CM नीतीश कुमार ने वर्षापात से उत्पन्न स्थिति को लेकर की समीक्षा बैठक, किसानों की मदद के लिए दिए कई निर्देश

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बिहार में मौसम की बेरुखी एकबार फिर से प्रदेश के किसानों को परेशान करने लगी है। बारिश की कमी के कारण जो धान के बिचड़े खेतों में डाले गए थे वह भी सूखने की स्थिति में आ गए हैं। कई जिलों में बारिश की कमी के कारण धान की रोपनी ठीक से शुरू नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अल्प वर्षापात से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की और किसानों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का अधिकारियों को निर्देश दिया।

बैठक में मुख्यमंत्री को भारत मौसम विज्ञान के प्रतिनिधि ने राज्य में वर्षापात की स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष जून माह में 85 मिलीमीटर वर्षापात दर्ज किया गया, जो सामान्य वर्षापात 163.3 मिलीमीटर से 48 प्रतिशत कम है। 1 जुलाई से 21 जुलाई की अवधि में 152.30 मिलीमीटर वर्षापात दर्ज किया गया जो इस अवधि के लिए निर्धारित सामान्य वर्षापात 242.4 मिलीमीटर से 47 प्रतिशत कम है। उन्होंने बताया कि 1 जून से 21 जुलाई तक की अवधि में 238.3 मिलीमीटर वर्षापात दर्ज किया गया जो सामान्य वर्षापात 405.7 मिलीमीटर से 41 प्रतिशत कम है। 21 जुलाई से 27 जुलाई के बीच हल्की बारिश की संभावना है।

बैठक में आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि अब तक बक्सर, किशनगंज, भागलपुर एवं अररिया में सामान्य वर्षापात हुई है। जबकि, 26 जिले- सीवान, सुपौल, रोहतास, अरवल, कटिहार, भोजपुर, औरंगाबाद, बांका, लखीसराय, भभुआ, मधुबनी, गया, जमुई, दरभंगा, शेखपुरा, वैशाली, मधेपुरा, पूर्णिया, नवादा, जहानाबाद, खगड़िया, मुंगेर, पटना, नालंदा, गोपालगंज एवं मुजफ्फरपुर में सामान्य से कम वर्षा ( -20 से -59 प्रतिशत तक विचलन) हुई है। राज्य के 8 जिले समस्तीपुर, सहरसा, सारण, बेगूसराय, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर एवं सीतामढ़ी में अल्प वर्षापात (-60 से – 99 प्रतिशत तक विचलन) की स्थिति रही है।

मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि किसानों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराएं, जिससे उन्हें कृषि कार्य में सहूलियत हो। संसाधनों की कमी नहीं होने दी जाएगी। राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। राज्य के 75 प्रतिशत लोगों की आजीविका का आधार कृषि है। कृषि कार्य के लिए किसानों को डीजल अनुदान और कृषि कार्य हेतु 12 घंटे विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए। जल संसाधन विभाग को नहरों के अंतिम छोर तक कृषि कार्य के लिए पानी पहुंचाने और लगातार मॉनीटरिंग करने की भी बात कही।

उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की सप्ताह में होनेवाली बैठक नियमित रूप से हो और हर स्थिति पर नजर बनाए रखें। जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों के क्रियान्वयन की सतत् निगरानी करते रहें तथा सुनिश्चित करें कि लोगों के लिए पेयजल की उपलब्धता हमेशा रहे। उन्होंने कहा कि सभी संबद्ध विभाग पूरी तरह अलर्ट रहें। धान रोपनी समय पर हो जाए, इसके लिए जल संसाधन विभाग एवं लघु जल संसाधन विभाग सिंचाई हेतु आवश्यक प्रबंध करे। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भी स्थिति पर नजर बनाये रखे।

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