कानून का राज स्थापित हुआ और विकास कार्यों को प्राथमिकता दी गई। उन्होंने कहा कि 2005 के पहले बिहार में हालात काफी खराब थे—शाम के बाद लोग घरों से बाहर नहीं निकलते थे, हिंदू-मुस्लिम विवाद आम थे, स्कूलों में छात्रों की संख्या बेहद कम थी और अस्पतालों में इलाज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने बताया कि राज्य में सड़कों और बिजली की स्थिति भी दयनीय थी।
राज्य सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधार किए गए। 2006-07 में लड़के-लड़कियों के लिए पोशाक योजना, 2008 में नौंवी कक्षा की लड़कियों के लिए साइकिल योजना और 2010 से लड़कों के लिए भी साइकिल योजना शुरू की गई। बड़ी संख्या में सरकारी शिक्षकों की बहाली की गई, जिससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार आया। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव हुए। पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रतिदिन 1-2 मरीज ही आते थे, लेकिन अब हर महीने औसतन 11,000 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
बुनियादी ढांचे और महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में सड़कों, पुलों और एलिवेटेड रोड्स का तेजी से निर्माण हुआ है। हर घर बिजली योजना के तहत पूरे राज्य में बिजली सुनिश्चित की गई है। पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के लिए महिलाओं को 50% आरक्षण दिया गया। पंचायत सरकार भवनों का निर्माण किया गया और स्वयं सहायता समूहों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ। 2006 में ‘जीविका’ योजना की शुरुआत हुई थी, जिसके तहत आज 10.61 लाख स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं और जीविका दीदियों की संख्या 1.31 करोड़ हो चुकी है। शहरी क्षेत्रों में भी 34,000 स्वयं सहायता समूह गठित किए गए हैं, जिनमें 3.6 लाख जीविका दीदियां कार्यरत हैं।
बिहार को मिल रही केंद्र सरकार की विशेष आर्थिक सहायता
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2005 में बिहार का बजट मात्र 30,000 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 3.17 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। केंद्र सरकार से भी बिहार को लगातार सहयोग मिल रहा है। 2024 के केंद्रीय बजट में सड़क, उद्योग, स्वास्थ्य, पर्यटन और बाढ़ नियंत्रण के लिए विशेष आर्थिक सहायता दी गई थी। 2025 के बजट में मखाना बोर्ड की स्थापना, नए हवाई अड्डों का विकास, पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के लिए वित्तीय सहायता और पटना आईआईटी के विस्तार की घोषणा की गई है।
बिहार के विकास को लेकर वित्त आयोग के समक्ष पेश हुआ मेमोरेंडम
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने अपनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक मेमोरेंडम तैयार किया है, जिसे 16वें वित्त आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया। उन्होंने विश्वास जताया कि आयोग इन बिंदुओं पर गंभीरतापूर्वक विचार करेगा। बैठक में राज्य सरकार के मंत्रीगण, वरिष्ठ अधिकारी और वित्त आयोग के सदस्य उपस्थित थे।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया और अन्य सदस्यों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। साथ ही, 16वें वित्त आयोग द्वारा तैयार मेमोरेंडम का अनावरण भी किया गया।
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