CJI चंद्रचूड़ समेत इन जजों को भी मिला का न्योता, जानें कौन-कौन होगा प्राण प्रतिष्ठा में शामिल
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता मिलने के बावजूद भी सीजेआई चंद्रचूड़ 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे।
अयोध्या में सोमवार को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. हजारों लोगों को प्राण प्रतिष्ठा का न्योता दिया गया है. राम मंदिर का फैसला सुनाने वाले सीजेआई चंद्रचूड़ समेत पांच जजों को भी प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्योता मिला है. बता दें कि 2019 में अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांचों जजों ने फैसला सुनाया था. इनमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूड़ भी उन पांच तत्कालीन जजों की लिस्ट में शामिल थे. न्योता मिलने के बावजूद भी सीजेआई चंद्रचूड़ 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे. क्योंकि वह सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में रेग्युलर कोर्ट का हिस्सा होंगे।
बार एंड बेंच’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबड़े और जस्टिस अब्दुल नजीर भी कल होने वाले रामलला की प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. दरअसल, ये सभी पूर्व में की गईं आधिकारिक प्रतिबद्धताओं की वजह से अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे. बता दें कि अयोध्या बेंच के एकमात्र जज अशोक भूषण प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे।
सॉलिसिटर जनरल भी नहीं होंगे कार्यक्रम में शामिल
इनके अलावा सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. क्योंकि 23 जनवरी को उन्हें केंद्र सरकार के लिए एक सात जजों की बेंच के सामने एक मामले में पेश होना है. यह मामला अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के माइनॉरिटी स्टेटस से संबंधित है. इसी के चलते वे अयोध्या नहीं जा पाएंगे. उन्होंने कहा, ‘यह निश्चित रूप से अनादर का प्रतीक है कि मैं अदालत में सात-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं रहता हूं. वहीं, रात में दिल्ली वापस आने के लिए कोई फ्लाइट भी नहीं है, जिसकी वजह से वापस कोर्ट आना संभव नहीं होगा।”
22 जनवरी को लेकर SCBA अध्यक्ष की अपील
वहीं दूसरी ओर ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ के अध्यक्ष आदिश सी. अग्रवाल ने रविवार को चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ से अनुरोध किया कि अयोध्या में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दिन (सोमवार) शीर्ष अदालत में सूचीबद्ध मामलों में वकीलों की गैर-मौजूदगी के कारण कोई प्रतिकूल आदेश पारित न किया जाए।
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