बिहार में अगले नौ दिनों के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर पहले चरण का मतदान होना है। इस पहले चरण के अंदर बिहार की चार लोकसभा सीट शामिल है और इसमें एक सीट जमुई भी है। जहां से लोजपा (रामविलास ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान निवर्तमान सांसद हैं। लेकिन इनके ही लोकसभा क्षेत्र में एक ऐसा भी गांव है, जहां आजादी के इतने साल बाद भी आज तक सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो सकी है। सबसे बड़ी बात यह है कि यहाँ के लोगों को यह भी नहीं मालूम कि उनके सांसद और विधायक कौन हैं। जबकि चिराग पासवान इस इलाके में विकास कार्य का बड़ा दंभ भरते रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि चिराग ने जब विकास किया तो इन इलाकों में उनका विकास पहुंच क्यों नहीं पाया? या वह भी सिर्फ चुनावी जुमलेबाजी कर रहे हैं। मतलब बिहार और बिहारियों को फर्स्ट बनाना महज हवा -हवाई है।
दरअसल, जमुई को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों नक्सलवाद खत्म होने की बात कर रही है। लेकिन हकीकत में यह दावे सफ़ेद झूठ प्रतीत हो रहे हैं। इस बात का प्रमाण है कि आज भी यहां नक्सल प्रभावित क्षेत्र के नाम पर 28 मतदान केन्द्रों को बदल दिया गया है। लिहाजा चुनाव में काफी लोग वोट डालने से वंचित रह जाते हैं। हाल यह है कि बरहट प्रखंड के वार्ड नंबर-1 और वार्ड नंबर-2 में करीब 10 गांव ऐसे हैं, जहां लोगों को यह भी नहीं मालूम कि उनके सांसद और विधायक कौन हैं। इनलोगों को तो यह भी नहीं पता कि इस बार जमुई से कौन-कौन प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं?
वहीं, जब इन इलाकों में फर्स्ट बिहार की टीम ग्राउंड रिपोर्ट करने पहुंची तो ग्रामीणों ने बताया कि हम लोग जैसे-तैसे अपना जीवन यापन कर रहे हैं। आज तक इस गांव में न तो कोई सांसद आया और न ही कोई विधायक। जबकि चिराग पासवान की तरफ से अपने संसदीय इलाके के विकास के बड़े-बड़े दावे किये जाते रहे हैं। जबकि इन इलाकों के कई महिला और पुरुषों ने बताया कि इस गांव में आज तक न तो बिजली है और न ही पीने का पानी है। ग्रामीणों ने कहा कि हम नहीं जानते कि यहाँ से कौन चुनाव लड़ रहा है और कब वोट पड़ेगा। बस चुनाव के समय ट्रैक्टर भेजा जाता है तो कुछ चले लोग जाते हैं। लेकिन अभी कौन चुनाव लड़ रहा है, कौन-कौन खड़ा है यह हम लोगों को पता नहीं है। आज तक इस गांव में कोई प्रचार करने भी नहीं आता है।
इतना ही नहीं, केंद्र और सांसद फंड की बात तो दूर, इन लोगों को विधायक और मुख्यमंत्री की तरफ से चलाई जा रही सरकारी योजनाओं का भी लाभ नहीं मिलता है। इन लोगों को न ही नल जल योजना का लाभ मिला है और न ही बिजली और सड़क की सुविधा हासिल हुई है। पिछले 17- 18 सालों से इन इलाकों में कोई सांसद या विधायक नहीं आया है। कई महिलाओं ने बताया कि हम लोगों का वोटर लिस्ट में नाम है या नहीं, यह भी हमें मालूम नहीं है।
बहरहाल, अब सवाल यह है कि चिराग पासवान पिछले 10 सालों से यहां सांसद हैं और जब भी उनसे सवाल किया जाता है तो बड़े गर्व से वह बोलते हैं कि हमें बिहार और बिहारियों को फर्स्ट बनाना है। जबकि सही तरीके से उनके संसदीय इलाकों का भी विकास नहीं हुआ है तो फिर उनका यह विजन कैसे सफल होगा। जब वह 10 सालों में एक बार भी इन इलाकों का दौरा नहीं कर सके तो कैसे वह बिहार के गरीब और शोषित समाज के लोगों को जोड़ पाएंगे।