Success StoryMotivationRajasthan

माउंट एवरेस्ट चढ़ीं, हाथों की अंगुलियां कटी फिर भी साइकिल से लंदन जाने की जिद पर इसलिए अड़ी हैं निशा

अगर अपने आप को साबित करना है तो उड़ान कही से भी भरी जा सकती है। यह कहना है साइक्लिस्ट निशा गौतम का। जिन्होंने भारत से लंदन जाने के लिए साइकिल यात्रा शुरू की है। पर्यावरण संरक्षण और ग्लोबल वॉमिंग को लेकर लोगों को जागरूक करने के मकसद से। ‘चेंज बिफॉर बीफॉर क्लाइमेट चेंज’ थीम पर यह यात्रा शुरू की। पत्रिका से बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्होंने यह यात्रा गुजरात के वडोदरा से 23 जून को शुरू की। देश के विभिन्न राज्यों के विभिन्न शहरों से गुजरते हुए 16 देशों को क्रॉस करते हुए लंदन पहुंचेंगी। ग्लोबल वॉर्मिंग बहुत बड़ा खतरा है। अभी से नहीं संभले तो धरती का तापमान बढ़ता चला जाएगा। लोगों से अधिक से अधिक पौधे लगाने की अपील करती हूं।

साइकिल से इतनी लंबी दूरी तय करने का क्या है कारण

माउंटेनियर हूं, मई 2023 में एक एक्सपीडिशन की वजह से दोनों हाथों की आधी-आधी अंगुलियां कट गई थी, तो डॉक्टर ने कहा कि एक साल तक आपको बर्फीली जगहों पर माउंटेनियरिंग नहीं करनी, तो लोगों को ग्लोबल वर्मिंग के बारे में जागरूक करने के लिए साइक्लिंग की यह यात्रा शुरू कर दी।

कौन-कौन से देशों से होकर लक्ष्य तक पहुंचोगे?

यह यात्रा वडोदरा, गुजरात से शुरू की। इसके बाद नेपाल, चीन, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, रसिया, लातविया, लुथेनिया, लिथुआनिया, पोलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड्स, बेल्जियम, फ्रांस समेत 16 देशों से होते हुए लंदन यूके पहुंचेंगी।

यह साइकिल यात्रा कब शुरु की और कितने दिन की होगी?

यह यात्रा 23 जून 2024 को शुरू की। मौसम ने साथ दिया तो यह यात्रा 180 से 200 दिन में पूरी हो जाएगी। कई देशों में सर्दी, गर्मी, बर्फबारी का सामना भी करना पड़ेगा।

यात्रा के दौरान रोज कुल कितनी दूरी तय करेंगे आप?

इस साइकिल यात्रा में रोज 100 से 150 किलोमीटर की दूरी तय कर रही हूं। रोज 8 से 9 घंटे साइकिल चलाती हूं। कुल 15 हजार किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करूंगी। कई जगहों पहाड़ों के बीच होकर गुजरना पड़ेगा।

तापमान माइनस 60 डिग्री, हवा में उड़े गोगल्स और हेड टॉर्च

निशा ने बताया कि मई 2023 में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की थी। उतरते वक्त माइनस 60 डिग्री तापमान था। एक जगह करीब दो घंटे रुकना पड़ा। तेज हवा के कारण गोगल्स और हेड टार्च उड़ गई थी। कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन दोनों चीजें स्पेयर में थी। वहीं, तेज ठंड के कारण मेरे हाथों की अंगुलियों में दर्द होने लगा। इलाज के दौरान दोनों हाथों की 8 अंगुलियां आधी-आधी काटनी पड़ी।

स्टे पर पौधरोपण जरूरी

निशा मंगलवार को कोच निलेश बारोट के साथ जयपुर पहुंचीं। जहां आइएफएस के.सी. मीना समेत अन्य वन अधिकारियों ने उनका स्वागत किया और निशा ने पौधरोपण भी किया। निशा बताया कि इस यात्रा के दौरान वे जहां भी स्टे करते हैं या कोई उनका स्वागत करता है, तो म वहां पौधा जरूर लगाते हैं। ऐसे में कई देश जहां हमें पौधा नहीं मिलेगा, इसलिए हम साथ में सीड बॉल्स लेकर चल रहे हैं।


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Sumit ZaaDav

Hi, myself Sumit ZaaDav from vob. I love updating Web news, creating news reels and video. I have four years experience of digital media.

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और प्रदर्शन पर कार्यशाला आयोजित बिहार में बाढ़ राहत के लिए भारतीय वायु सेना ने संभाली कमान बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने रवाना हुए सीएम नीतीश पति की तारीफ सुन हसी नही रोक पाई पत्नी भागलपुर में खुला पटना का फैमस चिका लिट्टी