Voice Of Bihar

खबर वही जो है सही

असंभव को संभव बनाने वाले को कहते हैं CM नीतीश, शिमला समिट देश को दो ध्रुवीय बनाने में निर्णायक होगा

BySumit ZaaDav

जून 24, 2023
GridArt 20230624 114557034

पटना में विपक्षी एकता को लेकर आयोजित 15 दलों वाली महागठबंधन का बैठक संपन्न हो चुका है. बैठक में कांग्रेस के राहुल गांधी, मलिकार्जुन खरगे सहित पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे, तमिलनाडु के सीएम स्टालिन, सहित कई विपक्षी दलों के बड़े नेता शामिल हुए. बैठक में इस बात की सहमति बनी कि लोकसभा चुनाव में सभी दल एक होकर केंद्र सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. इस बैठक के उपरांत बिहार के वरिष्ठ पत्रकार विनोद बंधु का मानना है कि इस बैठक के बाद शिमला में एक और बैठक का आयोजन किया जाएगा और अगर वह बैठक सफलतापूर्वक संपन्न होती है और सभी दल एकमत होते हैं तो संभव है कि आगामी 2024 का लोकसभा चुनाव सत्ता बनाम विपक्ष के बीच जबरदस्त होगा।

IMG 20230624 090425

शिमला समिट देश को दो ध्रुवीय बनाने में निर्णायक होगा :

विपक्षी दलों को एकजुट करने के नीतीश कुमार के अभियान ने दूसरा पड़ाव उम्मीद से अधिक सफलता के साथ पार कर लिया है। परस्पर विरोधी और समान विचारधारा के 15 दलों के शीर्ष नेताओं ने एक घोषित उद्देश्य से एक साथ करीब चार घंटे मैराथन बैठक की। परस्पर साझेदारी से सम्मान तक के तमाम पहलुओं पर विमर्श किया और इसके बाद मीडिया के सामने आकर कहा- हम एकजुट हैं, साथ चलेंगे और साथ लड़ेंगे। हालांकि प्रेस कांफ्रेंस में अरविंद केजरीवाल और एमके स्टालिन के मौजूद नहीं रहने पर एनडीए सवाल उठा रहा है। आप ने कांग्रेस को चेतावनी भी दी है कि दिल्ली अध्यादेश पर उसने अपना रुख साफ नहीं किया तो अगली बैठक में आप शामिल नहीं होगी।

20230624 072941 1024x684 1

पटना में महाजुटान इस अभियान का दूसरा पड़ाव था। पहला पड़ाव इतने दलों को एकजुट होने के मुद्दे पर साथ बैठकर विमर्श करने के लिए राजी करना था। अगस्त से शुरू हुए इस अभियान की राह में कई किंतु- परंतु थे। सिर्फ एनडीए की तरफ से ही नहीं, आम जनता, राजनीतिक विश्लेषकों और नौकरशाही तक में अनेक सवाल उठाए जा रहे थे। मसलन क्या ममता बनर्जी कांग्रेस और वाम दलों के साथ किसी गठबंधन के लिए राजी होंगी? अरविंद केजरीवाल को क्या कांग्रेस स्वीकार करेगी, या केजरीवाल कांग्रेस के साथ किसी गठबंधन में आना पसंद करेंगे? राज्यों में आमने- सामने लड़ने वाले दल क्या एक साथ आने को राजी होंगे? ऐसे तमाम सवालों का जवाब फिलहाल एकजुटता के एलान में मिल गया है।

20230624 072930

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब परस्पर विरोधी विचारधारा या एक- दूसरे के खिलाफ लड़ने वाले दल किसी एक बैनर के नीचे आए हों। एनडीए और यूपीए में ऐसी तमाम पार्टियां शामिल रही हैं। इसी वजह से साझा न्यूनतम कार्यक्रम गठबंधन का आधार रहा है। यूपीए और एनडीए ने बीच- बीच में टूट- फूट के बावजूद लंबी पारी खेली। केन्द्र में यूपीए की दो बार सरकार बनी और पूरे दस साल चली। इसी तरह एनडीए की तीसरी सरकार केन्द्र में है जो कार्यकाल पूरा करने जा रही है। लड़ाई अगली बारी की है। एनडीए की तरफ से इस महाजुटान पर तमाम तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं, वे भी निराधार नहीं हैं। दरअसल, अगला पड़ाव सबसे अहम होगा। नीतीश कुमार ने पहले दो कठिन पड़ावों को पार कराने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गेंद अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पाले में है। 10 या 12 जुलाई को शिमला में बैठक करने का एलान खड़गे ने किया है। जैसा कि प्रेस कान्फ्रेंस में बताया गया कि सीटों के बंटवारे का प्रारूप वहां की बैठक में तैयार होगा। यह सबसे कठिन काम है और उससे भी कठिन फॉर्मूले पर सभी दलों की रजामंदी। अगर शिमला बैठक कामयाब रही तो इसमें कोई दो राय नहीं कि मिशन 2024 दो ध्रुवीय होगा। एनडीए को एक बड़े विपक्षी गठबंधन की चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *