जातीय गणना पर सीएम नीतीश की सर्वदलीय बैठक, भाजपा से विजय सिन्हा और हम के जीतनराम मांझी भी मौजूद
बिहार में जातीय गणना के आंकड़े जारी होने के बाद मंगलवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है. बैठक CM सचिवालय में हो रही है. सीएम नीतीश की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में भाजपा की ओर से विजय सिन्हा, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा की ओर से जीतन राम मांझी सहित कई अन्य दलों के नेता शामिल हुए हैं. वहीं उप मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव सहित कई अन्य नेता भी सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए हैं. इसमें सभी दलों के नेताओं को जाति आधारित गणना के आंकड़ों के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ चर्चा की जा रही है.
बिहार सरकार ने गांधी जयंती के अवसर पर जातीय जनगणना का रिपोर्ट जारी कर दिया है। बता दें कि यह राज्य सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट थी। राज्य सरकार ने प्रेस कॉप्रेंस कर जातीय गणना की रिपोर्ट को जारी कर दिया गया है। रिपोर्ट बिहार के विकास आयुक्त विवेक कुमार सिंह ने जारी किया है। जिसके अनुसार बिहार में हिन्दू की आबादी 81.9986 परसेंट बताई गई है।
वहीं मुस्लिम आबादी 17.7088 परसेंट बताई गई है। जबकि ईसाई आबादी 0.576 बताई गई है। इसी तरह कुल 13 करोड़ की आबादी में पिछड़ा वर्ग (3,54,63,936) 27.1286%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (4,70,80,514) 36.0148%, अनुसूचित जाति (2,56,89,820) 19.6518%, अनुसूचित जनजाति (21,99,361) 1.6824%, अनारक्षित (2,02,91,679) 15.5224% बताई गई है।
बात अगर जाति आधारित जनसंख्या की करें तो यादवों की आबादी सबसे 14.2666 परसेंट है। जबकि कुर्मी 2.8785 परसेंट बताए गए हैं। वहीं ब्राह्मण 3.6575%, बनिया 2.3155%, भूमिहार 2.8683%, व कुशवाहा 4.2120% बताए गए हैं।
इस बीच, मंगलवार को बिहार में जाति जनगणना का मामला मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण डेटा प्रकाशित किया है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले पर सुनवाई छह अक्तूबर को होगी. बिहार सरकार ने एक दिन पहले यानी 2 अक्टूबर को ही जाति गणना की रिपोर्ट जारी की है. वहीं यह मामला पहले से कोर्ट में चल रहा है, इसी कारण याचिकाकर्ता ने फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी. बिहार सरकार ने बिहार में हुई जातीय गणना को जातीय सर्वेक्षण नाम दिया है और पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यह गणना नहीं सर्वे है. इसलिए इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने जल्द सुनवाई की मंग की थी लेकिन कोर्ट ने कहा है कि यह मामला पहले से 6 अक्टूबर को सूचीबद्ध है इसलिए उसी दिन सुनवाई होगी.
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