सामुदायिक भागीदारी को प्रेरित कर रहा ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान – मनोज कुमार सिंह

स्वास्थ्य सबसे बड़ी नेमत है। स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का वास होता है। तन और मन के स्वस्थ रहने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता, स्वच्छ भोजन, स्वच्छ जल, स्वच्छ हवा के साथ स्वच्छ वातावरण जरूरी है। स्वच्छता स्वस्थ जीवन जीने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। जो व्यक्ति साफ-सफाई रखता है, वह निरोगी जीवन जीता है। जब कोई स्वच्छता के बारे में सोचता है, तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि स्वच्छता को कई स्तरों पर खोजा जा सकता है। व्यक्तिगत स्वच्छता का मतलब है दिन-प्रतिदिन व्यक्तिगत स्वच्छता बनाये रखना। स्वस्थ जीवन जीने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही जिस वातावरण में हम रहते हैं, उसके प्रति विचारशील होना और अपने आस-पास के वातावरण को साफ रखने की जिम्मेदारी लेना भी महत्वपूर्ण है। हमें अपने आस-पास के वातावरण के बारे में जागरूक होना चाहिए। पर्यावरण की स्वच्छता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी घर और खुद की स्वच्छता। हालांकि एक दशक में स्वच्छता को लेकर जागरुकता बढ़ी है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है, जिन्होंने न सिर्फ जनता को महात्मा गांधी के स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक वातावरण वाले भारत के निर्माण के सपने को साकार करने के लिए प्रेरित किया, स्वच्छ भारत अभियान चलाकर इसे आंदोलन का रूप दे दिया। इस अभियान के तहत देश में स्वच्छता ही सेवा है पखवाड़ा चल रहा है।

इस अभियान की शुरुआत औपचारिक स्वच्छता शपथ और ‘एक पेड़ मां के नाम’ वृक्षारोपण अभियान के साथ हुई। इसका उद्देश्य सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है। इस वर्ष स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की 10वीं वर्षगांठ भी है, जिससे इस अभियान का महत्व और बढ़ गया है। दो अक्टूबर तक चलनेवाले ‘स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता’ थीम पर आधारित स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े में स्वच्छता पहलों में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, व्यापक स्वच्छता और स्वच्छता लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तथा सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने देश भर में गतिविधियां चल रही हैं। स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े के आधे समय में ही सफाई के लिए चुनी गयी स्वच्छता लक्षित इकाइयों को स्वच्छ स्थानों में बदलकर उनका सौंदर्यीकरण करने में सराहनीय उपलब्धि हासिल हुई है। देश भर में इस बार वार्षिक स्वच्छता पखवाड़े के दौरान पांच लाख से ज़्यादा मुश्किल, चुनौतीपूर्ण और उपेक्षित स्थानों को कायाकल्प के लिए लक्षित किया गया है। यह प्रभावशाली पहल 2 अक्टूबर 2024 तक चलने वाले वार्षिक पखवाड़े में इस बार के प्रमुख स्तंभों में विशेष रूप से शामिल की गयी है, क्योंकि स्वच्छ भारत मिशन-शहरी इस वर्ष अपनी स्वच्छता यात्रा का एक दशक भी पूरा कर रहा है। अब तक देश भर में चार लाख से अधिक स्थानों पर स्वच्छता की पहल सक्रिय रूप से चल रही है, जिनमें विभिन्न राज्यों की प्रभावशाली भागीदारी दिख रही है। ऐसी एक लाख से अधिक इकाइयों का कायाकल्प सुनिश्चित किया जा चुका है। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत 10 लाख से अधिक पेड़ लगाये जा चुके हैं। फूड स्ट्रीट्स एरिया की सफाई की गयी और क्षेत्रीय परंपराओं को दर्शाने वाले लगभग पचास हजार सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किये गये हैं। विभिन्न केंद्रीय मंत्रालय स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े में निर्धारित इकाइयों पर बड़े पैमाने पर सफाई अभियानों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं, जिसके साथ-साथ अभियानों में पौधारोपण अभियान, साइक्लोथॉन, प्लोगाथॉन और सांस्कृतिक उत्सव भी शामिल हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर पखवाड़े का शुभारंभ होने के बाद कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने स्वच्छता के लिए आगे बढ़कर सफाई अभियान शुरू किए, सफाई मित्र शिविरों की शुरुआत की और खुद भी श्रमदान किया। केंद्रीय मंत्रियों ने भी पूरे देश में स्वच्छता के लिए संकल्प, पौधारोपण कार्यक्रम और अन्य पहलों में सक्रिय रूप से भाग लेकर जमीनी स्तर पर श्रमदान में हिस्सा लिया। दैनिक जीवन के हर पहलू में स्वच्छता के प्रति अपना समर्पण दर्शाते हुए सभी राज्य, शहरी स्थानीय निकाय, ग्राम पंचायतें, धार्मिक संगठन, गैर सरकारी संगठन, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, केंद्रीय मंत्रालय और अन्य राज्य सरकारें भी स्वच्छता ही सेवा 2024 के लिए एकजुट होकर काम कर रहे हैं। देश भर में तेजी से बढ़ती सक्रिय भागीदारी के साथ जमीनी स्तर पर दिख रहा प्रभाव अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्वच्छता के लिए यह सामूहिक प्रयास न केवल अभियान को मज़बूती देता है, बल्कि कचरा मुक्त शहरों के लिए स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में भी ठोस कदम बढ़ाता है।

भारत सरकार ने देश में स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाये हैं। स्वच्छता पखवाड़ा पूरे देश में स्वच्छता और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण बनाये रखने के लिए देश के हर नागरिक को सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाता है। स्वच्छता अब एक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले चुका है। स्वच्छ भारत के संदेश ने लोगों के अंदर उत्तरदायित्व की एक अनुभूति जगा दी है। अब जबकि नागरिक पूरे देश में स्वच्छता के कामों में सक्रिय रूप से सम्मिलित हो रहे हैं, महात्मा गांधी द्वारा देखा गया ‘स्वच्छ भारत’ का सपना अब साकार होने लगा है। जीवन के हर चरण में स्वच्छता महत्वपूर्ण है चाहे वह हमारे अपने व्यक्तिगत तरीके से हो या जब हम समाज का हिस्सा हों। लेकिन, बहुत से लोग अपने घरों को साफ रखना चाहते हैं, लेकिन अपने घर के कचरे को गैर-जिम्मेदाराना तरीके से सड़कों पर फेंक देते हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है। जब हम स्वच्छ जीवन जीते हैं, तो हम स्वस्थ और रोगमुक्त जीवन जीते हैं। समाज के व्यापक हित के लिए छोटे-छोटे कदम उठायें और इसकी शुरुआत हमेशा घर से की जा सकती है। इसके अलावा घर के आस-पास, मुहल्ला-गली, कार्यस्थल पर भी स्वच्छता बनाये रखना चाहिए। निश्चित रूप से यह समाज पर बहुत अच्छा प्रभाव दिखायेगा और पर्यावरण स्वच्छता को बढ़ायेगा। जब पर्यावरण स्वच्छ होता है, तो हम स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली जीते हैं। इसलिए, स्वच्छ भारत के मिशन को सफल बनाना राष्ट्र के प्रति एक जिम्मेदारी है। लेकिन, स्वच्छता एक बार का मिशन नहीं होना चाहिये, बल्कि यह एक अभ्यास और दैनिक आदत होनी चाहिये। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.