पटना: शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक के फैसलों के कारण बिहार सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक के उस फैसले को राज्यपाल ने किया खारिज कर दिया, जिसमें केके पाठक ने बीआरए विश्विद्यालय के वीसी और प्रो वीसी के वित्तीय अधिकार पर रोक लगाई थी। राज्यपाल के प्रधान रॉबर्ट एल चोंग्थू ने बैंकों को आदेश जारी किया है कि वे केके पाठक के आदेश को नहीं मानें।
दरअसल, बीते 17 अगस्त को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के बचत खाता और अन्य सभी खातों के ट्रांजैक्शन पर रोक लगा दिया था लेकिन 24 घंटे के भीतर ही राज्यपाल राजेन्द्र अर्लेकर ने केके पाठक के आदेश को खारिज कर दिया है। राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोंग्थू ने मुजफ्फरपुर के तीन बैंको को इसको लेकर पत्र जारी किया है। मुजफ्फरपुर एसबीआई, पीएनबी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को इसकी कॉपी भेजी गई है।
राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोंग्थू की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि बिहार सरकार के आदेश ज्ञापंक 1741 दिनांक 17.08.2023 पर क्रियान्वयन नहीं किया जाए और जब तक राज्यपाल सचिवालय के स्तर से निर्देश प्राप्त नहीं होता है, तब तक यही व्यवस्था लागू रखी जाए। कहा जा रहा है कि राज्यपाल की तरफ से केके पाठक के फैसले को खारिज किए जाने के बाद बिहार सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
बता दें कि शिक्षा विभाग की तरफ से जारी निर्देशों के बावजूद विश्वविद्याल ने अपने अधीन कॉलेजों का इंस्पेक्शन नहीं कराया था। विश्वविद्यालय का शैक्षणिक सत्र नियमित करने और परीक्षा और रिजल्ट को लेकर रोस्टर के अनुपालन की रिपोर्ट शिक्षा विभाग को नहीं भेजी गई थी, जिसपर एक्शन लेते हुए शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक ने बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रति कुलपति का वेतन बंद करने के साथ ही सभी वित्तीय लेन देन पर रोक लगा दिया था।