चिराग पासवान की पार्टी एक बार फिर टूटने जा रही है. बिहार के सियासी हलकों में यह बड़ा सवाल बना हुआ है. खासकर पिछले दिनों आरजेडी विधायक मुकेश रौशन ने चिराग की पार्टी में टूट को लेकर दावा किया तो इसने बिहार के राजनीतिक हलके में खलबली मचा दी थी। मुकेश रौशन ने कहा था कि लोजपा रामविलास में एक बड़ी टूट होने वाली है। लोजपा रामविलास के तीन सांसद पार्टी को जल्द ही छोड़ने वाले है। राजद विधायक के इस दावे के बाद अब लोजपा रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान के बहनोई और जमुई सांसद अरूण भारती का बड़ा बयान आया है।
उन्होंने शुक्रवार को एक्स पर पर किए एक पोस्ट में कहा कि आरजेडी सिर्फ लोजपा रामविलास के टूटने की भ्रामक खबर फैला रही है। अरूण भारती ने कहा कि “हाल ही में एक राजद के नेता द्वारा हमारे नेता चिराग पासवान जी को उनके साथ मिलकर एनडीए के खिलाफ खड़े होने का एक ऑफर देना इस बात का सबूत है कि राजद हमारे गठबंधन को कमजोर करना चाहता है, ताकि वो अपनी खोई हुई जमीन को वापस पा सके. मुझे पूरा यकीन है कि बिहार की जनता भी राजद की इस राजनीति को समझ चुकी है. जनता विकास चाहती है भ्रम नहीं. जनता विकास चाहती है जंगलराज नहीं.”
लोजपा सासंद ने आरजेडी पर निशाना साधते हुए कहा कि हाल ही में आरजेडी की ओर से हमारी पार्टी और एनडीए के बीच भ्रम फैलाने की कई कोशिशें की गई हैं. ये कोशिशें केवल हमारे गठबंधन को कमजोर करने और अपनी डूबती हुई नैया एवं राजनीतिक स्वार्थों को साधने के लिए की जा रही है. हम सभी जानते हैं कि हमारी पार्टी हमेशा से जनता की सेवा और देश के विकास के लिए समर्पित रही है. हम रामविलास पासवान की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, समर्पित हैं.
अरुण भारती ने कहा कि यह चर्चा चल रही है कि हमारी पार्टी के अंदर विभाजन हो सकता है तो मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह सब अफवाह जानबूझकर आरजेडी की ओर से फैलाई जा रही है. उनका मकसद साफ है हमारे और एनडीए के बीच अविश्वास का माहौल बने ताकि वे उसका राजनीतिक लाभ उठा सकें और अपनी डूबती नैया को बचा सकें. वे जानते हैं कि अगर एनडीए एकजुट रहता है तो उनकी राजनीति का कोई भविष्य नहीं है. हम इनके बहकावे में नहीं आने वाले हैं. एनडीए के साथ हमारा गठबंधन मजबूत है.
बता दें कि वर्ष 2021 में लोजपा में एक बडी टूट हुई थी। लोजपा के 6 सासंद में से पांच सांसदों ने चिराग से अलग होकर पशुपति पारस के नेतृत्व में एक अलग गुट बना लिया था. चिराग पासवान अपनी पार्टी में अकेले पड़ गये और बाद में लोजपा की टूट का मामला कोर्ट तक गया. बाद में लोजपा दो धड़ों में बंट गई. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में पशुपति पारस की पार्टी को एनडीए की तरफ से ज्यादा तव्वजो नहीं दिया गया । इस बार के लोकसभा चुनाव में पशुपति पारस के पार्टी को एक भी सीट नही दिया गया था. वहीं चिराग की पार्टी को पांच सीटें मिली और सभी पर लोजपा (रामविलास) के उम्मीदवारों की जीत हुई.