बिहार में तीसरे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले पर बीपीएससी और आर्थिक अपराध इकाई आमने- सामने आ गए हैं। एक जहां विश्वसनीय सबूतों के अभाव में बीपीएससी शिक्षक टीआरई-3 की परीक्षा को रद्द करने से इनकार कर दिया है तो वहीं आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) अपने रुख पर अड़ी हुई है। ईओयू का कहना है कि परीक्षा से एक दिन पहले ही प्रश्न पत्र बाहर आ गए थे। इस मामले में पटना के करबिगहिया इलाके से कई आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ा गया है।
ईओयू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रैकेट के सरगना की तलाश जारी है और ऐसा होने तक बीपीएससी को टीआरई-3 से संबंधित सभी दस्तावेजों और कंप्यूटरों को सुरक्षित करने के लिए कहा गया है, जिनकी जांच के दौरान जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि हमने बीपीएससी से एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का भी अनुरोध किया है। ईओयू ने गहन जांच के लिए एक विशेष जांच दल का भी गठन किया है, क्योंकि जांच का दायरा बढ़ सकता है और प्रश्न लीक की तह तक पहुंचने के लिए बीपीएससी तक भी जांच की आंच पहुंच सकती है, जो कि राज्य सरकार के लिए शर्मिंदगी की बात हो सकती है।
करबिगहिया से पकड़े गए विशाल नाम के व्यक्ति को भी बालासोर प्रश्न लीक के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। उसे 14 मार्च को प्रश्नों वाली पेन ड्राइव के साथ पकड़ा गया और अगले दिन, उसके द्वारा दिए गए सुरागों के आधार पर, सुबह 5 बजे हज़ारीबाग़ में छापेमारी की गई। वहां मौजूद छात्रों के दूसरे बैच के पास से बड़ी संख्या में प्रश्नों वाली उत्तर पुस्तिकाएं बरामद की गईं, जबकि पहला बैच पहले ही जा चुका था। परीक्षा में जो प्रश्न आए थे वो उससे मेल खाते हैं।
ईओयू के एडीजी एनएच खान ने कहा कि जब्त किए गए पेन ड्राइव, लैपटॉप और मोबाइल फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा ताकि संगठित नेटवर्क के तार कहां-कहां तक फैले हैं। इसका भी पता लगाया जा सके। उन्होने कहा कि किंगपिन तक पहुंचने के लिए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की पुष्टि की जाएगी। जिनके पास गोपनीय जानकारी हो सकती है। यह जानने के लिए मनी ट्रेल पर भी नज़र रख रहे हैं। कि पैसा किस के जरिए कहां पहुंचा। हमारे पास सवालों के लीक होने के पुख्ता सबूत हैं।